पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४०१

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वार गुण्डित-गुत्सपुष्प ३६८ गगिडत ( सं० स्त्रो० ) गुड़ि वेष्टने कमणि क्त । १ धुलि गुत्तम्ल (गुट्ठन्ल-सम्बईके धारवाड़ जिनेका एक कमवा । धमरित, घनसे भरा हुआ । २ चूक्ति , चूर्ण किया यह कड़जगीमे ६ कोस पूर्व को पड़ता है । १८६२ ई. तक हुवा । वहां मदर अदालत रही। सप्ताहम प्रति मोमवारको गगिड याली-बम्बई प्रान्तको काठियावाड एजेन्सीका एक' बाजार लगता है। गांवमें सङ्गमूमासे बना हुआ चूड़- छोटा राज्य । इसको आबादी कोई १४६५ और माल शावरका मन्दिर है। उसमें २४ ओर ८.६ पंक्तियों के दो गुजारी १७८३५) रु० है । यह राज्य अङ्गरजीको १४०८, लिखे हुए शिनाफलक लगे हैं। तालाबमें नहर खोद रु. वार्षिक कर देता है। करके पानी लाया गया है। घांधकै मुहाने पर पत्थरको गुण्डियालो-चम्बई प्रान्त के कच्छ जिलेका एक गांव। मेहराब बनी है। यह मांडवोके निकट मागर तट पर बमा हुआ है। जन ११०३ शकको प्लव मंवत्मरको उत्कोण जो कल. मंख्या काई ४०४६ होगा। एक वी भूमि पर वट चरि शिलालिपि है, उममें गुट्टभोलल नगरका नाम वृक्षांमे घिरा हुआ रावलपोरका मन्दिर है। १८१७ ई०- मिलता है। इस फलकम लिखा है कि षष्ठ कलचरि- को वह सेठ सुन्दरजो तथा जेठा शिवजी राज यादवमान के अधीन ( १९७६-११८३ ई.) मुह मर- निर्मित हुआ। कहते हैं, कि ई० १४ वीं शताब्दीको दार उम नगरमें राजत्व करते थे । वह गुट भोन्नत नगर गवलन अपनी माताका हथलीक फोडेमे जन्म लिया था, वर्तमान गट्ठल जमा ममझ पड़ता है । फिर १२३७ फिर जखाऊमें उन्होंने धर्मनाथके भक्तीको मतानेवाले ई०को देवगिरि यादववंशोय २य मिहन प्रदत्त प्रशस्ति मुमलमान संहार करके सुकार्ति अर्जन की। वर्षमें एक पढ़नमे मान्नुम करत कि गुट नायक जगदेवको भानुमति- बार हिन्दू और मुसलमान वहां जाते और पत्थरके घोड़ों से गुठ्ठल नगरके निकट उक्त शिलालिपि उत्कीर्ण हुई। को, जो मन्दिरको चारों ओर बने हुए हैं, फूलीको गुत्ता ( हिं० पु० ) १ लगान पर जमीन देनका व्य' मालाएं चढ़ा पाते हैं। २ लगान। गुण्डीकालियाक-बम्बई प्रान्तको काठियावाड़ एजेन्मी गुत्थ ( सं० पु०) गुत्म पृषोदरादिवत् माधु । १ ज्वार नाम का ग्रामहय, यह दोनों गांव आमने मामने मालेश्वरी का धानविशेष। २ गुड ची, गुरुच नदीके उत्तर तथा दक्षिण तट पर भावनगरसे १३ मोल गुत्य ( हिं० पु.) १ हुक्के के नेचीको बुनावट। २ वटाई दक्षिणपूर्व अवस्थित हैं। इनमें गुण्डो समधिक प्राचीन मी बुनावटका नेचा । है। पहले वहां नागर ब्राह्मणांका उपनिवेश था । पाईन- गुत्थक (सं० क्लो०) गुच्केन कायति गुच्छ केक, पृषोदरादि- इ-अकबरा में इमको बन्दर और मीरत अहमदीमें बारा त्वात् साधु । यथिपर्ण, गठिवन ।। लिखा है। जनसंख्या प्राय १७३७ है । गुण्डो खाड़ा. गुत्थमगुत्था ( हिं० पु० ) १ उलझाव, फमॉव । र मिहत, के मुहाने पर एक प्रस्तरमय नौलकण्ठ की शिवमूर्ति है। लड़ाई। कहते हैं कि उसको पाण्डवने स्थापन किया था। गुत्थो ( हिं० स्त्री० ) कई वस्तुत्रांक एकर्म गुमनेसे उत्पन्न गुण्ड भट्ट-तर्कभाषाके एक टीकाकार। गाँठ, गिरह। गुण्य ( स० त्रि. ) गुण कर्मणि यत्। १ गुण नोय, पर गुत्म ( सं० पु. ) गुध्यत मृणादिभिः परिवेष्टते गुध म । अंक जिसको गुणा करना हो । २ प्रशस्त गुणयुक्त, जिसमें १ ग्रथिपर्ण वृक्ष, गठिवन । २ स्तवक, घासका गुणा। पच्छे अच्छे गुण हो। ३ हात्रिशद यष्टिकहार। गक देखी। "श । बामणा: । (मि० को.) गुत्मक (सं० पु. ) गुत्म स्वार्थ कन् । गम देखो। .. गुण्याङ्क (म'• पु० ) वह थक जो गुणा किया जाय। गुत्सक पुष्य ( सं० पु० ) गुत्मकं स्तवकोभूतं पुण्यं यस्य, गतला (हिं. पु.) एक प्रकारको मछली, जो बंग भी बहुव्री । सप्तच्छदक्ष, एक तरहका पेड़। कहलाती है। गुत्स पुष्य (सं० पु.) मच देग्यो।