पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४९८

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१८ ____ एशियाके दिखाजो गड़े का सौङ्गा मुगमतासे नहीं तथा प्रचूर परिमाणमें ताजो पत्ती उदरस्य करता है। मिलता। चीनवामी इस सीङ्गको मोल ले करके उससे दिनमें दो या ३ बार एसको ५ घड़ा पानो मिलता जी एक ही निवाससे पेटमें पहुचता है।' सुन्दर सुन्दर पानपावादि बनाते और उन्हें बिकनेके लिये ___ डाकर सफोल्डन १८१६ ई०को यवहोपमें रहते समय भारत, श्याम, कोचीनचीन, समात्रा आदि निकटवर्ती राज्यों में पहुचात हैं। काले रङ्गाके नोकदार सौंग विशेष किसी गड़े के बारे में कहा कि वह पृष्ठ पर चढ़नसे हमें प्रादरणीय हैं। वहन किये रहता और मजैसे गूलरकी डाने और केले वाया करता था। ___ चागटावाड़ोके वनवासो मनुष्य जिम उपायम गैडे. इमको माधारणत: कीचड़में रहना अच्छा लगता है का शिकार करते, अत पाश्चर्यजनक है। पहले वह उमोसे इसको दूसरे पुरुषोंसे अलग रखी हैं। बहुत दिनों किमी ठोम बॉमका अग्रभाग छील करके पतला बना लेते बाद यह एक बच्चा देता है। और उसे आग पर गर्म करके कड़ा कर देते हैं। फिर वैद्यशास्त्रके मतमें इमका मांस वलकर, कण, गुरु, वनमें प्रवेश करके चीत्कार और करतालि हारा गगडकको कफ तथा वायुनाशक. कषाय, पिटलोक शिकर, पवित्र, ललकारते हैं। यह अपना स्वभावसुलभ मुख फाड़ते आयको हितकर, मूत्रबड़कारक और रुक्ष है। भगवान् फारसे उनके प्रति धावित होता है। उम ममय शिकारी मनने भी इमका माम भक्षणयोग्य जैमा लिखा है। कौशलक्रममे वंशफलक इमके मुखविवरमें जोरके माथ (मन ५। ८)अफ्रीकामें स्थान स्थान पर आज भी यह मांस घमेड करके चारों और भागते हैं। यह यम्वगामे अस्थिर ग्वाया जाता है। हो भूमि पर गिर करके चिल्लाता और प्रचुर रक्तपातके मुगल मम्राट बाबर अपने आप पेशावरमें गडे का कारण क्रमशः निर्जीव हो जाता है। मिवा इमके वन- शिकार खेलने निकलते थ। पादरी जर्डनास माहबने स्थलमे ग्रामको जानवाले मभो प्रवेशपथ जालोमे घर भी पञ्जाब और मिन्धुप्रदेशमें जीवित गण्डक होनेका करके शिकारी जङ्गलमें आग लगा देते और भागनेवाले उल्लेख किया है। एतद्व्यतीत भूतत्त्वविद लोगोंके माला- गैंडात्राको गोलोमे मार लेते हैं। य्यमे महोके बोच जो समस्त प्रस्तरोभूत गण्डास्थि मिला प्राचीन रोम राज्यमें गडं को कई बार अनक अङ्गत है, मालुम पड़ता कि परकालको पृथिवी पर और भी कई क्रीड़ायें देखी गयी हैं । पुस्तकादि पाठसे समझा जाता प्रकारके गेंडीका अस्तित्व रहा । यथा-(कामवे उपसा- कि आगष्टम्न क्ल पटराको अपना जयघोषणा करनेको गरके मध्यस्थित पेरिस हीपमें (१) Acerotherium Pe. रोम नगरको कोड़ाभूमिमें गण्डक और जलहस्ती की | rimense, ( २ ) १८७१ ई०को वेलगांव प्रदेशके गोकक लड़ाई देखलायी थी। एतद्भिन्न सम्राट् एण्टोनियाम हेलो. ताल कसे ३॥ मोल उत्तरपूर्व चिकदोली नाले के पाव स्था- गवेलाम और गाडियानने भी वेमा हो गड़े का तमाशा नमें एक नाली निकालनेके लिले मही खोदते खोदते ८ फुट नीचे भिन्न जातीय (B. Deccanensis.) गेंडात्रोंका ...: १५१२ को प्रथम भारतवर्ष में युरोपमें पर्तगाल- दांत और पञ्जरास्थि. (३) पटवार प्रदेशमें R. Sivalen- राज ईमानुधलके निकट एक गैडा भेजा गया। फिर sis (४) हिमालयके निकट शिवालिका गिरिधणोकी १७७१ ई०को भरमायलनगरमें गड़े का एक शावक उपत्यकामें R Palaeindicus, R. Platyrhinus पहुचा। कुधियार और बोफों साहब उसका सविशेष मथा R. Planidens. तीन भित्र जातीय, (५) नर्मदा विवरण लिख गये हैं । वह जन्तु २६ वत्सर जीता जागता नदीके उपकूलमें R. Namadicur, (६) ब्रह्मदेशक रहा । १७८० ई०को जो गेड़ा इङ्गलेण्ड ले जाया गया, मामा स्थानों और आवा नगरमें R. Iravadicus. विङ्गले माहबने लिखा है-'यह जानवर पान लगता, | (७) चीन देशमें R. Sinasis, (८) मन्तवाणीपजमें चालकके मतानुसार चलता, दर्शक व नोचने पर R. Lasiotis और भारतवर्ष में भी किसी स मा बिलकुल नहीं बिगड़ता पौरास १० बिसस्ट | जातिके प्रस्तित्वका निदर्शन मिलता है।