लोहिताती-लो
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( मारत ४११३१२) ४ सर्पभेद एक प्रकारका साप लोहितास्य (स.नि.) रकरण मुग्नविशिष्ट, लाल
५सन्दानुवरभेद । (मारत ६) ६ अपिभेद । (नि.) मुंहशाला । २ रचा मुख, सून लगा हुआ मुंह।
७रक्यणं चायुक्त, जिमको आम्बे लाल हों। रोहिताहि (स० पु० ) रतवर्ण सर्ग, लाल साप। ।
लोहिनाक्षी (स ० स्त्री०) रोहिताश लिया टीप् । १रत | लोहितिका ( स० स्त्री०) १ रक्तवहा नाडी, यह धमनी
लोचना, यह जिसकी मापे लाल हो। २ सान्दानुचर जिस हो कर रह वहता है।२ मअिष्ठा, मजीउ।
मतभेद (भारत सल्याव) ३ जासन्धि र पाहु लोहितिमन् ( स० पु०) रोहित्य लाल रंग।
सघि, घुटना और फेहुनि । ४ जानु और पाहुश सन्धि | लोहितीभूत (M० दि०) रतरतामात, जो लाल हो
स्थान।
गया हो।
लोहितागिरि (स.पु.) पर्वतभेद । ( पा ६।३।११७) | लोदितेक्षणा (स० पी०) रत चक्षु, लाल आपे ।
रोहिता (स.पु.) रोहित अङ्ग यस्य । १ मङ्गल प्रह।
१ महल प्रहलोहितत (स.वि०) लालचिहविश्लिष्ट ।
२१म्पिल पृक्षा कमीला नामा पेह।
लोहिनोत्पर ( स० को०) रक्त पदम, लाल कमल ।
लोहितान (स. पु०) लोहिलमानन मुख यम्य | लोहिताद ( स० पु०) १ पुराणानुसार छोस परकॉमिस
१ नकुल, नेग्ला। तर मुख लाल मुह। एक नरपका नाम । (त्रि०) रोहित उदक यत्र । २ लाल
लोदितामुन्नी ( स० सी० ) मरमभेद, एक प्रकारका हथि
सका पीलाल हो।३रचा ।
यार।
लोहितोर्ण (स० वि०) लोहितानि ऊर्णानि यस्मिन् ।
लोहितायन ( स० पु०) गोत्रप्रवर्तक पिमेद रोहितके | साल्वर्ण अणविशिष्ट जिसके का लाल हो।
गोलापत्य ।
लोहित्य (मा० पु०) लेाहित ध्यत्र । १ धान्यविशेष, एक
लोहितानि (सरसो०) ठोहितापनस्य गोतापत्य यो प्रकारका धान । २ एक प्राचीन नामका माम । ३
लोहितायनकी यशोद्भवा । यह शायद लौहितानि धाल्मीकिने कपिचती नदीका इसमें हो पर पहना लिखा
शब्दका अपमयोग है।
है। ४ ग्रह्मपुत्र मद । ५पक समुद्रका नाम | पुराणानुमार
लोहितापस् (स .कॉ० ) लोहितमय । तान्न, नाया। |
| यह पुशदीपने पास है।
लोहितापस (स की०) लोहित शायसम्। १रत लोहित्या (NO सा०) ११५ बी नाम । २१
पण लोहजाति १२ ता ताया। (नि.) ३ ताम्रनिर्मित, | अप्सराका नाम ।
तावाका बना हुमा।
रोहित्यापनमा ( रनो०) देवीभेद ।
लोहितार्ण (सपु०) घृतपृष्ठ पर पुता II लोहिनिका (N० स्रो०) १ रतयां प्रा, डाल रगशे
(भाग० ५।२०१२१) | औरत । २शिराभेद । माहितक देवा ।
लोहिताट (स.वि०) रसार, सूनसे वरायो। रोहिनी (स० स्त्री०) रोहिता (षणादनुवादिति । पा
लोहितार्मन् (म क्लो० ) यह रवगुरिया या फुसिया १३६) इति डोप तारस्य नकारादेशश्च । रत रो।
जो आपको पुतलीफे पास सफेद चमडे के ऊपर में उत्पल लोहनिश (सं० ग्रो०) रकरण दो मविशिष्टा, हाल
होती हैं।
ज्योतिश।
लोहिताउ ( स० पु०) रस पिएहाल राल रतालू लोदिन्य ( स . पु० ) गोत्रप्रवर्तक ऋषिमेद । शायद
लोहितायभास (स.नि) राम, लला स्पिा पहलौरित्या प्रमादिक पाठ है।
लोहिताशीष (स०पू०) रकाशोक, यह शोषका पेड लोहिपा (हि.पु.) १लोहेगी चीजोंका यापार परो
जिसमें लाल फूल उगते हैं।
घाटा । २पनियों और मारवाडियोंका पर नातिका
लोहिताय ! R० पु.) रोहितवर्ण मधारोही, लाल | माम । ३लाल रगत थैल। ४ लोकी बनी हुइ गोला।
घुडसवार।
लोहि पु० । र, खून।
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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३९२
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