पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४००

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गुण्डलूम-गुण्डिचा भाषाके शिलाफलक देख पड़ते हैं। उनमें एक १४७७ वृक्षविशेष । इसका पर्याय - काम्पिालक और रक्ताङ्ग है। और दूसर। १४८० श+को उत्कीर्ण है। ग्रामवासी बत- गुण्डारोचनी ( म ० स्त्री० ) गुण्डागेचनिका, एक प्रकार लात कि ४५ वर्षके अन्तर मन्दिरके लिङ्गको गङ्गा नह का सुगन्ध द्रव्य। लात, वह जल निर्दिष्ट दिवसको मन्दिरको छतसे भूमि गुण्डाला ( म० स्त्री० ) गुण्डौं च ण अान्नाति आ लाप पर गिरता है। टाप । १ एक ताहको जलज लता या झाड़ी। इमका गुण्ड नरु-मन्द्राज प्रान्तके कड़ापा जिलेमें बायलपाड़ नामान्तर जलोद्भूता, गुच्छवधा और जलाशया हैं । इस तालुकका एक गांव। बायलपाड़को कचहरीमे यह १३ का गुण कटु, तिक, उणा, शोथ और वणनाशक है मोल उत्तर-पूर्व पड़ता है। यहां एक शिनालिपि है, २ गुण्डामिनोरण, गांडर घाम । गुण्डामिनी ( म० स्त्री० ) गुगडामनी प्रास्त आम णिनि । वह १५२१ शकको विजयनगरगज वैशटपतिदेवक राजत्व ममय पैनकोंडाके मरदार कर्तक प्रदत्त हुई थी। तृणविशेष, एक प्रकारको घाम । इमका पर्याय-गुण्डाला, गुण्डलरुका विष्णुमन्दिर अति प्राचीन है। गुड़ाला, गुच्छमूलिका, चिपिटा, तृणपत्री, यवामा, पृष्ठला गुण्डवा-युक्त प्रदेशके हरदोई जिलेका एक परगना । और विष्टग है। डमका गुण कट, पित्त, दाह, शोथ और व्रणदोषनाशक है। इसके उत्तर तथा पूर्व गोमती नदी एवं निदाद और | गुण्डिक ( म० ए० ) गुगडोऽम्त्यस्य गुगड ठन् । चूर्णाक्कत पश्चिमको मंडोला तथा कल्याणमल है। गोमती नदीका तण्ड लादि, चावलका च ण । तौरवर्ती स्थान वालुकामय है। पहाड़ पर बीच बीच बड़ी गगिडचा ( म स्त्री० ) पुरुषोत्तम क्षेत्रका एक मन्दिर । खाड़यां हैं । एक प्राचीन नदी खातमें रेत पड़नेमे अब स्कन्दपुराणकै उत्कलखण्ड में लिखा है-- यह जगह बड़े झील जैमी हो गयी है। कितनी ही ___ जगन्नाथ देव विन्दसरोवरक तौरवर्ती गुण्डिचा मन्दिर छोटी नदियां और पहाड़ी झरने दम परगनके बीच बहते में रथारोहण के बाद ७ दिन तक रह। पृव कालमें जग हैं। खेतोबारीका खब सुभीता है। क्षेत्रफल १४० वर्ग- बाथ देवन राजाके प्रति सन्तुष्ट हो यह वर दिया था--- मौल है। ११७ गांव बमे हुए हैं। हम मात दिन तक स्थिर भावसे गुगिडचा मन्दिरमें वाम गुण्डस (म• पु० ) मर्पजाति भेद, सांपकी एक आति । करेंगे। पृथिचोके ममम्त तीर्थ हमार माथ वहां उप गुण्डा (स. स्त्री० ) काशटण । स्थित रहेंगे। जो मानव भक्तिभावसे विन्द तीर्थ में स्नान गुण्डाफलो ( स० स्त्री.) देवदालो, एक प्रकारका पेड़। करके मलाह पर्यन्त गुण्डिचा मन्दिर में बलराम तथा गुण्डार-मन्द्राज प्रान्तके मदुरा जिलेको एक नदी। यह सुभद्राके माथ हमारा दर्शन करेगा. वह हमाग मायुज्य पक्षा० ८० ३६ उ. और देशा• ७८.१४ पू०में अन्दि. लाभ करेगा। इम मन्दिरक दश नसे दश कीका मब पत्ति तथा वर्षनाड़ पर्व से प्रवाहित क्षुद्र क्षुद्र जल पाप विनष्ट होता है। मब देवता इसकी पूजा करते स्रोतमि मिल करके बनती और दक्षिण-पूर्व को प्रायः । यह मन्दिर बझातजको अवगगठन जमा करमसे हो १०० मील चल करके किलराई नामक स्थान पर समुद्र- गुगिडचा कहलाता है। में गिरती है। ___ इसका विशेष प्रमाण नहीं मिलता वह, मन्दिर गुण्डार-मध्य प्रदेशस्थ रायपुर जिलेके सरदारको एक कितने दिनों का पुराना है। उड़ीमार्क में चन्द्र के कि डिही। इसके बीच ५२ गांव हैं। भूमिका परिमाण महाराज इन्द्रा नको एक मकि रुद्रभूतिन रमोपट्र र था, ८० घगमोल है। जमीन उपजाऊ है। वर्तमान सर. उन्होंने यह मन्दिर बनारखके लिये यह कप जटाणा यह दार कोई ३०० वर्षसे इस स्थानको उपभोग करते आते गुण्डिचा कहलाया। अब में रियाटवन अपने शिर्थी है। गुण्डारडिही गांव अक्षा० २०५६ ३० उ. और और भक्तोंके साथ उसोम माजना को घो। आज- देशा०८१२०३ पू०में अवस्थित है। कल भी रथयात्राको . बड़ी धूमधामस जगवाथदेव गुण्डारोपनिका ( सं• स्त्री० ) गुण्डा सतो रोचना इव। गुण्डिचा मन्दिरमें जा करके रहते है।