पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२२०

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लहमुनी-महुन २२५ पायर, स्टाया। यह नपरलोम । ताल पाले] नदोके तट पर मल्लापुर नगर जानेके गम्तमें जयस्थित और हरे रगश भी होता है। जिस पर तीन मई है। ननसध्या १०६७ ६ जिसमें साधा हिन्द गौर मुमल रेगार का, यह उत्तम समझा जाता है और ढाह सूता मान है। पहलाता है। इस गरमें १३ मसनिद २मापरा, ४ दिमदिर महसुनी हींग (दि.त्रो०) एक प्रकारको त्रिम हींग गौर २ सिख मन्दिर है। इसके अलावा यक्षा १ चिकि जोन्मु नके योग बनाइ जाती है। त्सालय और स्ल है। रवि उस सानोफे मदीनमें यहा रमुवा (हि.पु०) पर प्रकारका माग। एक मेग लगता है और वडी धूमधामसे मुहर्रम मनाया रहाद। दि.पु०) १ नृत्यको प्रयामोमेंसे चौधो मिश: जाता है। १३७० इ० सम्राट फिरोन तुगर फहरात गायकी एक गति। २ गाने में तेजी और भपर। मैयद सलार मसाउदका मायरा देखने जाये । उ होने ही रहार-मध्यभारत ग्वालियर राज्यातर्गत पर दुर्गाधि ! इस नगरको अपने नाम पर दसाया था। इसके ३० वर्ष ठित नगर। यह अक्षा० २५ १५५०” उ० तथा दे० धाद लहरी नामक एक पासोने इस नगर पर जा कर ७८ ५६ ५“पूरे मध्य मिथुनदफे दाहिने किनारेसे इसका नाम लहारपुर रखा । १४१८६०म पनौजसे तान कोस पूर्म अवस्थित है। १७८० ई०में अहरेजी । प्रेरित मुसलमान सेनापति शेष ताहिर गाजी सनाफे इम दुग पर चढाइ परनेसे दोनों दल में घमसान | पासियोंको समूल निहत पर यह स्थान अपने पन्नमें यद छिटा। उस समय दुर्गर्म ५०० सेना मौजूद थी। रलिया । १९०७ में गौड राजपूतगण मुसलमानोंको बल पपदाम दुर्ग पर घेरा डाल कर गोला वरमाने नगरस भगा पर पुद राज्यशामन करने लगे। सम्राट गे। इमसे मिपो फिलादार और उनके कुछ अशुचरों। मवरणाहके राजमाता और सेनापति राजा टोडरमल सिरा और सभी यमपुरको सिधारे । इसा नगरमें पैदा हुए थे। हाहारपुर- भयोध्याप्रदेशके सीतापुर पिलातगत एलहालोट (हि.मि.)१सोसे लोटता हुमा, हमीम परगना । भूपरिमाण १७२ वर्गमाल है। हारपुर मान । २ प्रेममग्न उमाया मा । ३ सुशीस मरा हुमा, गरसे दो मील पश्चिम रोगंज नगर या प्रधान मानन्द के मारे उछरता हुमा। पाणिज्यपेन्द्र है। इस परगनेके मध्यभागमें १०३० फुट लहामन (हिं० रखी०) यद काली भेजिमकी कमपटासे ऊ यो पर अधित्यका भूमि दिगार पड़ती है। यहाको माये तकका भाग लाल होता है। मिट्टी पड़ी होती है। दक्षिणका जमीन उर्मारा है। हामी (दि० सी०) १ यह मोटो रस्तो जिममें माय मुगल सम्राट् माघरफ समय राजा टोडरमलने । १३ सपको कर यह परगना सगरित किया था। गौर | या जहान वाधे जाते हैं।२ रस्मा दोरी। ३ राहत | निकली हुइ जट। भौर पनायर गजपूत यहा स्वत्याधिकारी हैं। १७०७/ Ro मुगल मनार भौरवशी जव मृत्यु हो गई, तय | लहिक (स.पु.) एक व्यविता II I क्षार दो। राज्य भराजस्ता देश गौडराम पादाने सीतापुर पर रहुर (गहर)-पनारप्रदेशपे पागहा निसर्गत मामय पर दिया और उसे अपा काम कर लिया। पर उयिमाग। यह शा० ३२ ८ से ३० ५, उ० तमास तक पधराम मसिर्फ मधिकारी तथा देशा०७६ ४६' से ७७ ४७ पू०पी पता म्यीय जनयार राजपूत कुजी परगना सैन्दर नगरम । भू-परिमाण २५९ पगमाल और जनम 0.५ यहां था पर बस गपे और मैन्दरी सलान रग! है। उत्तर पश्चिमम यिस्तृत चम्या पतमा और दक्षिण गोटराजपस पहले यहा माप हुए थे। पूप में कामगिरिमाराशे मध्ययती उपत्यकामूमि २ उक्त परगनेका र प्रमिद नगर। यह मपा० पायद उपरिमाग बना है। इसमें उत्तर पश्चिमम सम्मा २७ ४२ तथा ०८० ५५ मध्य घाघरा शैल, उत्तर मोर पूर्वमें गदाप गातात गाय उप Tol 37