पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३९

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खिलाफत

मोफ साहिरहालया। होने पम्बरके पहुंचाया गया। कूफार्म अपना बचाव न देख मन. पाससाशीमिया दो स्थान बनवाये. सूरने बगदादको अपनी राजधानी बनाया था। तीन थे। ७५४.५ जूनको पबुस पब्बासका मृत्य हपा। वर्ष में ७६६० को उसका निर्माण कार्य समाप्त पार इनके दाइने हाथ पब जहम और सलाहकार भाई मुरम्मदके एक लड़के ने भारतको माग किसी प्रव-जाफर थे। रामाका घरण लिया था । मनसूरने पता लगा उम्हं ___ २ मम्स र-अवम्त पब्बासके मरने की खबर सुन मरवा डाला । ७७५ ई० को मक्का के इजको जाते गहमें प्रवदुला एक बड़ी फौज के साथ हरम पहुंचे और मन्सूरका मत्यु, हुमा । उनका वयम ६५ वर्ष रहा खसीफा बन बैठे। किन्तु ७५४ ई० २८ नवम्बरको भोर उन्होंने २५ वर्ष गजत्व किया था । मकामें मनसा पब मसलियन उन्हें शिकस्त दी और वह बसगको दफनाये गये। वह बड़े उत्साही बलशान के भाग गये। फिर उन्हो ने मन्म र खलीफाकी राजभक्ति मनुष्य थे। सन्हें का'बल पफसर चुनने की अच्छी सभा स्वीकार की थी, मन्सूरने पब मसलिमको मदा. थो। वह किफायतो रहे और अपने मडकेको भए खजामा कोइन की उन्हें फिक्र थो। इनमें चुपकेसे बला मरवा डामासी प्रकार पब्बासी। मेहदीका शामम-मन्सूरके मरने पर मुहम्मद पल घगनि प्रतिष्ठामा मार गये। उनको लोग साहब-उद- मेहदी हलोफा बनाये गये । इसके दूसरे को वर्ष कोश दौसा कहा करते थे। और नखबमें मोकवा मामक एक खारिजोमै बसवा ८०.९० सालसे अफरीका कहने सुनने को अब्बा. किया था। कितनी ही बार जीतने पीछे वह सनाम मियों के मातहत सी। इसी बीच स्पेनमें पायात्य किले में घिरा और जहर खाकर मरा था। उसका सर उमैयदो की पसग खिलाफत बन गयी। हियाम काट कर मेहदीके पास भेजा गया । फिर मेहदी महाके खलीफाके पोते पबदुर रहमान खलीफा हुए। ७५७ हसकी चले। उनके लिये बंटी पर सदबर व महा ई०को ७०.०० फौबके साथ मसलमानों ने धावा करके गशथा। उन्होंने काबाको जाकर फिर बनवाया और कामष्ट एनीके हाथों गिराया रुपा मालापिया ना : उसमें खद वेशकीमत सामान लगवाया । महासे बनाया था । ७५८१.को कूफामे थोड़ी दूर खलीफाके मदीना पहुंच मेहदीने मसजिद की इमारत बढायो रानकी जगह .. गवेदी फकीर सम्मानप्रदर्शन थी। उन्होंने को राहमें कूर खुदवाय, सरके बन करने गये थे, परन्तु झगडा जानेसे सबके सब वायो, सराये सुधरायों और हाजियों के सभीतके कर कात्मप। काम करवायें। मन्म रको बड़ा पर या था कि उमेयदी के : मनसूरके शासन समय मजन्तानों पर बराबर समय उन्होंने महम्मदको वश्यता मानो थो। ७६२ हमले होते रहे और साडीसिया नगर अधिकार ई०को सम्पादन मदीना छोम पपको खलीफा किया गया। परन्तु मास बदहानपच मनसूर ४१ बनाया था। परन्तु कूफाके सूबेदारने युग करके उन्हें सासकी उम्र में एकाएक चम वसे । कोई उनकी मत्स्य वा मार डाला । उनका सर काट करके मन्स के पास कारण शिकारको दुर्घटना और कोई जहर दिया भेजा गया। मुहम्मदने मरते वनबोकी मगर सम- जामा वतमाता। वार एक सौदागरको दी थी, जो पीछेको पाक पल मेहदीक शासनमें खूब वहाली रही । हात् रमोदको मिस गयी। इसी बीच माहीम बसरा पर सामान्य सङ्गठनका बड़ा उद्योग एपा, ऋषिकार्य, वाल, फारम और वसीतके मालिक बन बैठे । सतनत व्यापार, वाशिन्य तथा गजन बढ़ा और लोगों का नाम पसी नामक खोफसे मन्सूरने ५० दिन तक कपड़े न पच्छाया। सुदूर पूर्वत साम्राज्य फैल पडा । चीन बदसे और न पाराम को किया। बासमरामें कड़ी समाद, तिम्बतक सामा और भारतीय गीणों ने बतो. महामासीमका प्रस्तक काट करके मन्सरको फासे सुसानामा किया था। Vol. VI. 10* .