पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/७२२

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वमन्तरोग ७४७ यचे पर मारमण करता है, किंतु कमी कमो युवक , उन गोटियाँकुछ गाढा तथा अवच्छ हो पढ़ती हैं। व्यक्ति तथा यया स्त्रियों को भी आसान होते देखा चौधे तथा पांचवे दिन कण्ड शुष हो जाता है एवं उस जाता है। कोइ कोह कहते हैं, कि यह भी एक प्रकारका! पर वारो मिल्ला पड जाती है। इसके बाद धीरे धीरे मतरोग है किन्तु परीक्षा करके देननेसे अनुमान ऊपरका शुक चमढा गिर जाता है। इस तरद पपरीफे होता है, कि यह ए म्वत व रोग है। कारण यह है, कि सरित हो जाने पर कुछ दिनों तक शरीरमें सामान्य प्रमत वसत तथा पान यस तमें मूलत बहुत पृथकता लाल दाग रहता है । विसा किमी स्थानमें गहरे दाग देखो नाती है। अणुपाक्षण द्वारा विशेष पर्यवेक्षण | देखे जाते हैं। माधारण लक्षणेक मभ्य सामान्य घर, करते देखा गया है कि इसकी रसिका तथा मवादक सदी तथा चमडे में फ डुप वत्तमान रहते हैं पर शरीर मध्य प्रकारका मुग्म उद्भिज विद्यमान है। से ए प्रकारको गध frकरती रहती है। किमो शितो समय यह १० से १८ दिन पर्यन्त । निर्णयतत्व-टीका दोके बाद सातरोग होने पर गुप्तावस्थामें रहता है उस ममय उसमें कोई विशेष Hोनि कमी कभी पल यसत होने का प्रम दो सप्ताहै। यमत लक्षण नहीं देने ज्ञाते। फिर पिसी समय सरका को । को गोटी निकलने के पहले कमरमें दर्द, उल, गिरमें रक्षण उपस्थित न हो रही पहले कण्ट्र पहिगत होते , पोड़ा आदि का लक्षण दिनाइ पड़ते हैं, जितु इस पीडा देखा जाता है। मितु कमी कमी कण्ड पहिर्गत होनेके | में ये रक्षण प्रगट नहीं होते । जल यस ता मारण २४ मा ३ घटा,पहले शिरोदना आलम्य तथा सामान्य पमतकी तरह दृढ नहीं होता। भेसिल अवस्था ज्या उपस्थित होता है पय सामान्य नासी तथा वायु । परिणत हाने पर निम्नमागमें बमतो गोरियोंके समान नलाये प्रदाह ममी रमण पत्तमान रहते हैं। परमे। ममी गोटियाँ अघी वा फदिन नही होती। साम प्रथम पा द्वितीय दिवस सहसा स्पोटये निकल पाते छिद्र करने पर चिकेन पाफ्स पूर्णतया सकुचित हो है। पहले यशस्थल वथा कि घमैं दिवाई पड़ते है, पाता है। इसके बाद ४५ राखिके मध्य ही क्रमश सारे शरीरम भारीफल-मरे रोगी को अधिक का भोगना नहीं फै जाने है एव मुखमएडल सामान्य भाचर्म आक्रात परता, यह रोग मासानासे माराम होता है। किन्तु होता है। किमी किमी प्रकारके मतानुमार पहरेमे हो। आरोग्य हाम करने पर भारोगा 3 दिनों तक दुगर के समान योग थोडारम पर्तमान रहता है। रहता है किन्तु अधिक समय विचित् उच्च तथा उरल चिक्त्मिा -इसमें किसी प्रकारक ओपधि प्रयोग लार वर्ण दाग बाहर होता है। यह दाग चार पांच घटेके करनका आवश्यकता नही दोतो। इस रोग मयंदा भातर हो रस गोटियोंम परिणत होते देखा जाता है। पेर माफ रखना चाहिये पय हलग मेगा देना उम ममय गोटियोंके देखनेसे मालूम पहना है मानो | चाहिये । घर तथा ग्रामी रहीं पर उमके निवारणार्थ बोर हुए पानीका छोरा दे कर रोगाकी देहम फफोले | उपयुक्त ओषधियों का प्रयोग करना चाहिये । माधारणत: उत्पन किये गये हों। २४ घटेके मध्य मेमिकल फ ग्राम्य लोग रोगोको पायक सिलाते हैं, उसे यस तकी भौतरका रस कुछ गदाला हो जाता है पर तासरे दिन "जाही' कहते हैं। बनिए को दुकान पर यसतको 'जाडो पर एक भसिपल मगदमे भरी हुइ गोटियोंकी तरह देने गोजनेमे पूरे परिमाण मिठता है। - नाते ६ । मेमिरेलसमूह देखनेम गोल अथपा म साकार चमतमतुम हम गोंक देगमे यम त रोग प्रादु पर वम तकी गोटोफ समान होते हैं। इनका रूपरी, मार होता है। इस रोग: उपद्रवी शानिय लिये हिस्सा पिया पिया इनका कोटर विभक्त नहीं। हम लोगों के दाम भीतलामा पुजा तथा स्तरायचादि रहता । छेद का इनेस गोरियां बिल्कुल सिकुड पाठ होता है। मोटो म तरोगी अधिष्ठाती जाता है और परिमोला नहीं रहता । २४ घंटे के अन्दर देवी हैं पर ज्वरासुर उनका सहकारी है।