पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२०१

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गमिष्ठ-गण्या १६५ भद्रा, विदारिणी, महाभद्रा, मधुपर्णी, स्वमभद्रा, कृष्णा, गम्भीरराय-एक प्रसिद्ध हिन्दी कवि । इनोंने नुरपुरके पखेता, रोहिणी, गृष्टि, मधुमती, सुफला, काश्मीरी, भद्रा, इतिहामको हिन्दी कविताम रचना की है। १६२८मे गोपभट्रिका, कुमुदा, सदाभद्रा, कटफला, सर्वतोभट्रिका, १६५८ई०तक मध्यप्रदेशके अन्तर्गत समरुके राजा जगत् क्षीरिणी, स्थ लत्वचा ओर.महाकुम दा है । इसका गुण- सिंह और दिनी बादशाह शाहजहांके बीच लड़ाई छिड़ो कटु, तिक्त, गुरु, उष्षण, भ्रम, शोथ, त्रिदोष, विषदाह, थी। इन्होंने युद्धत्तान्त ज्वलन्त भाषाको कवितामें वर्णन ज्वर, तृष्णा और रक्तदोषनाशक हैं। किया है। इसके फलके गुण-तिक्त, गुरु, ग्राही, मधुर, केशहित- गम्भोरवेदिन् ( स० पु०) गभीरं गहनं बाहुलकात् परं कर, रसायन, मध्य, शीतल, दाह और पित्तनाशक है। वेत्ति गम्भीर-विद-णिनि । १ एक प्रकारका हाथी। इसके मूलके गुण --अतिशय उष्ण, कषाय, तिक्त, उष्ण- "चिवालम यो वेत्ति गिग परिचितामपि। वीर्य, मधुर, गुरु, दीपन, पाचन, भ्रम, सृष्णा, आमशून्न, गभरबी नियम गजा गमवेदिभिः ॥" अपुवीय इसिमिया) अश, विषदाह और ज्वरनाशक है । (भावप्रका) जो हाथो बहुत देर बाद परिचय, शिक्षा या उप- गभिड ( सं० त्रि.) गम्भन्-इष्ठन् । गम्भीरतम, बहुत देश समझ सकता है उसकी गम्भीरवेदी कहते है । इम- गहरा। का पर्याय-अ शदुईरचालक, व्यालक और अवमता- ___ "भिय तन पतति । (शतपथमा ५१०८) Fश है। गम्भीर (सं० त्रि.) गच्छति जलमत्र गम-ईरन् निपातनात् | 'स प्रताप महेन्द्र स्य महि तोमवेभवत । पहिरदार यमा गम्भौरवैदिनः ॥" (रघर) भ गागमः ।१ निन्न स्थान, गभीर, गहरा। २ मोटी बुधि। "तगभोर व नोख नीलिम। ( वध ) २ मन्द्र शब्द, मेघकी पावाज । गम्भ रवेदिट ( स० पु० ) गम्भीर-विद् च । अनहस्ती, नग्धगधीरनिर्घोषमक स्यन्दनमास्थिती। (रघु०१स) असावधान हाथी। (पु०) ३ जम्बीर, ज वोरी नोबू । ४ पद्म, कमल । ५ ऋक् "लग मैदान गणितस बात मासस्य कचनादपि । मन्बविशेष, ग व दमें एक प्रकारका मन्त्र । चामान यो न जानाति स म्याद गम्भौरवेदिता । (रपटोका महिनाव) "खरे सर्व च नाभी च विषु गम्भीरता एमा।' (जति) अर्थात् जिस हाथोके चर्म मे रक्त निकलने अथवा गम्भीरक ( मं० पु०) वृक्षविशेष, फणिजमकक्ष, सुगन्ध मांस काट डालने पर भी वह कुछ नहीं जानता हो इस- तुलमोका पेड़। को गम्भीरवेदिता कहते हैं। गम्भीरिका (मस्त्री गम्भीरज्वर (सं० पु० ) एक प्रकारका ज्वर । .) १ नवगेगविशेष । इसका लक्षण "गम्भौर ऊरो यो आन्तहिन वया। "हा. विकासनोपमृष्टा मडक्यतेऽभारत: प्रयाति । भानवे न दोषापा वासकामोइमेन" (निदान) हजाग दातागग' गम्भारि कति प्रबदन्ति धीरः ॥ (भावप्रकास) गम्भीरदृष्टि ( म० पु.) नेवरोगविशेष, ओखको एक | २ वृहत् दाल, बड़ी ढाल। बीमारी। गम्य (म त्रि०) गम् यत् । १ गमनीय, जाने योग्य, गमन गम्भीरनाथ-एक गुहा मन्दिर । बम्बई प्रदेशके पूना योग्य । २ प्राप्य, लभ्य, पान योग्य। जिलान्तगत खगडाल विभागमें वैरान पहाड़के अपर प्रव "भान जय लामामादि सर्वस्य धितम"। (गोता १०) स्थित है। खगडाल नगरमे इस मन्दिर पर पहुंचने में ३ गमनयोग्य, गमन करने योग्य, मम्भोग करने प्रायः ६ घण्ट लगते हैं। पहाड काट कर यह मन्दिर प्रस्तुत किया गया है। "गमायपि च तो नि कौतिताय गमानि च (भारत श८५) गम्भोरपाक ( स० पु०) अन्त:पाक । गम्यमान (मं.पि.) गम कर्मणि शानच् । १ जायमान, मम्भौरमालिनी-जैनमतानुसार विदेश क्षेत्रको विभङ्ग- जानने योग्य। २ जिस ग्राम में जाना हो। नदियों में से एक वृहत् नदी। गम्या ( सं० स्त्री० ) गम-यत्-टाय। सम्भोगार्हा स्त्री, वृक्ष लायक। ० पारवहमान्दर