पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वर्तमानता-बत्तिक चठती है, ममाप्त नहीं हुई है। यह यत्त मान चार प्रकार | पर्सलोह (स ली०) वर्तते इति पुत् अच् तत कम- का है, प्रचोपरत, मृत्तापिरत, नित्यप्रत और धारय । लोहविशेष, एक प्रकारका लोहा । पर्याय-- सामाया पातीक्ष्ण, यतक, लोहसङ्कर नीलक नालगेह, इन चार प्रकारके वर्तमानमेंसे सामीप्य दो प्रकार नीलज, यसलोहक । वैद्यकर्म शोधे हुए यत्त लोहको कफ, पा होता है-मनमामीप्य और भविष्यत्मामीप्य । न दाह और पिता माशक और उसफ स्वादको क्टु चारों वर्तमानका उदाहरण यथा--'मास न खादति' मधुर मीर तिल लिया है। यह वही लोहा है जिसक इम वापप 'प्रत्तोपरता पाई जाती है अर्थात् वद जाम | घिदरो यरतन बनते हैं। से हो माम नहीं खाता। 'इद कुमारा कीडन्ति' इस वर्गम ( सल0) पक्षमपक्ति ।' धारा पृयिया यत्तांश यायपस यह मालूम होता है, कि चाहे कहने के समय विद्युत" (शुक्लयज० २५१ ) वर्ता पक्ति ताम्मा । लहक न खेलन रहे हों, पर उमके पूर्व का दार खेल (महीधर) चुके हैं और मागे मी घरावर खेले गे। इसरिये से ! पति ( स० स्त्री०) वत्ततेऽनपेति वृत (पिपि हि मृतीति । पृत्ताविरत वर्तमान कहते हैं। 'पतास्तिष्ठन्ति इम उण १११८) इति इन् । १ दीपदशा पत्तो। २भेपन यापयमे पर पर भून और भविष्यत्कालमें रहनेका निर्माण पत्र बनाना । ३ भजन । ४ लेन । ५ यह पत्ती सम्यध सूचत हाता है, अतः यह नित्यप्रवृत्त वर्त ' जो चैद्य घायम देता है। ६ अनुलेपन, उघटन । ७ गोलो, मान है। घटा! ८ दोग, दोया। __पदा आगोऽमि इति प्रश्ने गरोदादे समान ____ गराहपुराणमें लिखा है कि गेठा, शम्ब, सैघर त्यान् पोऽह अगामि इति आगताऽपि घदति' अथोत् । नापण, यन, फेन, रसाजन मधु पिड और मन पप आये हा? ऐमा प्रश्न करने पर थापा हुधा प्य २ | शिग इन सव द्रव्योंको व कास तिमिर और परल 'यहाँ मैं माया' उत्ता दता है। यहा यद्यपि उमा मान, रोग नाश करता है। (गरुडपु० १६८ म०) समाप्त हो गया तो भी उमकामीगो रहनेक कारण भावप्रकाशम रोपणी और रनबनो वत्ति का विषय यहा भूतमामीप्य उत्तमान हुआ। 'दा गमि यस नि प्रश्न पोऽ। गामि त गमन प्रयमाणोधोडाप रोपणीपत-तिलपुष ८० पपा ६० जाताफ- ५० यदान' क व जाओगे? यह प्रान करने पर जाने वाला तथा मिच १६ इन सर्वोको जलमें अउ तरह कर व्यक्ति माना जाता है यह उत्तर देता है। यहा उमा वरित बना और इस यस मान भजन गाय । जाना शुरू न हान पर भा भविष्यतो ममीपताक कारण। इससे फास, तिमिर, अर्जन शुक्ल और मामवृद्धि र याभाव तमाम प्य वर्तमान हुआ। यहा चार प्रसार । होता है। इमको मात्रा उदभर है। कायमान है। धातु भौर कालगन्द दसा। ___घतमान कालम लट् यित्ति होता है। २ वृत्तात, ____ स्नेहनापत्ति- मायलेका बाज १ तोला, बहेका ३ सामारलता व्यवहार (नि.) ४ चलता हुमा, त सोग गीर हरातको ३ तोला, इन मोका जाम पीस जो शारी हो, जो चल रहा हो। ५ यिद्यमान, उस्थित पर उदभरका यरि चनार और उममे मात्र हा नन मौजूद १६ माक्षत् । आधुनिक, दलका करे। ऐसा करनेसे अश्रु प्राय और घातातम जो पीडा वत्तमानना (म. खा०) पर्तमानस्य माय तर टा। होता है, उसका नाम होता है । (भावमा द्वितीय० ६०) समान मानदगो। पत्तिक (स.पु. १ पशिविशप, पटेर। पर्यायवार्तिक, २ मा (म0पु0) पत्तों यतन राति गृहासोति या यत्ती, गालिकाप। इसके मासका गुण निर्दोष, पोर्य वाहुल गात् ऊम्। १५% नदारा नाम | २ काकनीड, तथा पुष्टिपटक, मधुर, पक्ष, कफ और घायुनाशक मा काया घोमा ३द्वारपाल। गया है। (राजनि०)