पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१७६

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लड़ादादिन्जनिया २ शाखा, आला । . कुन्टा, पभिचारिणा। तीन दिन मद्दन पर दो दो रत्तोको गोली बनाये। ४ शामिनी, चुडेर । अमवरग स्पृष। दाग' अनुपान शहद और घोह। इसके अलावा त्रिफला, चना। निम्मो धान्य पयाय-पराललिपुटा, कान्तिका, मजीठ, यच, पादर, मूला, कटको और हल्दीका काढा सक्षणात्मिका । गुण-रचिार, शोता, पित्ताशक, सेवन किया जा सकता है। इसका सेवन करनेसे पातकारक चौर गुरु। (राजनि०) पुष्ठरोगमें पडा राम रहु चता है । (सन्द्रसार• कुरोगाधि०) सदादादिन (स० पु०) रडा ददति तरुडोल यह णितिरशालारिषतु (म. पु० ) पर्नुन। हनुमान् । लिङ्कादः (म. पु.) स्मृता, असपरग । रडावाप-मारत महासागरस्थित पr द्वीप । रामायण । रोपिश (सं० प्रा० ) महापिका दखो। के अनुसार राक्षसपति रावण यहा गजर करता था। डायिका ( स० ग्रो०) मनायिका दसा । ला दग्वो। रनो (म स्त्री० ) थोडेका एक प्रकारकी लगाम ! नड्डाधिपति (स.पु.) गाया यधिपति । रापण । रङ्ग (सपु०) लगतीति लगती अन् । १ सर साथ। रानाथ-लद्वाद्वापरा अधिपति राक्षसराज रावण २पिग उपपति। अर्कचिकित्सा और नियमनह नागर दो घान्य रसा (स.पु.) उपपति, रत्रीका यार। होंने लिप्ने थे। लगातार इ-पहाइ। लिपुराराज्यके मतगत पक गिरि एडापति (स.पु.) १रायण । विभीषण । धणो। इमका प्रघात शृङ्ग फेङ्गपुर १५८१ और सिम लहापिका (म. खो०) महायिका देखो। पासिया १५४४ पुट ऊ चा है । लक पार देखो। एडायिका (स. सी.) स्पृफा, असपरण। रदत्त-पक प्राचीन कवि एडारि (स.पु.) रामचन्द्र। लङ्गरीन्--आसाम प्रदेश सासिया पतये अन्तर्गत रडारिका ( स . स्त्री० ) पिदिशाक ! एक साम त राज्य। यूपोर नामक एक सरदार यहाके रहायतार-समन्तभदरन एक प्रमिद्ध बौद्धमय। अधिकारी हैं। यहा चूनेका कारवार जोरों चलता है। राशिज-एक प्रकारका क्ष। उसीका शुल्म यहाके अधिकारीका राजस्व है। धान, ल्हास्थापिन् (म०पू०) लद्वापत् तिष्ठनीति स्थाणिनि । चना, लालमिर्च और हल्दी यहाकी प्रधान उपज है। १एक प्रकारका पक्ष। (नि०) २रवायासी, लड्डामें यहा कोयलेकी मो स्थान है। रहनेवाला। लगल (सहो०) १ लाङ्गल, हल । २लागल नामक लहिनी (स० रखा० ) रामायण के अनुसार एक राक्षसी ननपद । निसे हनुमानजान लडाम प्रवेश करते समय साँस रङ्गा-मामामप्रदशपे श्रोह जिला तर्गत एक नवा । मार डाला था। यह आसामको सोमाक याहरसे निकल कर पहले उत्तर रहेग (सपु.) रडाया श पति । १रावण । मार पीछे उत्तर पूरव बहती हु त्रिपुरा और लुसाइ २ विमोपण। शैरक योच हो पर इस जिलेमें आ मिली है। एश्वर (स. पु.), रापण । कालाग्निरुद्वोपनि रहिम (स.नि.) स योगके उपयुक्त। । पद, प्रास्त कामधेनु और शिरस्तुति नामक तीन सय रनिमय (स.त्रिक) लदिम रखा। इनके पनाये हैं। मानाथ देखा। श्रद्धाद्वीपस्थ शिष रक्षर (सका० ) लागल, पूछ। रिङ्गभेद। लङ्गलिया-दक्षिण भारतक मध्यप्रदेश विभागमें प्रवाहित एयररस ( स० पु०) कुरोगाधिकारम रसौषध एक नदी । इसे सस्तमें रङ्गल और तेलगू भाषार्म विराप । प्रस्तुत प्रणाली-पारा, सोना, तावा, ग धय, नागुर कहन है। यह गोण्डनाना पयत कालाएडा हरताल, शिलाजित, अमलयेत इन सबोंको एक साथ नामक स्थानके समीपये निकल कर तीन पहाडी जल Yor xx. 46