पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३३

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गजमद-गवरुन गजमद ( सं० ली. ) हाथीका मद । गजरप्रबन्ध ( मं० पु. ) स्वर और बाजाका मिलान । गजमदहरणी ( सं० स्त्री० ) शिवलिङ्गिनीलता, पत्र- यह गायन और नृत्य प्रारम्भमें श्रोताओं के सामने गुरिया। सुनाया जाता है। गजमल्ल-कपूरमल्लका लड़का । इनके पुत्रका नाम | गजरबजर (हि. पु. ) अंडबड, घाल मेल । कल्याणमन था। गजरा (हिं. पु.) १ गाजरके पत्त. जो चौपायोको खिलाये गजमाचल (मं० पु०-स्त्री०) गजम्य माचम् शाठयम् लनाति । जाते हैं। २ फलको माला। न वाहुलकात् ड: । सिंह। स्त्रीलिङ्गमें डोष होनेसे | गजराज ( सं० पु० ) बड़ा हाथो । गजमाचली होता है। गजराज उपाध्याय-बनारसुके एक हिन्दी कवि । १८१७ गजमात्र (सं० त्रि.) गजन परिमाणमस्य गज-मात्र । ई०को इन्होंने जन्म लिया था इन्होंने वृत्तहार नामक गजपरिमित, हाथी आकारका । एक काव्य और एक रामायणको लिखा है। गजमुक्ता ( म० स्त्रो० ) गज गजकुम्भ जाता मुक्ता। एक | गजरो ( हिं० स्त्री० ) एक प्रकारका प्राभूषण, जिसे स्त्रियां प्रकारको मुक्ता वा मोती जो हस्तौके मस्तकमें पायो । कलाई में पहनती है। जाती है। प्राचीन प्रार्थ गण गज, मेघ, वराह, शक, | गजरोट (जि. स्त्रो० ) गाजरको पत्ती । मत्मा. मर्प. शक्ति और वेण इन आठोंमें मनाका उत्पत्ति- गजल ( फा०प०) एक फारसी और उट में | गजन्न ( फा० पु० ) एक फारसी और उर्दू में शृङ्गार रसको स्थान बतलाते हैं। कविता। इसमें प्रमियों और प्रेमिकाका विरह वर्णित "करोन्द्रगौमूतपरायाममाहिसका दमवये थानामि । रहता है। मुक्ताफलानि प्रचितानि लोक तेषान्त काभवमेव भूरि ॥" | गजलण्ड ( मं० क्लो. ) गजस लगहम्, ६-तत् । हाथीका (कुमारराका-महिमाथ) नाद । (दत्त) आधुनिक वैज्ञानिक हस्तिकुम्भसे मुक्ताका निकलना | गजलोल (हिं० पु.) एक तालभेद । जिसमें चार लघुमावा स्वीकार नहीं करते क्योंकि आजतक उन्होंने गज कुम्भमें और अन्त में विगम होता है मुक्ता देखी ही नहीं है। गजवत (सं० त्रि.) गजोऽस्ताव गज-मतप मस्य वः । गज गजमुख ( म० पु.लो) गजस्य मुखं मुखमस्य बहुव्री० । विशिष्ट, जिसमें हाथी रखा जाता हो। १ गणेश। गजानम देखो। गजवदन ( मं० पु०-को०) गजस्य वदनम् यस्थ, बहुव्री० । ___"प्रमथाधिपो गणमुखः।" (म० ५८५.) (लो० ) गजस्य मुखं, ६-तत् । २ हाथीका मुख । १ मणश । गजस्य वदनम्, ६-सत् । २ हाथोका मुख। गजवल्लभा ( म स्खौ.) गजस्य वल्लभा, ६-तत् । १ गिरि गजमोचन (मं० पु०) विष्णु भगवानका एक प्राकार, जिसे धारण कर उन्होंने गजको वराहसे बचाया था। कदसो, पहाड़ी केसा । २ शालकी वृक्ष, सलईका पेड़। गजमोटम (मं० पु०-स्त्री०) गजम् मोटयति पीड़यति गम- मुट-गि ल्यु । सिंह । स्त्रीलिंगमें डीप होनेसे गजमोटनी | गजवान (हिं० पु० ) महावत, हाथीवान । शब्द होता है। गजवाजिप्रिया (मं स्त्रो० ) काह , लौका लोवा । गनमौक्तिक ( सं० लो० ) मुक्ता एव मुक्ता स्वार्थे कन् । | गजवीथी ( म० स्त्री० ) रोहिणी, आर्द्रा और ममभिरा गजमुक्ता, गजमोती। नक्षत्रीको गजवीथी कहते हैं। यगोल देयो। गजस्य बोधी, ___ "मनमीलिका बलियतन वास ।" (किरात १२००१) ६-तत् । २ हाथीका ति, हाथीका कतार । गजर ( फा०पु०) पहर पहर पर घण्टा बजनेका शट, गजकोरु-मानभूमस्थ एक गिरिशा । उसका दूसरा नाम पारा। गङ्गावाड़ी है। गजरथ ( सं• पु०) हाथोके खींचनेका रथ। प्राचीन | गजव्रज (सं• त्रि० ) पसीवत् भ्रमणशील, हाथोकी समर्म रामा रस पर चढ़ कर सहामि सात। तरह चलना।