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वदेश
खड गपुर-यहां बंगाल-नागपुर रेलधेका प्रधान कार- श, पाल और नवतीय नापनियोंका योग्ता-
खाना है । गह उक्त लाइनका एक प्रधान केन्द्र है। गौग्य शिलालेजें और प्राचीन राजकुल पनि दिया
आसनसोल-ईट-इण्डियन और बंगाल नागपुर गग। बगाल कर मुमरमानों पर चला गया था,
रेलचेका जङ्कशन । यहां ईट इण्डियन रेलवेका बहुसंख्यक तर नी वारयाफा अनुर प्रताप समन यंगाली
loconmotires रहता है।
प्रतिध्वनित होता 11 राजा प्रतापदिन्य, गजा गोष,
___ सीतारामपुर-यह) कोयलेकी खानके लिये सीताराम शादियो वीरत्व काहानियाँ और युर नियु
प्रसिद्ध है।
णताका विषय कीन नहीं जानता ? अधिक शिनॉमी यात
नागयणगढ-यह पूर्ण बंगका एक प्रधान बन्दर
नाही, ईमाकी १८वी तान्टीले मध्यभागमे जानको राम,
एवं पार और चावलके व्यवसायके लिये चिस्यात है।
मोहनलाल मादिगाली बोरों साल-बल रणक्षेत्र
यहां पाटकी बहुन सो फलें हैं । नारायणगा ढाकासे
अवतीर्ण होना हम देगनेस वानरयो जनादो में
रेलवे लाइन द्वारा संयुक्त है। यहासे स्टीमर के जरिए
लेफ्टनेएट काल घोपने भी उस नीरस्य प्रभाव अक्षणा-
ग्वालन्दो और चांदपुर जाना होता है।
रश्मि हामी ली थी। आज भी उस दिनी घान ६,
___ ग्वालन्दो-पद्मा और यमुनाके संगम पर अवस्थित
हि श्रीनरेशचन्द्र विश्वास आदि कई बंगाली बीगेने
है। यह ईटर्न बंगाल रेलचे द्वारा कलकत्तेने तथा स्टीमर
जर्मन वाग्मे निदेशोने जा घर धीरता दिग्वलाई है।
लाइन द्वारा नारायणगढ, चांदपुर और कलकत्तेके साथ
रिन्तु दुःखका विषय है, अगरेज राज फठोर
मिला हुआ है। यह उत्तर और पूर्व बलका पक प्रधान
शासनमे और राजएडविधिक नियमके कारण सय
वन्दर है।
गौग्य न जाने कहा चिलुप्त हो गया है, उसका चिहमान
सिराजगञ्ज और मदारीपुर-यह पाटके ध्यवसाय
तक नही।
के लिये प्रसिह है।
सुप्रसिद और पानीन बंगाल के विभिन्न राजवंश
नवडीप-व गालके हिन्दू राजाओंकी शेष राजबानी।
अन चैसे राजगजि सम्पन्न नहीं। दरिद्रताके कारण वे
यह चैतन्यदेवका जन्मस्थान और लीलाक्षेत्र है।
भी अब निग्नेज और निष्प्रभ हो गये है। उनको चश-
अलीपुर-यहां गवर्नमेण्टकी पशुशाला ( Zoologi-
धर या उत्तराधिकारी केवल उपाधि ले कर हो संतुष्ट
cal garden ) है।
हैं। कुछ राजे गनरत होकर सरकार के अधीन हो
___ वराकर-यहां लोहेकी खान पाई जाती है और लोहा।
वृत्तिमातवा उपभोग कर रहे हैं। बर्द्धमानराज, विष्णु-
भी प्रस्तुत है।
पुरराज, कृवविहारराज, 'नदियाराज, नाटोरराज, समग्र
शक्तिहीन हो गये है। उसके सिवा और भी अनेक राजे
नैहाटी-ईट इण्डियन और ईएन वगाल रेलवेका
और जमीदार हैं, वे राजानुग्रहलामके सिवा कभी भी
जडशन । यहा भागीरथीके ऊपर एक सुन्दर सेतु है।
स्वाधीनताकी लाभेच्छा नहीं करते। वरं विषयवासना और
वर्तमान अवस्था।
राजाको कृपाप्राप्ति के लिये निरन्तर अविवेचकोंकी तरह
___अवस्था परिवर्तनके साथ बंगवासी बंगालियोंका दरिद्र प्रजाका रक्तशोपण कर रहे हैं। अक्षय होने के
भाग्य भी मन्दा होता जा रहा है। जिन बंगालियोंकी | कारण प्रजाका वाइवल अपनोदित हुआ है और साथ
वीर-कहानिया चिरन्तन कालसे इतिहासमै उज्ज्वल-पट ही सार राजशक्तिका भो अभाव हुया है। दरिद प्रजा
पर अंकित है, वे ही बंगाली आज मुट्ठी भर अन्नके इसी तरह भूवों मर रही है। उन पर भगवान् कष्ट पर
लिए लालायित हैं । महासारतके युगमे भी बगीय वीगेका कट दे रहे हैं। यह निरन्तर दुर्भिक्षले पीडित हो रही है।
प्रभाव दिगन्त में व्याप्त हुआ था। स्वाधीन बंगालो राजे उपनाष्टिके कारण अन्नामावले प्रजाका सर्वनाश हो
अपने दोर्दण्ड प्रतापले राज्यशासन कर गये हैं। शूर-{ रहा है।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/४५७
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