पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४११

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गुप्तराजवश पर आधिपत्य जमा लिया था। बहुत दिन राजा करनेके कुमारगुण सिंहामन पर अभिषिक्त इए । इनके समर्क बाद ४१३ ई. में इनका प्राणान्त हुआ। कोई विशेष घटना न हुई थी। ये भी पिताको मार चोनक बोडयात्री फाहियनने चन्द्रगुपके राज्यका बड़े शूर वोर थे । राज्यके अंतिम समयमें विदेशी पास मम्प ण विवरण अपन ग्रन्थ में लिखा है। ये ४०६ ई०में | मणकारियांसे इन्हें बहुत कष्ट झलना पड़ा था। भारतवष आय थ और छह वर्ष तक यहां रहे। इतने ४३० ई में खारिजमके वनहा मध्य एथियार दिनाम इन्हनि चन्द्रगुप्ताका मारा राज्य परिभ्रमण कर जो रोमन राज्यक पूर्वीय प्रदेशों पर धावा करने के लिये कर देखा या सुना उमे अपनी किताबोंमें लिख लिया उस समय वहांक राजा धउडोस घे। इस बार वे खोट था। वे लिखते हैं प्राचीन राजधानी पाटन्नौपुत्र अब जानके लिये बाध्य ह,ए। थोड़े ममय बाद पुष्यमित्र- भो एक उन्नति दशामें है और यहां बहुत मनुष्य वाम करते वशकी महायता पाकर उन्होंने दूमर गस्त मे चखबर हैं। इसके चारो ओर बड़े बड़े शहर हैं। प्रायः मभी भारतवर्ष पर चढ़ाई की। मनुष्य मञ्च और धर्मात्मा दोख पड़ते हैं। राजधानोम इस आक्रमणमे कुमारगुम बहुत क्षति पता दो बोडमठ हैं जिनमें कमसे कम छह या मात सौ वित ह आ, और राज्यका प्रायः ममस्त भाग नष्ट भष्ट को मन्यामी रहते हैं। कोई भी बोद्ध उत्सव बहुत धम गया। मुहावशको अवनति डमी ममयम प्रारम्भ धाममे किया जाता और उममें बहुतमा खर्च होता है । इमो चिन्ताम कुमारको मृत्य हई। बाद इनके पुत्र राज्यकार्य शान्त और सुचारू रूपमे चलाया जाता स्कन्दगुहान ४५५ ई के अप्रेल मास राजसिंहासन पर है। प्रजा पर किमो तरहका कर निरूपित नहीं । आरोहण किया। इन्होंने अपने राज्यका खोया इमा यात्री भी इच्छानमार जहां तहां यात्रा कर मकते हैं। वह तमा भाग पलटाया और पश्चिमीय तथा पूर्वीय प्रदेश कंवल नमोनको मालगुजारी हो राज्यको आमदनी है । पर पुन: अपना अधिकार जमाया था । इनके राज- अपराधीको माधारण दगड दिया जाता और राजकम शासनके अन्त ममय अर्थात् ४८० में इन्हें शत्र प्रोसे का त वारियोका वेतन नियत है। अच्छे कुलके आदमी तकलीफ झलनो पड़ी। इनकी मृत्यु के साथ साथ शिकार नहीं कर मकत अथवा मछली भी नहीं बेचन | गुहावशको थी भी जाती रही । इनके मरने के बाड़ पात । यह मब काम नीच जातियोंके नियत है । इनके भाई पुरगुहा तथा दा ओर उत्तराधिकारी राज्यको अच्छे आदमी किसी प्रकारका मादक द्रव्य तथा मांम, | कंवल पूर्वीय प्रदेशों पर शासन करते रहे। मचलो और लहसन नहीं खातं । शहरमें एक भी पुरगुप्लके बाद इनके पुत्र नरसिंहगुप्त राजा हुए। कसाई तथा शरावको दूकान नहीं दीख पड़तो । उस | इन्होंने और दूमर टूमरे राजाओंको महायतासे बनने ममय नेपालकै पहाड़ो स्थानांकी दशा शोचनीय थी। प्रधान मिहिरकुलको ५२४ ई में काश्मीरको मार प्रसिद्ध श्रावस्तो शहर तथा कपिलवस्त और कुसी नगर- भगाया। दम तरह राज्य के बहुतमे भागों पर उन्होंने का भग्नावशेष दृष्टिगत होता था। पुनः अधिकार जमाया। इनको मृत्य के बाद उनके पुत्र ___समस्त राज्यमं शान्ति फैली हुई थी। चोर या हितोय कुमारगुप्त ४७३ ई में राज्याभिषिक्त हुए । इलाके डकैतका नामोनिशान भी न था । यात्रो भयरहित यात्रा सर्फ तीन चार वर्ष तक राज्य किया। इनके बाद पून कर सकते थे और विद्याको यथष्ट उवति थी। के उत्तराधिकारी बुटगुम हुए। इनकै समयकं बहती ई०के ५३ वर्ष पहले उज्जनके विक्रमादित्यक समयः शिलाल खांसे पता चलता है कि इन्होंन २७वर्ष (४७० में संस्कृतका जैसा आदर था चौथो शताब्दीको समुद्रगुप्त ReE) तक राजा किया था । यएन अंगम मालमत्र और उनके लड़के द्वितीय चंद्रगुप्तक समयमें भो संस्कृतको है कि ये शक्रादित्यक पुत्र थे। दिनाजपुर जिले के दामो- वैसा ही स्थान मिला था। दर पुर ग्रामक दो ताम्रले खोंसे पता चलता है कि द्वितीय चन्द्रगुप्तको मृत्य के बाद उनके लड़के प्रथम गुप्तका राजा पुगड वर्द्धनभुक्ति या उत्तरीय और पूर्वी Vol. VI. 103