पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४४८

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४४६ गुलाबसिंह गया सही, किन्तु हारके रक्षक शेरसिंहके पक्षमें हो गये | वे निरापदसे जम्बु पहुच जावें । इरावतीके तौर पर उप- थे। मानो गुलाबमिह और हीरासिह चांदकुमारीके | स्थित हो उन्होंने जम्बुसे दो हजार सैन्य मगवाये । इस पक्ष हो किलामे गोला बरसाने लगे। दत्त ध्यानमिहन तरह गुलाब प्रायः करोड रुपये की सम्पत्ति ले स्वराज्यको फरामीमो मेनापति भेञ्च राके माथ शेरसिंहका पक्ष | लौट आये। गुलाबसिंह जम्बु पहुच स्थिर रह न सके। यहां अवलम्बन किया था। आकर उन्होंने सुना कि काश्मोरके शामनकर्ता मोयां- अवरोधक सातवें दिन, रानी चोंदकुमारीने देखा कि सिंह विद्रोही सन्यमे मारे गये हैं और विद्राहाग ग बहुत गुलाबसिंह और डोग्रा मैन्यके मिवा प्रायः मभी उनके ही ऊधम मचा रहे हैं । गुलाब शीघ्र ही काश्मोर पहुंचे। विरुड हो उठे हैं। आज महावीर रणजितका पुत्रबध यहां दो दल राजद्रोही मैन्यके प्रत्य कका शिरश्छेदकर ये अपने सम्मानको रक्षाके लिये विकल हो उठीं। चतुर गुलाबमि ने उनसे कहा, "अब राज्य रक्षाका कोई हजाराको ओर अग्रसर हुए । चिनोलके नवाब पेन्ध खाँ उपाय नहीं सूझता, अब भी आप उनके भाई के अभिप्रा- हजारा अञ्चलमें बहुत हो उपद्रव मचा रहे थे। गुलाब यानुसार शेरामहको राज्य छोड़ दें, तो वे आपको इज्ज मिहने जा उन पर आक्रमण कर पूर्ण रूपसे पराजय तको रक्षाके लिये प्राणपणसे यत्न करेंगे।" उम ममय किया। यहां न्होंने सुना कि मृटिश जातिके माथ काबु- पबला रमणी हाथ जोड़ रो रो कर कहने लगीं, "मैं लमें लड़ाई हो रही है। बहुत दिनको बात नहीं है कि समस्त भार अाप पर सौंपतो हूं, आपही मरे एकमात्र व अमीर जमानशाहने काबुम्लमे लौटते समय गुन्नाब- रक्षक हैं, जिससे मेरी इज्जतको रक्षा हो, वहो कीजिए सिंहको कुछ विश्वस्त मेनाओं हारा महायता पाई थो। दुष्ट शेरमिह मेरा करप्रार्थी है, परन्तु मैं अपने पवित्र उसी ममयमे दोनोंमें मित्रता हो गई और हमेशा एक शरीरको वच कुछ भी कलङ्कित नहीं हो सकती।" दूमरेको खबर लिया करते। जमानशाहकै प्रत्यागमनके गुलाबसिंहने उन्हें बहुत कुछ प्राशा दो। थोड़े ही ममयके बाद काबुलमें वृटिश सैन्यकी बड़ी लडाई बन्द हो गई। महारानो चांदकमारीने जवके दुर्गति हुई । इसके सिवा उक्त लड़ाईके पहले मे ही वरक- निकट ८ लाख रुपये आमदनीका कहिकुदियालो | जड सदोजह प्रभृति काबुलकै मर्दार गुलभावमे गुलाब- नामक स्थान जागीर में पाया । गुलाबसिह महारानी और सिंह और ध्यान महको पत्र लिखा करते थे। इमी उनको मम्पत्तिके रक्षक हुए तथा लाहोर दुर्ग में जो कारण अगरेज लोग गुलाबमिहके ऊपर विश्वाम नहीं प्रचुर अर्थ रकवा था वह समस्त उन्होंने चांदकुमारीसे करते थे । चतुर गुलाबने इस संदेहको दूर करनेके लिए उन्हीं की रक्षा करने के बहाने अपने माथ कर लिया। वृटिश सेनानायकको कहला भेजा कि वे कभी भी वृटि- शरमिह पञ्चनदक सिंहामन पर अभिषिक्त हुए। शके विरुद्ध हो नहीं मकत, परम् युद्ध में व उनकी महा. गुलाबसिंहन शेरसिंहको राजभक्ति दिखलानकलिये जगत् यता करेंगे । इस ममय गुलाबसिंहके कथनानुसार मिख राज्यके म चवने भी वृटिशको यों कहला भजा "खेवर विख्यात कोहिन र ला उन्हें पहना दिया था। उस समय गिरिसटमें मिखसन्य जा सटिश मैन्यकी सहायता शेरसिंह के साथ प्रायः ४५ घण्टे तक गुलाबको बात करेगा, प्रयोजम होने पर जलालाबाद तक जाकर भी चौत हुई थी। उस मम्भाषणका यही कारण था-गुला माहाय्य कर सकता। बने समझा था कि उनके माथ बहुत थोड़ी सेना हमारे ____ गुलाबमिह उस ममय हजाराम थे। वे भी घटिश लाहोरमें उपस्थित है । और जो बहुमूल्य मणिरत्न हड़प गवर्मेटको मदद देने में कटिवद्ध हुए थे, किन्तु इसमय कर लिया है, उसे ले रास्ते में जानेसे सम्भव है | किसी विश्वासी मनुष्यसे सुना कि हरिया राजपुरुष उन कि दुर्दान्स सिख सैन्य लट ले । ऐसे समय | पर अप्रसन्न हैं और दोषारोप कर रहे है।गह सुन कुछ पंजाबपतिको सहायता के विना दूसरा कोई उपाय नहीं | सुब्ध हो तुरत हो ससन्य टिका लौट पायो नदी- है। इसलिये ऐसा ही उपाय करना चाहिए कि जिससे | के उस पार सिख सैन्य ठहरे