पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१४४

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भवागादास १२१ १४२ गढ़मण्डल-गढ़वाल गोविनसिक बाद इस राजवशका लोप हो गया। कानिहाम पादि पुराविदीने उक्त गढ,मण्डलके राजाओंको गोण्डराजके का नाथ रत्नन र " नामसे उल्लेख किया है। परन्तु गढ़मण्डलके राजा हृदये- कमबनयम १०२८ " श्वरके ममयके शिलालेखके पढ नेसे ऐमा माल म होता भरग्दि व १.३२ . है कि-वे हिन्दू थे और क्षत्रिय कह कर अपना परिचय बौरसिक देते थे। विभुवनराय सुमे रशाहीको मृत्यु के उपरान्त गढ.मण्डलका पृथिवीराय १.८३ अधिकांश नागपुरक महाराष्ट्रकि राज्य में मिल गया था। भारतीचंद्र १११४ १८१८ ई०से इम पर वृटिश गवर्मेण्टका अधिकार मदमि सयसन गढ़वाल ( हिं० पु० ) वह जिसके अधीनमें गढ़हो। रामशाहो सागचन्द गढ़वाल-युक्तप्रदेशके कुमाऊ विभागका पश्चिम जिला । सदयमिक १९५० यह अक्षा० २८.२६ तथा ३१५ उ. और देशा० ७८ मानमिव १२ एव ८०.६ पू०के बीच पड़ता है। इमका रकबा ५६२८ वर्ग मोल है। गढ़वालके उत्तर तिव्वत, दक्षिण- शिसिक पूर्व अलमोड़ा तथा ने नीताल, दक्षिण-पश्चिम बिजनौर करिनारायण और उत्तरपश्चिम टेहरी राज्य है। यह जिला पहाड़ी अवनमि राजमि है और इमको बड़ी नदो गङ्गा है। गङ्गाको प्रधान दादौषि सहायक नदो अलकनन्दा है। अलकनन्दा विष्णुगङ्गा गोरषदाम और धौलीगङ्गाके मङ्गमसे बनती और रुद्रप्रयाग पहुंचने पनमि पर उममें मन्दाकिनी पा मिलती हैं। फिर देवप्रयाग- यामशाहो में अलकनन्दा और मन्दाकिनीका सङ्गम होता है। इसपति इसी स्थानसे उक्त सम्मिलित धार "गङ्गा कहलाती और चौरमाया गढ़वालको टेहरी तथा देहरादूनसे अलग लगाती है। चन्द्रमाली १५८ अलकनन्दाकी दोनों ओर बर्फ से ढकी पहाड़ियां खसी १५०४ , प्रेमनारायब है। इस जिलेके पहाडकी बड़ी चोटियां त्रिशूल पदयेवर ( २३३८२ फुट ), द्रोणगिरि ( २३१८१ फु०) कामेत थाहो ( २५४१३ फु० ) वदरीनाथ (२३२१० फु० ) और बयरोगाहो १८८८" केदारनाथ ( २२८२३ ए० ) हैं । झीलों में गहमा नरेन्द्र माहो बड़ो है। महाराजशाही ___भाबर और उसके पासको पहाड़ियों में घना जङ्गस शिवराजशाही है । उसमें साल बहुत उपजता है। ४०००से अपर दुमशाहो १७४८ , ६०० फीट तक सालको जगह चोड़ ही देख पड़ता निजामशको १५१ . है। इसी प्रकार ८००० फुट पर तिलोंज और १०००० भरतम्याने फुट पर दूसरे कई पेड़ होता है। १२००० फुट पर जमेरशाहो १०.१. बड़ी घास अमती जो ग्रीम ऋतुमें बहुत अच्छी फ ला १८.४१.में राजा समेरमाहीके मारे जानेके | करती है। - ~ - MF Cx - 2 0 १५४८ मधुकरशाहो