पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३७१

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गुजरातो ब्राह्मण-गुजरान्वाला ३६६ नाड़ो चीर देती और फलको किसी पावमें रख गुजरान ( फा० पु. ) गजर देखो । करके सतिकागारमें नाबदानके पास गाड़ रखती है। गुजरानवाला-पञ्जाबके लाहोर डिविजनका एक जिला। तलवार, तीर, कागज, कलम और पट्टोसे षष्ठो माताको यह अक्षा ३१३१ एव ३२३१ उ. और देशा. पजा करते हैं। अशौच १० दिनमात्र रहता है। १२वें ७३.१० तथा ७४२४ पू० मध्य रेचना-दोभावमें दिनको आत्मीय कुटम्बका भोजन होता और मध्याके पड़ता है। क्षेत्रफल ३१८८ वर्ग मोल है । इसके उत्तर- समय स्त्रियां सन्तानका नामकरण करतो हैं। ४० दिन पश्चिम चिनाब नदी, पूर्व स्यालकोट, और पश्चिम झा तक प्रसूति घरसे बाहर नहीं निकल सकती, फिर किसी है। बागों और फुलवारियों में बेर बहुत होता है। जम्न- का जागर दिनका सुन्दर वेशभूषा करके प्रात्मीय स्त्रियोंसे मिलती वायु स्वास्थ्यकर हैं। बौद्ध कालकै मन्दिरों का ध्वंसा- है। ५माससे ५ वत्सरके मध्य पुत्रका चूड़ाकरण होता वशेष बहुत मिलता है । तत्कालीन मुद्राए और वह है। यदि कोई ठाकुरजोके नाम पर बाल रखता तो, वह बर्ड दृष्टक आविष्क त हुए हैं। थोड़े से बाल विवाह पर्यन्त कभी मो कटा नहीं सकता। ममन्लमानो की अमन्नदारी में यह जिला बढ़ा। अकब- विवाह के टिन यह बाल बनाते हैं। १२से २५ तक पुत्र से ले करके औरङजब ममय तक यहां कितनी और प्से १५ वर्ष तक कन्याका विवाह होता है। कूप बर्न। दक्षिण उच्च भूमि पर जहां पहले गांव थे, विवाह से पूर्व आत्मीय कुटंबको पान सुपारी भेज करके अव घाम और झारी है । ६ जरखेज परगने लगते थे। मचना दी जातो है। इसोका नाम मङ्गनी है। इन मुसलमान माम्राज्यको अन्तम शताम्दोमें बार बार यह का गर्भाधानसंस्कार नहीं होता। यह शवदाह किया होनेसे गुजरान्वाला उजड़ गया। सिखों के अभ्य दय करते हैं। शवदाहके ३ दिन पीछे भस्म पर टुग्ध, दधि, कानको यह उनका मदर बना। कृत, गोमय और गोम व छोड़ आते हैं। अहमदनगर लाहोरके अधिकार कालतक गुजरान्वालामें गजा वामो गुजरातो ब्राह्मगाांक बीच पिट तथा मातलगोत्रमें रणजितसिंहको राजधानी रही। यहां रणजित्सिंह विवाह नहीं होता। इनको विवाहम वदास' शाखा और उनके पिताका स्मारक बना है। मिखों ने विकी में भाज, शागिडल्य और वशिष्ठ तोन गोत्र चलते हैं। उनति की थी। १८४७ ई०को यह अंगरेजों के हाथ मनिकी गो। root गर यजवंदी होत और मब लोग शराचाय को हिन्दू लगा । और १८४८ ई०को अंगरेजी राज्यमें मिला। धर्म के प्रधान प्रदश क-जैमो भक्ति करते हैं। गणपति, गुजरांवालाको लोकसंख्या प्राय ८८०५७७ है । महादेव और विष्णु इनके उपास्य देव हैं। इसमें ८ नगर और १३३१ गांव बसे हैं। तहसीलें चार शोलापुर जिलेमें औदोय, नागर तथा श्रीमान्लो ३ हैं। अधिवामियों में जाटों की संख्या अधिक है।गह की यंगियां हैं। इन विभिन्न श्रेणियोंके लोग एकत्र पाहा. फसल बड़ा होता है। कङ्करको कोई कमी नही। काट गदि वा परम्पर दान ग्रहण नहीं करते। इनके मधा काटके औजरा, चांदोको मुठवाली कड़ियां और गहने प्राचारमें भट्ट, पाण्डा, रावल, ठाकुर और व्यास कई पद मशहूर हैं। सूती कपड़ा बहुत बुना जाता है। दरजनों वियां प्रचलित हैं। एक पदवीधारी किन्तु विभिन्न गोत्र पुतलोघर और कारखान हैं। गह, दूसरे अनाज, ई, होनसे विवाह किया करते हैं । अम्बाबाई और बालाजी तेलहन, पोतनका सामान और घौकी रफ्तनी होती है। इनके कुलदेवता हैं। औदीच्य कान्यकुल ब्राह्मणोंका नाथवष्टन रेलवे चला करती है। ७५ मील पक्की और पौरोहित करतं और युक्त प्रदेशके गांव गांव देख पडते १३०८ मोल कच्चो मड़क है। डिपटी कमिशनर बड़े । वीवापर जिलेमें इनकी नागर, श्रोमालो और हाकिम हैं। मालगुजारी और सेम कोई १२ लाख ८० पोकर्ण ३ थणियां हैं। गुजगतो राजपूत-बम्बईके कच्छ जिलामें रहनेवाले क्षत्रिय हजार नगतो है । मुनिसपालिटियां हैं। वा राजपूत। इनको संख्या प्राय: १६५१७ है। प्रधान गुजरान्वाला-पञ्जाब प्रान्तके गुजरान्वाला जिलेको तर विभागले । मील। यह अक्षा• ३१ ४८ एवं ३.२० और देशा. Vol. I. 93