पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३९०

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लोहरु मोहित चार राजके दून स्परूपयारेज मेनापति ईलेक्स पास। वार्षिक १८ हजार रुपया वेतन पाने लगे। १८८४ इ०में गपे और रानकीय सम्बध लेकर दोमि जो मनमुटाव ) अगाउदानकी मृत्यु हुई। यह उन लडके प्रमोर उद्दीनन चा पा रहा था उसे रहनि दूर पर दिया। इस बायके | राज्यश सनमा घागडोर अपने हाथ ली। कुछ समय पुरस्कार स्वरूप हे यलगार पतिसे लोहार देश मिला बाद वे क, मी, माइ, ईका उपारिस भूषित हुए । १८६३ तथा लाई लेकने कृनश दपमे हे फिरोजपुर परगरेका से १९०३३० तक उनके भाइने राजमार्य चापा, क्योंकि ासनमार ममपण किया। अरेनोंके साथ उनकी जो। वे मालेरकोटला राज्यके सुपरिपडेएट यनाय गये। मघि हुई था, उसमें अहनि युद्धविग्रहम मदद दनेवा। इहै पुरसत बहुत कम मिलता थी। पर्शमान नावका वा दिया था। नाम है फैप्टन नवाव ऐजुद्दीन अहमद वहादुर फ्य ____ अामदा मृत्युपे बाद उनके व लडक समसुद्दीन , रद्दौला । है ६ तोपोंकी सलामो मिरती है। राजशे खा सिदामन पर बैठे। पितु १८३१३० वे रेसिडेण्ट | आय कुल मिरा कर ६६ हजार रुपया है। नयायो मि० मेजरके हत्याकाण्डमें हित थे इस अपराधों | १५फ्युपिट माला सफामका एक बक्स रखोका दिल्ली नगरम उ है फासी हुइ । उनश फिरोजपुर पर | अधिकार है। इसके लिये है २८० रुपये पर देने गना भी जब्त किया गया। आखिर अदरेनरानने अमीन ) पहन है। रद्दान पा और जियाउद्दी खा नाम समसुहोन दो २ उक राज्यको राजधानी । यह अक्षा० २८ २४ भाइयों के बीच लोहार सम्पत्ति वरावर घरावर वाट दी। उ० तथा देशा० ७ ५२ पू० हिस्सारसे ५२ मोल १८७३०के गदर में उन दोनों भाइ दिल्ली में रहते थे। दक्षिण अपस्थित है। जनसख्या ढाई हजारके गभग रिट्रोहियोंनि नब दिल्याने राडारा, तव अहरेजति । है । यहा पा समय लोहे की खान थी जिसमें लोहार रोग निधियका बोरसे दोनों माइपर पडा पदरा पैठाया गया | काम परीथे । उमा लोहारमे इसका लोहार नाम हुशा था। विद्रोही विसी तरह शामिल न थे, इम कारण है। यहा यावका लामाद, कायालय अस्पताल, जेल, पिोह-दमनके बाद गारेर गएटन है मुक्ति देकर | डा और तार घर है। फिरमे राजभोग करने दिया था। १८६० अमीर लोहागर (स० को०) गोहम्य अर्गल मिर। १ एक तोध उद्दोनको मृत्यु हुई। इस माय उनके पुत्र अाउदान् । का नाम | वराइपुराणम इस नीथका माहात्म्य यर्णित लोहारती ननावी मसनद पर बैठे। पहले अगरेजराना है। २ लाहकारक, लोहेका सू रा। पन्नीरस्नानुसार मानवे मा जियाउद्दीन महारा लोहायत्-राजपूना जोधपुर राज्यका एक शहर। यह नघाव हुए मही, पर ये राज्य कामनकार्य में किसी तरह | अपा० २६ ५६० तथा दशा० ७२ .६ पू० जोधपुर दस्तक्षेनर माने। वे मगरेजराज द्वारा निदिए | महरमे ५. माल उत्तर पढता है। जनसल्या पाच १८००० मा वानिक पृत्ति रे र दो मतुए थे। हतारसे ऊपर है। बगरज गएटये विश्वास भाजन होने नया बङ्गरोहामुर ( स० पु.) असुरमेद । लगेहामुर माहात्म्यम जराजका मानुगत्य स्वीकार करना कारण भारत सा | इसका विषय यणित है। पारन १८१४ १० गाउदानको नधायकी उपाधि तथा गोहि (२००) श्यतरण, सफेद सोहागा। गाद सेना अधिकार देकर सनद दो। १८८४ इल्म रोहिका (सं० सी०) लोहनस्त्यतेनि रोदन्टन। लोद राजा गर बनोटकन हो गया, इस कारण सम्पत्तिा पान, लोहका वातन । पयाय-खरसेन्दि, परपाल । रक्षा रहने १२ या यादे पर स्थानीय गर लोदित ( स.ली.) ने इति रह (म्हरच ना बा । उय मेंट में हरिया! म समय लोहाग गयश परि ३६४) इति इतन् रस्य स्व रगो२५ पुम, चाल मार महादान पुरके हाथ मौपा गपा। कमरा ३वरदा, लाल चन्दन । ४ पत्तन पाता। नपाय मटाउहीन दूसरे सामन्त मियाउद्दी तरद । ५६रिचन्दन। ६ तृण कुम । ७ रधिर, यहा८ युन,