पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१४२

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डिवा-गडर गड़वा-बङ्गदेशमें लोहारडङ्गा जिलाक अन्तर्गत एक नगर बहिरीका मन्दिर है । वहां सालमें मार्च मासको मेला यह अक्षा० २०८४५* उ० और देशा० ८३ ५१ १० लगता है। पू०में दो नदोके तौर पर अवस्थित है। पालामऊ और गहही ( हि स्त्रो० ) क्षुद्र गर्न, छोटा गड़हा । सरगुजा प्रभृति विभागांका उत्पत्र द्रवा यहां जमा किये गड़ा-१ मध्यभारतवर्ष के जबलपुर लिाका एक प्राचीन जाते और इसी नसे दूर २ देशों में भेजे जाते हैं । यहाँस नगर । यह प्रक्षा० २३. १० उ० और देशा० ७८.५६ ३० रेशम, चमड़ा, तिल, तोमो, घृत, रुई और लोहा मंगृहीत पू० पर समुद्रसे ७५ कोस दक्षिण-पूर्व में अवस्थित है। होकर बाहर भेजे जाते तथा चावल, पीतल और कांसे- पहले यह गड़मगडलकी राजधानी था। ११०० ई०को का बर्तन, विलायतो वस्त्र, कम्बल, रेशमो कपडा, मदनसिंहने निकट पहाडके उपर मटनमहल नामका तम्बाकू और ममाला इत्यादि चोजे दूसरे देशाम यहां एक दुर्ग' निर्माण किया था। इस दुर्ग का भग्नावशेष भी आती हैं। आजकल देखनमें अधिक सुन्दर लगता है। उसके निम्न गडवेता--मदिनीपर जिलाके अन्तर्गत एक नगर। यहां भागम' गङ्गामागर और वालसागर नामके दो सरोवर बहुत प्राचीन सर्व मङ्गलादेवी और कंसेश्वर शिवके हैं। इस शहरमें एक उत्कृष्ट विद्यालय है। पूर्व ममय मन्दिर विद्यमान हैं। पूर्व ममय यहां एक ब्रहत्गढ़ यहां एक टकशाल था, जिससे वालाशाही नामक मुद्रा था जिम जिम स्थान पर गढ़ का बड़ा हार था, आज प्रस्तुत होकर ममग्र वुन्देलखण्डम प्रचलित था। कल वर लालदरवाजा, हनुमानदरवाजा, पेशा दर- २ मध्यभारतक ग्वालियर विभाग अन्ना - ma वाजा और राउता दरवाजा नाममे प्रचलित है। यहाँ सामान्य राज्य । घड़ा देखो। रायकोटक राजा तेजचम्ट्रका राजभवन था। इसके चारों गड़ारी (हि. स्त्रो०) मंडलाकार रेखा, वृत्त, धरा। सरफ बड़ी बड़ो तोपें रखो जातो थीं। अगरेजोंके समय गड़ावन ( हि पु० ) लवणविशेष, एक प्रकारका नमक। मव तो ले ली गई। गडि (म. पु.) १ वत्सतर, बच्चा, बछड़ा। मदर बल. गड़हद--बम्बई प्रान्तीय काठियावाड़के भावनगर राज्यका सुस्त बल । एक नगर। इमको लोकसंख्या प्रायः ५३७५ है। यह "गुनानामेव दीरामाच रि पुर्यों नियुज्यते । खामी नारायणको सम्प्रदायका, जिसे युक्तप्रदेशके सुधा पसमालकि यसकधः मुख' सपिसि गोनिः ॥"(काभ्यप्रका) रक महजानन्दने १८०४ ई०को चलाया था, एक प्रधान ३ बेदाग जो चेचकके बाद शरीरम रह जाते हैं। केन्द्र है । १८३० ई०को वह यहीं बहुतसे काठियों, गड़, ( म०पु० ) १ गलगण्ड, गलेका एक रोग जिसमें कोलों और भोलोंको अपना मतावलम्बो बमा चल बसे। गलेमे सूजन हो पाती है। २ कुछ, कूबड़, बतारी । गडहदमें इस सम्प्रदायवालोंके लिये चन्दनकी मालाए' ३ शख्यास्त्र, बाण, गांसी, तीर या बरछी आदिका फल । बहुत बनती हैं और उनका एक अच्छामा मन्दिर भी ४ किञ्चलक, केचुआ नामका कीड़ा। ५ विषमग्रन्यि, यहाँ खड़ा है। कठिन गांठ। ६ निरर्थक, वह जिसका कोई प्रयोजन गड़हा (हिं. पु० ) गर्त, गहरी जमीन, खाता, गहा। न हो। ७ राजपूतानाके एक कवि। इनका जन्म गड़ हिङ्गलाज-बम्बई कोल्हापुर राज्यके गड़हिङ्गलाज १७१३ ई में हुआ था। इनके रचित कूट छपय तथा सालकका सदर । यह पक्षा० १६१२ उ. और देशा. अन्य सामयिक कविताएं सुप्रसिद्ध हैं। ७४.२५ पूर्म' हिरण्यकेशी नदीके वाम तट पर प्रव- गड़ क (संपु०) १ भृङ्गार, कम डलु । २ ऋषिविशेष, स्थित है। इसको लोकसंख्या कोई ६३७३ होगी। एक ऋषिका नाम । प्रत्येक रविवारको बाजार लगता, जिसमें बहुतसा गड़ई (हि. स्त्री० ) टोटी लगा हुआ एक छोटा पानी चावल और दूसरा अनाज बिकता है। नमरके मध्य काले- पीनेका बरतन, झारी । खरका मन्दिर बना है। शहरसे प्रायः ३ मील उतर गड़र ( स० वि० ) कुल, कूबड़ा ।