२६० लाला लाजपत राय-लालासाव और अमेरिकाके बहुत समाचारपद्रोम अपना प्रान्ध देते। वर्षमें राजनैतिक आन्दोलनका एकमात्र लक्ष्य स्वराज थे। लालाजी १६१६ ई मे जब अमेरिकामे थे. तब ही है। भारतके सेक्रेटरीने उन्हें यहासे इ गलेण्ड आर माग्न लाहोर में आपने एक तिलक राजनैतिक विद्यालय सानेको भनाही की थी। उस समय पञ्जायमै भीषण, चोला था और उसका सब सच आप खयं देते थे। यह अकाल पडा था और गवर्मेण्ट की ओरले प्रजामा पर विद्यालय आज मी उनकी कोतिका गौरव बढ़ा रहा है जुलम होता था। पीछे सरकारने उन्हे स्वदेश तानेरी लत्ता हिन्द महासमा आप प्रेसिडेण्ट थे। १९२१ अनुमति दी। १९१६ ई०को २८वी नम्बरको अमेरिका- ई०ने आल इण्डिया ट्रेड युनियन कांग्रेसका जो दितीय के न्यू यार्क नहरमे अमेरिका-चामिगेने मापदी विदाईको । अधिवेशन हुआ था उनमे आप ही सभापति नियुक्त एक भोज दिया था और आपको भूरि भूरि प्रशना की। टप थे। लाला लाजातराय श्रमिक लोगोंको थोरम प्रति थो। उसमे बापने कहा था कि मै लडाई इरना नही निधि स्वरूप जेनेभा भेजे गये थे। वहा जा कर आपने चाहता, सिर्फ नाडा और दक्षिण-शरिका-नासियों-' श्रमिकों का उन्नति के लिये बहुत काम किया था। लाला को जैसा अधिकार मिला है, भारतवासियो मासि। जाका बिश्याम था, कि 'यद्यपि कौसिलसे असहयोग वैसा ही अधिकार मिलना चाहिए । १६२०ई०की २०यो करने से कुछ फायदा नहीं होगा तो भी कांग्रेसके मता फरवको आप अमेरिकासे चम्बई पधारे। वहां यादई नुमार आप मिल रहा गये। पाछे जय फनिससे वामियाने यापका यथोचित समार दिया। लाला' पौरिन्दम जाने का विचार हुना, तय मापने लेनिसटे लाजपत गयने एक बार कहा था, कि गवा एटसे जितना दिन एम्ब कामे प्रवेश किया और जाती-दलके नेत अधिकार मिले, उसे प्रहण परना हम लागोंका फर्ज है।, ६५।। उसके लिये थान्कानी नहीं करना चाहिए। लेकिन मिन मेश्रो नामको एक अमेरिवन लेडीने 'मना गवौ एट अगर फिर लौटा लेना चाहे, तो उसके लिये डिया' (lother India) नामकी एक पुस्तक लिया घोर प्रतिवाद नाना चाहिए। उसरी उन्हान भारत-रमणियों के चरित्र पर बड़ा धन लाला लाजपत रायको जब जलिवान गला बागगेनछु ' लगाया था। लालाजाने उसके जबाव "मनहाएं रताके साथ पजावियोंके प्राप लेनेशी पुगे गदर मालूम डिया' ( Chhapp, India ) नामको एक रिताः हुई तथा हटर कमिटोसेमी कुछ विचारका उम्मेदन रक्षा, लिख पर भारतकै मानसम्मकी रक्षा की थी। तब आपने कहा था, कि जिन सव आफिसरोंनि ऐना १६२८ ई० नवम्बर महीने में जव साइमन कमीशन जुलम किया है उनसे असहयोग करना चाहिये । म त्मा: लाहोर आया था, तब उसका प्रतिवाद करनेके लि गान्धीका भी यही मत था। १९२० १० जनमद नेमें, भारत के सब नेताओं के साथ लालाजी भी लाहोर स्टेशा आपने अपने सवादपन 'वन्देमातरम्' में लिगा था,- जा रहे थे। इसी समय एक अगरेज पुलिशने आपके 'पक्षावके सिव-सम्प्रदायने सर माइकल छोडोपरक छाती पर लाठीमागे धी। उसके घई दिनों बाद १६२ विरुद्ध जो सब दोपारोपण किया था, गवर्नमेण्टने उसया: ई०की १७त्री नबम्बरके प्रातःकाल आप इहलोक छोः कुछ भी विचार नहीं किया और सर माइकेलको निर्दोष ' परलोक सिधारे। बताया । दस हालत में मैं नौसिल में जा नही सकता है। लालाविष (० पु०) लालाया विप यस्य । वह जन १९२० ई०के सितम्बर महीने में जो कलकर मे पास अधि । जिसके मुहकी लारमें विष हो । जेने,-मकड़ी। वेशन हुआ था, उसमें आप समात हुए थे। उस समय, लालासव (हि.स्त्रो०)लता, मडो। भारतमे अमहयोग जोरों चल रहा था। उपौ सालके । लालान्त्र ( स० पु. ) १ लामा-निःसरण, मुहम ला दिसम्बर महीने में नागपुर में कांग्रेसका जो अधिवेशन यहना। २ लूता, मकड़ी। हुआ था, उसमें आपने प्रस्ताव किया था, कि भारत- लालास्राव ( स० पु०) लाला नावयतोति सु-णिच् मण
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