मापा
सहाराम पो मन्दिर पहलात है। लामाधम पैसोचे। मोलिया--गाय परेन और तारानाथ मन्दिर ।
रिपे तित-राज्यमें तथा उसके भाम पाम चीन, माल यहाँ ३० हजार बौद्धपति तथा पुनोतुन विभाग
रोय, रुस आदि यिमि- देशोंमें नाना महराम भऔर पांच महाराममें प्राप २० हजार मा रहते हैं।
मन्दिर प्रतिष्ठित है। उन सब पानशे मोटभापा माधेरिया-धैकाल हुदके निपटाती मेलिजिनक
गोन पनि न स्यान ) कहते हैं। नाने कुछ विभिन्न के उत्तर पश्चिममें अवस्थित एक समाराम | यहाँके
देशी प्रसिद्ध सहारामफे नाम दिये गर्व है,- . ! मठाचार्य बरियातों के मध्य सानेपा पण्डिन नामम परि
तित-तपिलहूणपो शास्पय, मिन्दोलि होमिस पिता
(लादक ), सहड छोरिङ्ग पदम पड तसे (पेमि
यूगेप-भल्गा नदीतीरपत्ती कालमा सातारोंका
भोइछि), तक तपि रिट फो-दड ल प्रड, दोजरि मन्दिर 'दुरुल' कहलाता है। यह साधारणत सम्धूस
(दानिश देठाइरिगोन, तू इ, एन चे, दुय थे, मान स
कमाया जाता है। सब तम्यू प्रधानतः दो भागों में
फननड, क्यो पल रि, मणि, से नोन, पड गड, लहुन ।
यिमक हैं:-महा पुरोहित रहते हैं उसका नाम पुरु
नसे, मम-तसे, तमा ठाड, रय रिङ्ग नुय लिङ्ग दे पिय ।
तुन भोप! और जहा देवमूर्ति और धर्म संकात चित्रा
लिह। ये सब स्थानके नामानुमार प्रमिद हैं। इनक, यसरी सजिट रहती है उम म शिचतानीया युच्छा
सिपा सम-यास, गा रदन, दपुर सरर, नम यल छोड़
नुन मोएगों है। एक एक फुपलम मौसे उपर पुरोहित
६, रमोन्छे मोर पम्म पय, दपेरिप-गय, जन लछे, छमन !
रहते देखे जाते हैं।
मरिन (१२२२० फुट ऊचा), दीपा उगु दोड ाश्य यो कदा या छोरा तिम्वत-हेमि पा होमिस, लम
जय, रङ्ग, तिङ्गगे, पुन-नयोगसलिए मम दिड ।
युर र पोग्रिङ्ग (तुर्दिस्तानके मानचित्रमे थोलिङ्ग
(१४५१२ फुर जचा दिपुङ्ग (यि-गुह) स्मिन म) धेग छोम, कोठदशोगस यम ल, मपो, पियुग
प्रोल लिड (मिन्दोलित) राने धग, दपल पर पाल शेर-गल, यि गुगे, वनुम दुद लिड, पोचि और
गुरु-छो-यह यह कर-गु पोर छु छ, गैन-मसि देज।
पदागि।
काय मेवा, पापोंक, रिछचे, दो यु मर पुरेपु -पर-पहाको मिस उपत्यकामें कोर महाराम
मेन देलरम, परोन, कोन् दम, मो-लुन् छमम ।
महीं देखा जाता । उसर दिग्धती अधित्यका दिमागमें
पोन स, मरतोन, रिण उन-सुन, तसेनघुरु गपुन, ।
है या नहीं कह महाँ साना पडके वीरतीया पतरे
मौर मादि प्रधाम प्रधान की सघाराम विद्यमान
लामाका दाम है।
है। समूचे तिसराक मठाधम या सहारामती
भूटान-तापि छोद मोग पुापाड उयम स-से,
सण्या इमारसे कामहीं होगा। इन सय प्रमिक्ष
पाकरो, पाह, रतम छोग र्गन फ६लि सम झिन, मा
सहारामको गरम पवित्र छोसेन (चैश्य या स्तूप)
तथा मनदी (स्मृतिसम्म) यियमान हो जाते हैं।
Bास गन मा डाल पुग, कारिमपोन, पेछोड मादि ।
धा-युम हो-कोर या प्रसिद्ध पेक्मि-सहाराम,
भूट मक महा-मा घमराज भोर देवराज तापिडोइमह
सुन्तै-पान, पुम्युम (यहाँ पर पेतचन्दनका वृक्ष है।
महाराममें पास करते हैं।
पहते है, दि यह रक्ष तसोड-स-पाके मम्मकालीन ।
सिक्मि-सङ्गलिस, दुरवि, पेमिमोड़छि, गार,
सपिरिङ्ग सेनग, रिमधिनयोग, रौतमलि, रम थक,
मिनापित रास उत्पन्न हुमाया। उमफे पत्ते रग
रिग है। प्रत्येक पसेम नरसिद तथागतको शि
फाल (फोय), डेमो रसुपेरि, साता
मन्ति है। पापगत्य प्ररनतारयिम् एस एस पत्तको
(दो-लु) पएछि, फेमसुङ्ग करलोक, दलिग (को
देश कर लिया है, कि उमफ पत्ते में तियताप घर्णमा
किट), यनगर (म्य सगड), बल्य एक हुन
वित है। यह मनैसर्गिक मापार सचमुच विस्मय से, सिनिक (जिमिग), रिहिम (घट्टगोन),ति
पर)पाजो-यो- मामा मन्दिर है। । थेम, रत्सग-नस, मन, विदोद, फतुर (फगसम्मंड),
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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२६४
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