पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/११५

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गज इनेवाले, साधारण अवस्थामें नम, शीघ्रजलपायो, बाल लगे,-देह बड़ा और कड़ा दोनों दांत लम्बे, नर्म और और पूछ पतलो, सफेद और लम्बो सुड, लिङ्ग छोटा सफेद होते भो निकम्मा, पेटू, मूत्र वा पुरोष पल्प पावं, होते भी पुष्ट और शरीरसे प्रभूत तथा उग्र मदजल निक- कानको जगह फेलो हई, रूए और गाल हलके होना लता है। इन गजोंके मस्तकम साफ और अच्छीमी गोल | मार्वभौम दिग गजके वजात कचरका लक्षण है। इन मुक्ता होती है। यह राजाकि अल्प पुण्यसे पृथिवीको हाथियोंमें वढ़िया मुक्ता मिलती है। नहीं कृते । लड़ाई में इनके दांत टूट जाने पर भी फिर ___ जिनको मूड लम्बी, देह ढीला, दौड़ प्रचण्ड, क्रोध, बढ़ पाते हैं। सर्वदा भक्षणाभिलाषी और हस्तिनोप्रिय, पूछ और दांत जिस कुञ्जरका सब अा कोमल, पूछ डंडे जसो न | पतले, गाल बड़ा. कान प्रायः न चले पार गालमें छोटे हो, गाल खुरखुरा, सर्वदा मद चुर्व और क्रोध बना रहे, छोटे बहुत रूए हों, सुप्रतोक दिग्गजके वंशसम्भूत देवप्रिय, मर्य भक्ष तथा बलवान और दांत और जीभ | | हैं। इन हाथियोंके मम्तकमे बड़े बड़े मोतो हति है। बहुत तोखी हो, पुण्डरीक दिग्गजका वशसम्भत है।। | प्राचीन ऋषियोंके मतानुमार मनुष्य को भांति हाथी रमके वीर्यसे कंवलका जैमा गन्ध आता ओर अधिक मट भी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र-४ जातियों में बंटे जल वा वमन देखा नहीं जाता । यह बहुत पानी पीना हैं। इनमें एक जातिसे उत्पन्न हुआ हाथा शुद्ध कह- नहीं चाहता और अधिक श्रम करने पर भी कम थकता लाता है। शास्त्रमें अच्छे हाथोक जो लक्षण लिखत, है। पुगडरीक वंशजात हाथी जिस राजाके घरमें रहता, विशुद्धमें सभो मिलते हैं। शूद्र तथा ब्राह्मण जातीय ममस्त पृथिवीका शामन कर सकता है। हस्तोसे उत्पन्न होते भी जिम हाथीमें ब्राह्मण जातीय __वामन दिग्गज व शके हाथियोका सारा देह बहुत हाथोके लक्षण देख पड़ते ओर बलवार्यवान् होता, जारज कड़ा और छोटा, कभी कभी मतवाले होते, हमेशा मद कहा जाता है। दो दिजातोय हाथियोंसे उत्पन्न होनेवा- टपका करता, आहार करके बलवान् और वीर्यवान् बन लेका नाम शूर है। फिर ब्राह्मण जातीय पोर जारजसे जाते, बहुत पानी पीना नहीं चाहते, कनपटीमें बहत जन्म लेनेवाला हाथी उद्दान्त कहलाता है। इमी प्रकार रूप, दोनों दांत भद्दे ओर पुच्छ तथा कर्ण सूक्ष्म एक दूसरेके संयोगसे बहुत सरहके हाथियोंको उत्पत्ति होते हैं। होती है। पराशर कहते हैं, जो हाथियोंकी जातिका भेद देह दीर्घ, सूड मोटी न होते भी लम्बो, दोनों दांत | भली भांति समझता, वह राजाका अमात्य बन सकता है। खोड़े, शरीर सर्वदा मलयुक्त, कनपटो मोटो और झग ब्राह्मणजातोय हाथो विशालदेह, पवित्र और पल्प- डालू हाथो कुमुट दिग्गजके वंशजात हैं। यह दूसरे भोजी होता । जो वलिष्ठ, विशालदेह तथा कर साथियोंको देखते हो मार डालते हैं। मनुष्य प्रायः इनके रहता, क्षत्रिय जातोय ठहरता है। दूमरो दोनां जाति - पास फटक नहीं सकते। योंके मित्र लक्षण हैं। अच्चम नामक दिग गजके वशमें उत्पन होनेवाले बिक्रो और कामको दूमरी चीजोंको तरह हाथोको हाथोका देह चिकना, पानी पोमेका बडा अभिलाषा भी देख भालके लेना चाहिये। सबसे पहले हाथोके और जंचा पूरा, दांत और मूड छोटो, दोनों दांत मोटे बसको परीक्षा की जाती है। देखने सुनर्ममें अच्छा पौर श्रमका दुःख उठानेवाले होते हैं। होते भी बलहीन हाथो नहीं लेते हैं जो हाथी जो हाथी सर्वदा मदजल और रेत: छोड़ता, अनूप १८००० पल मोना या तांबा लाद करके दोड़में ४० कोस देशका उत्पत्र, पूछ बहुत छोटो और बड़े वेगसे चलता चलने पर भी नहीं थकता, मबसे अधिक बलवान् ठह- पुष्पदन्त दिग्गजका वंशसम्म त ठहरता है। रता है। मध्यबल हाथी १४.०० पम्ल सोना या तांबा कए बहत, बड़ा, सम्बो राह चलने पर भो न २८कोस लाद करके ले जाने पर भी नहीं थकता। बके, खाने पोनेमे सब चालाक, मनभूमिमें घूमना पछा। १०००० पल भार २० 'कोस ले जा सकनेवाले हाथोकी Vol. VI. 29.