पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२४०

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लाइ-लाडकसाय २४५ नगर गोंडाल रेलग्यको धोरानी नाया इस राज्यके वोचो , वाद नातीय कुटुम्बका भोज होता है। नरहने दिन ममी योच हो कर चरी गइ है। नगरसे आध कोस पर इस यालको गोद ले। मा दिा उसका नामकरण रेशपथ पर स्टेशन है। नासाच्या ५६१७ है। यहा । होना है। इपक वाद तीन महाने त प्रति सोमगरको धर्मशाला चिकित्साल्य और विद्यालय है। । प्रसूति षष्ठीपूजा करता है। इस तरह तीन महीना यातन लाड (हि.पु.) वञ्चोंका लारन प्यार, दुलार पर प्रसूति पुजका रे पर आस पामरे दमालयमें जाती लाड-वा प्रदेशमा रहनेवाली एक जाति। यह जाति । भीर दयाको भेट दे कर घर वापस जाती है। दक्षिण गुजराता भी बनाती है । सम्भवत यहा प्राचीन! इस दिनसे विवाह पर्यत और पोइ सत्तार नहीं लाट जनपदवासी लार नातिके यशधर है। इनमें पर होता । विवाहस एक दिन पहले 'टेवगना होना है। इसमें प्रवाद इस तरह है,-उत्तर भारतसे उनके पूर्वपुरुष कुन्देरताकी पूजा होता है। विवाहक दिन दर पीर दक्षिण भारतमें था पर वम गये है। ये काले और पीले पाको उबटन गा कर स्नान कराया जाता है। रगके होते हैं। तुरजाभरानी और येरमा इनका प्रधान पीछे उ है एक साथ बैठा पर पुरोहित न पाठ पर उपास्य देवो हैं हैं। मि दृश्यानक पाद विगाह शेष होता है। पीछे एक इस जातिके लोगह को मजबूत और सुडौल । भौज होता है। होत हैं। ये बहुत कुछ गिम्पियास मिलन टन है। पेशेप मृत शरीरको नलाते और सिर्फ दश दिन इनकी माम्बे यही बडो, तोलेकी जैसो नाक, दोनों होठ तक अशीच मानते हैं। ५ देखने में प्राय एक्से लगते हैं। पनला और मुह गोल होता है। इनका आचार-व्यवहार समाज किमी तरहकी गडबडी होने पर जातीय इस श्रेणी मासण-सा और पहनाया साफसरा होता! प्रधानोंक विचारसे उसका निवटेरा होता । जो इसका है ये शराब नहीं पीते और न मांस ही खाते हे। अधि उलया करते थे जातिच्युत होत है। पीठ दश रुम्पे पति निरामिपागी हैं। दूधके लिये सब कोई गाय चोर देने पर समाजमें लिये जाते।। मम पारने है। स्त्रिया घघरा अयमा फेंटा याधती हैं। ये राडासार~-वम्बइप्रदेशर्म रहनेवाली एक मुसलमान मासिध्य सत्कार सूप करत रेशिन सभी यडे आलमी जाति। भेडा, १रा मादि मार कर ये ग्ना हो इसे होते हैं। इन क्षत्रिप लाड योगको अपम्पा उतनी ज्ञातिका यमाय है। इस जातिके लोग पहले हिन्दू राय नहीं है। इतर यादि गघद्रष्य येचना हो उसी थे। महिसुरराज टापू सुल्तान (१७८५ १७६६१०) के प्रधान उपजीविका है। ' प्रभास समा इस काम धमर्म दीक्षित हुप है। स्त्री और इनम नामर अराधा और कोई उपाधि दवो नही पुरुषाका घेभा स्थानीय हिन्दू सा है। कोह कोई माती। लइक के पियाहसे लडका विवादम हो अधिा पुरुष कर दाहिने कानमें एक बडा बुडल पहनते है । सर होता है। क्योंकि जमाइको दहेनम रपयन पडते। चिया पुरुशेस सुन्दरा होता गौर घरसे पाहर आनर्म हैं। ये समा धामिनहाते और ग्रामणों की धीमति करी नहीं लाता है । यहा ताकि दुकान पर बैठ कर मांस हैं। पियाहादिम प्राह्मण ही इनकी पुरोहिताइ परते हैं।। तो है। ये मिनथया मठ, चतुर और विनयी होते पेपण्डरपुर और तुलजापुरमें देवदशनको जारी हैं और है पर फुगदा रहते है। हिन्दूपे प्रधान प्रधान सब त्योहारोंम हा उपवास आदि। ये अपने हा समाजम शादी करते है। पाटिर' पिया करते हैं। बनारसमें इनक घमगुरक्षा यश है। ये मर निर्धारित ममाजके अध्यक्षा मादेश सभी जातिमें गोम्बाम है। ये समय समय पर दक्षिणा शिष्ययो । मानते हैं। पिसी तापका मामानिक गालमाल दानसे मान देन आते है। दूसरो जानिका घे शिष्य नहीं बनात।। पचायत उसका निवटेरा करती है। उसकी गयला पालाये जम्मा वाद नाभिच्छद किया जाता है ! पते पर पारित जुगाना करते है। ये हिद देवयी मौर - प्रसूति नारा जाती है। पाचय दिन पठापनाके का वही भनि करत ह । हिन्दूफ देवताको पूजा आदि Vot xx 62