पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४६७

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मुघदोपक-गूबर एक तंत्र। इसमें तांत्रिक धर्म को बहतसी गोपनीय छ (हिं. पु०) एक तरहका मत्य जो लगभग चार कथायें अच्छी तरहसे लिखी हैं। तांत्रिक गणोंके पक्षमे हाथ लम्बा हाता है इस तरहका मक्वन्ली भारतके प्रायः यह विशेष आदरणीय है। मभी नदियों में मिलती है यह अपना मुख सदा नीचे- गुह्यदीपक ( मं० पु. ) स्वयं गुह्यं सन् दीपयति प्रकाश को ओर रखती हुई गहरे पानी में चलती है। यति दीप-णिच्-गव ल । खद्योत, जुगनू । गज (पिं० स्त्री.) १ कन्नध्वनि, भौरीके गजनेका शब्द गुहादेश (सं० पु० ) पायु, मलहार । २ प्रतिध्व न, व्यापध्वनि। ३ लट्टको कोल, जिम पर लह गुह्यनिष्यंदन ( मं० पु०) गुह्यात् उपस्थात् निष्यन्दते नि घमता है। ४ कानमें पहननको बालियोका कोटा पतला ष्यन्द-अच् । मूत्र, प्रस्राव, पेशाव । सार। गुह्यपति ( म० पु०) गुयानां पतिः, ६-तत। गुह जना (हिं.क्रि.) १ गूजन करना, भौगेका भिनभि- अधिपति, वज्रधर, कुवेर । वयधर देखा। - नाना। २ प्रतिध्वनित होना। गद्यपिधान (मं० ली.) गुह यस्य पिधान, ६ तत् । गुहागूठ (हिं. पु०) पहाड़ी टट्ट, टांगन। देशका आवरण, गुह य देश ढांकनेका वस्त्र । गूदा ( हिं० ) गोंदा टैस्व।। गुह्यपुष्प (सं० पु. ) गुरु यं गोपनीयं पुष्यं यस्य, बहवो। गूदी (हिं. स्त्री. ) गिरगिट्टी जातिका गंधला नामक अश्वत्थवस। पेड। गुह्यभाषित (म० लो० ) गुह यं गोपनीयं भाषितं । ग (#. स्त्री०) गच्छति अपानवायुना देहात गम-कू-टि १मंत्र । २ गुलकथा । लोपश्च । १ विटा २ मल। गुह यमण्डल-पुराणोक्त एक पवित्र स्थान । गूगन ( हिं० ) गग्गु ल देखो। . ( रापु० १३०५.) गूजर- पेशवा राघोजी भीमन्नाको लड़कोकी लड़की गुह यमय ( म० पु० ) गुह य प्राचुर्यार्थ मयट । कात्ति- पुत्र वा पौत्र १८१८ ई०को अप्पामाहव अब मि- केय। मन च्य त हुए, यह मध्यप्रदेशके नागपुर राज्यमें अभि- गुह्यवोज (म. पु. ) गुह्यं वीजमस्य, बहुव्री० । भूण, षिक्त हुए। गन्धखड़ । । गूजर-युक्तप्रदेशवासी जातिविशेष । यह लोग शान्तभाव- गुह य खान-नेपालस्थ एक पवित्र स्थान । से कायिक परिश्रम करके जीविका चलाते हैं । इनके गुह याष्टक ( स० क्ली० ) गुह यानां तीथविशेषाणामष्टकं, उत्पत्ति सम्बन्धमें बहुतसे आदमी बहतमी बातें कहते ६-तत् । आठ तीर्थविशेष । भारभूति, आषाढ़ी डिंडिल, । कोई कोई कहता है कि गुर्जरदेश अथवा पच्चाब प्राकुली, अमरकण्टक, पुष्कर, प्रभास और नेमिष इन प्रदेशके गुजरांवाला या गुजरात नामक स्थानसे हो उन- आठौं तीर्थीको गुह.याष्टक कहते हैं। को नाम गूजर नाम पड़ा है। नागपुरके गूजर अपनेको गुह्येश्वरी ( सं० स्त्रो०) गुयानां ईखरी, ६-तत् । राजपूत और श्रीरामचन्द्रजीक पुत्र राजा लवका वंशधर १ गुह यकगणोंकी अधिष्ठात्री देवो। गुह या गोपनीया बतलाते हैं, परन्तु युक्तप्रदेशवाले अपनेको उतना ऊंचा अप्रकाश्या ईश्वरो कम धा० । २ गोपनीय देवी, इष्ट नहीं समझते । पानीपथके रावल गूजर अपनेको खोखर देवी। कालो, आद्या, विद्या। राजपूतोंका वंशधर जेसा अनुमान करते हैं। • वि. ) जो बोलनेमें असमर्थ हो। मूक, प्राजकल दिलोके निकटवर्ती स्थानममुह, उत्तर दो- जिसके मरण नाफ शब्द न मिकले। प्राब और उत्तर रुहेलखण्डमें इन लोगों की संख्या अधिक गंग ( हिं० स्त्रीक प्रकारली बिछियां जिसे स्त्रियां है। गूजरों में ८४ भिन्न श्रेग्मियां होती हैं। पिटगोत्र, अपने अंगुलीमें पहनती है। मातुलगोत्र और पितामही तथा मातामहीके गोत्रमें इन- गूच (हिं. स्त्री० ) एक तरहको मछली। | का विवाह नहीं होता। पानीपथक मुसलमान गूजरों- Vali VI. 117