पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/७३३

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७५८ वसिष्ट-वसु मांगो।' वशिष्ट वोले, 'महामाये । यदि भापकी मुभा सदाचार आदि अनेक विषय वर्णित हैं। २ योगवासिष्ठ । पर हपा हुई, तो मुझे यही पर दीजिये, 'जो इस वाचार- योगवामिष्ट भी वसिष्ठसहिता दी कहलाता है। का माश्रय फर तुम्हारी नाराधना करेगा, तुम अवश्य / वसिष्टसिद्धान्ग (सपु०) ज्योतिषका एक सिद्धान्त उसके प्रति सुप्रसन्न होगी।' देवी 'नथास्तु' कह कर प्रन्थ । वोली, 'वत्स | अणिमादि सिद्धियां तुम्हारी सर्वदा संवा वसिष्ठान ( म०पु०) सामभेद । करेंगी। मुनिवर वशिष्ठ महामायासे इस प्रकार वर साठानुपट (म पु०) साममे । पाकर नक्षत्रलोकको चले गये और तभीसे याजनक वमिष्ठापमा (सं००) सरस्वती नदी के किनारेका एक वही दीप्ति पा रहे हैं। (चीनाचारक्रम) प्राचीन धान । कारने हैं, किव यसिष्ट और विश्वामित्र- वसिष्ठ (सं० पु० ) वसिष्ठ पृपोदरादित्वान् शग्य सः ।। के बीच घोर युद्ध हुआ था, तब सम्म्बती नदीने वमिष्ठ- वनिष्ठ मुनि। (द्विरुपको०) को विश्वामिन बचाने के लिये इसी स्थान पर छिपा वसिष्ठ-एक प्रसिद्ध पण्डित। इन्होंने इतिहास, गएडा लिया था। तादि दोष बिचार, ग्रहशान्तिपद्धति धौर शान्तिविधि | वमिटोपपुराण (ग्नं० लो०) एक उपपुराण । देवीभाग. नामक कितने अन्ध लिखे । यह शेपोत पन्ध वासिष्ठी वर्ग म पुराण उल्लेव है। काई कोई इन वासिष्ठ शान्ति नामसे परिचित है। लैनपुराण कदा करते हैं। वसिष्टक (सं० पु० ) वसिष्ठ ऋषि या तत्सम्पन्यो। | वनीका ( भ० पु० ) १ मुसलमानी धर्मनार के अनुसार वसिष्टतन्त्र (सं क्ली०) तन्त्रभेद ।। वह धन जो विद्यमी या काफ़िर नकद रुपये के मुनाके- धमिष्टत्व (सक्लो०) वनिष्टके भाव या धर्म । के तौर पर लिया जाय । २५६ धन जो इस उद्देश्यसे वसिष्ठनित ( स० पु० ला० ) सामभेट । (नाट्या० ३।६।१२) सरकारी खजाने जमा किया जाय कि उसका सूत जमा वसिष्ठपुन (म० पु० ) वसिष्ठ के पुत्र या वशधरगण । ये करने वाले के सम्बन्धियों को मिला कर अथवा किसा धर्म- लोग ऋग्वेदकै ७३३।१०१४ मन्त्रद्रष्टा कहलाते हैं । गरुड- मार्य, मकान की मरम्मत मागि लगाया जाय। ३ ऐसे पुराणके पाचवें अध्यायम वसिष्ठपुत्रोका विवरण धनने आया हुआ सूद। ४ वकका रानामा । मिलता है। वसीयन ( 80 ग्यो०) १ यह अनिम वादेश जो विदेश वसिष्ठपुराण (सपु०) एक उपपुराण। इसका उल्लेन । जानेवाला या मरणासन्न पुरुष इस उद्देश्यसे करता है कि देवीभागवतमें है । कुछ लोगोंका कहना है, कि लिङ्गपुराण मेरी अनुपस्थितिम अमुक काम इस प्रकार किया जाय । हा वसिष्ठपुराण है। २ अपनी सम्पत्ति विभाग और प्रबन्ध सादिके सम्बन्ध बसिष्टप्रमुम्न (सनि० ) वसिष्ठपुरतः। वसिष्ठ ऋषि में की हुई यह पवस्था जो मरने से नमर को मनुष्य जिस कार्यमे अग्रणी हों। लिग्द जाता है, विल। घसिष्ठपाची ( स० स्त्री० ) एक जनपदका नाम । वसीयतनामा (म0पु0) वह लेख जिसके द्वारा मनुष्य वसिष्टशफ (स० पु० क्लो०) सामभेद । (लाव्या० १६३२) यह व्यवस्था करता है कि मेरी सम्पत्तिका विभाग और वसिष्ठसंसर्प ( स० पु० ) एक प्रकारका संन्यासो। । प्रबन्ध मेरे मरनेके पीछे किस प्रकार हो, विल। (यान्व० सी० ३०१२।२५) | वसीयस् (स० त्रि०) धनवान्, दौलतमंद । ( काठन २४१६) वसिष्ठसंहिता (मस्त्री०) १ एक स्मृतिका नाम, वसीला ( १० पु०)१ सम्बन्ध। २ किसी कार्यको उन्नीस महिनाओमेसे एक संहिता। यसिष्ठ मुनिने / सिद्धिका मार्ग, जरिया, द्वारा। ३ आश्रय, सहायना । यह स हिताप्रणयन की है इसोसे इसका नाम वसिष्ठ- वस्तु (सं० पु०) वसतीति चस-3। १ वकवृक्ष, अगस्तका सहिता पड़ा है। यह महिता वोस अध्यायमे ममाप्त पेड । २ अनल, अग्नि । - रश्मि, किरण । ४ देवतामोका है। इसमें पहले धर्म और धर्मके लक्षण, वर्णाश्रमधर्म, | एक गण । इसके अन्तर्गत माठ देवता हैं। यथा-धर,