पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२१३

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गयास-उद-दौन-गयास-उद-दोन तुगलक २११ कत्ल करके ६०८ हि० को इन्हें सूबेदार बनाया। इमाम गयास-उद-दीन - बङ्गालके एक नवाब । ये नवाब उद् दीनने भी पीछेको दिल्लोको मातहतो छोड़ अपना जलाल-उद-द नके पुत्रको विनाश कर १५६४ ई में नाम गयास-उद-दोन रख लिया। इन्होंने ६१६ हि०को बङ्गालक मिहामन पर बैठे थे। इन्होंने कुछ दिनों तक अपने नामसे रुपया चलाया ओर गोड़नगरमें बहुतसी राज्य किये थे। अच्छी इमारतो. एक मदरमे ओर यतीमखान को बनाया। गयाम-उद्-दोन करत् १म -हिराट, वालख और गजनीके बाढ़ के वक्त मुल्कको पानीमें डुबनमे बचाने और आन राजा। इन्ह'ने १३०७ से १३२८ ई० पर्यन्त राज्य ‘कया था। आनमें लोगोंको तकलोफ छुड़ाने के लिये इनके हुक्ममे गयाम उद्-दीन करत् २य-हिगट, मरस्म आर नमापुरके देवकोटमे वीरभूमको राजधानो 'नगर' तक दश दिनकी गजा। ये १३७० ई०को सिंहासन पर बैठे और बारह गहमें बांध लगा था। मकदमा फमल करते वक्त यह वर्ष तक राजा रहे। १३:१ ईमें तैमूरन्नगन हिरट क्या हिन्द, क्या म पलसान, क्या अमोर. क्या गरीब-किमो प्रदेशको जय करके मपुत्र गयाम -उद्-दोनको बन्दीकर की तरफदारी न करते थे। इम्हांन आमाम, त्रिहुत, मार डाला। त्रिपुरा और उड़ीमाका कितना हो हिम्मा जीत वहांके गयाम उद्-दोन खिलजी-गुजरातक एक मुलतान। ये गजाओं से विराज वमूल किया। इनके नजराना दिल्लो १४६८. ई० में मिहामन पर आरूढ़ हुए। ३३ वर्ष न भेजनमे बादशाह अन्न् तमाम फोजके माथ चढ़ आये। राज्य करने के बाद जब ये वृद्द हो गये तो उनके दो परन्तु इन्होंने नावोंको हटा करके बादशाह को फाज लड़क उनकी मृत्य, कामना करने लगे। अन्तको दोनों गङ्गा पार न होने दो। अग्वोरको सुलहका मंदेशा भाइयों में विवाद प्रारम्भ हुवा। ज्यष्ठ नामिर-उद्-टोनन भजन पर बादशाह ठगई पड़े । सुलह हो गयी कि कनिष्ठ सुजात खाँको विनाश कर १५०० ई०क २२वीं बादशाहक नामसे रुपया चलाया और उन्हीं के नाम पर अत वरको राज्यभार ग्रहण किया । एक दिन इमन फरमान सुनाया जावेगा, गयाभ-उद्-दीन बहुतमी टालत अपन बुद्ध पिताको विष खिला कर मार डाला। और ३८ हाथो बादशाहको दंग ओर २ मान्न तक बरा गयाम-उद-दोन तुगलक-दिल्ली के एक बादशाह । इन- वर दिल्लीको विराज भेजत रहंग। इनके उन मभी का अमली नाम गाजीबेग तुगन्नक था, बाप करोनिया बातों में राजी होन पर बादशाह दिल्ली लाट और अन्ना- तुक और मां जाटन थी । इनके बाप सुलतान गयाम- उद् टोनको विहारका मवेदार बनाये गये। बादशाहक उद् दीन बन्लबनक गुन्नाम रहे। इन्होंने बड़ी गरीबोमें चल जान पर इन्हों ने गङ्गा पार हो उन मबेदार और अन्ला उद-दीन खिलजीके भाई उन्नग ग्वांको मातहतोमें बादशाहो फोजको हटा विहारको अपन इत्तियारमें मामूली मिपासोका काम इव तियार किया था । परन्तु कर लिया । हिम्मत और होशियारको देख करक मालिकन इन्हें न । गह यह खबर पाने पर बहुत बिगड । उन्होंने फोजदार बना देवलपुर भेज दिया। बादशाह नमोर-उद- अपने बेटे नमोर-उद्-दोनको फोजक माथ बङ्गाल जोतन दीन या खुशरु चानचन्नन पर बड़े बड़ लोगान भजा था। उम ममय गवाम-उद-दोन बङ्गालके प्रो बिगड़ उनके खिलाफ माजिश करके बलवा उठाया था। गजात्रों में लडनमें लग थे। दम लिये नमोर-उद यह बलवाइयोंर्क फोजदार हो करकं नमोर उद दोनमे दीनन लड़ भिड अवध पहच करके लखनऊ राज लड़ । लड़ाई में बादशाह हार और मारे गये मल्कके धाना ले ली। इन्होंने यह खबर सुनत हो व जा अमीर उमरान इन्हें तखत पर बिठला शाहजहां नाममे करकं बादशाहक फोजसे घमामान लड़ाई की थी। अदब बजाया था। यह बादशाह बनना नहीं चाहत थ, खीरको हारन पर ( ६२४ हि० ) यह मार डाले गये। परन्तु मवर्क कहन सुननमे इन्हीन मलतनतका बोझ गयास-उद-दोनको तारीफ बादशाह अल्लतमाम तक उठा लिया। इन्होंने शाहजहां-जैमा जचा खिताब नल किया करते थे। करके अपना नाम गयास-उद-दीन रखा और एक ही