पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५२९

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१२० ... गोकुलदेव-गोचर मंन्यासी आये थे, तब आपने उनके मुवमे वेदान्तका गोकुलभ--हरिरायके बेदान्तकारिका ग्रन्थका एक टोका. विमल उपदे श सुनकर उनका शिष्यत्व स्वीकार किया ।। कार । तत्पश्चात् आपने परमहंभ मच्चिदानन्द स्वामोके निकट गोकुलस्थ ( मं० त्रि० ) गोक ले तिष्ठति गोकुल-स्था क । वेदान्तका गढ़ तात्पर्य मालम किया । इमक थोडं ममयः १ गोकलवामी जो गोकुन्न ग्राममें रहता हो । कृष्ण उपा- के बाद आपने उच्च पदगारव ार विषयमम्पत्ति परित्याग मक सम्प्रदायविशेष । ३ तेलङ्ग ब्राह्मणांका एक भेद । कर वानप्रस्थ अवलम्बन किया। उन्नीसवीं शताब्दीके गोकुलाष्टमी ( मं० स्त्रो० ) गवां कुल पूजनीय यस्यां, शेष भागमें आपने ईश्वरक ध्यानमें ही अपना जीवन उत्समें बहुव्री० । तादृशो अष्टमी, कर्म धा० पुवद्भावश्च । दाक्षिणा किया। त्यमें श्रौतषणको जन्माष्टमी डमी नाममे प्रमिड़ है। गोकुलदे व-तीर्थ कल्पलता नामक संस्कृत ज्योति: शास्त्र अन्माष्टमो टैग्यो। कार। गोकनिक ( म. वि. ) गोनत्रस्य कन्नमत्र गोक न ठन् । गोकलनाथ--एक विख्यात पण्डित । इन्होंने सललित । १ केकर, चा, भेगा गविपङ्गस्थगव्यां क निक: जड मंस्कृत भाषामं करणप्रवोध, प्रमाणप्रबोध, भकिरमामृतः इव पङ्कम्थ गव्य पनिपक, पाम गिरी हुई गायकी मिन्धु, शाण्डिल्यसूत्रको भक्तिमिद्धान्तविवति नामक टाका उपेक्षा करनवाना। प्रणयन को है गोकुलेश-हिन्दीक एक सप्रमिद कवि। इनकी बनाई २ जयविलाम नामका मंस्कृत ज्योतिःशास्त्रकार । हई बहुतमी अच्छो अच्छा कवितायें हैं जिनमेंमें कुछ ३ मिथिन्नाक एक प्रधान पशिडत । यह मैथिल महामहो। नोचे दिय जाते हैं- पाध्याय नाममे मिड है या तो इन्होंन बहतसे मंस्मत। पानी तू भी मान मधुवन की गलियम उत जराज कु वर ग्वले हारो। ग्रन्य रचे हैं। परन्तु उनमें निम्नलिखित ग्रन्थ हो प्रधान गुलाल और कुछ मा भाजन मेरे भोगे। मङ्ग व जलाल ग्वाल पर बालक करत कोनाइन पतिपय मार। हैं--तनिण यको कादम्वर्ग नाम्रो टीका, माम- यह की जो महीम के जिय गोकुलम मिय रमिक किशोरी ॥ मोमामा, रममहाण व, शिवशतकम्तोत्र, रश्मिचक्रतत्व, रहन रङ्ग है विहागनान गोनमधारी। चिन्तामणिटोका: तत्त्वचिन्तामणिदीधितिद्योत, तर्कतत्त्व ग्वानवान सब मग मला मिए और मकान प्रभारी निरूपण, न्यायमिहान्ततत्व और पदवाक्यरत्नाकर । मानत वीणा मदा चङ्ग डफ झाझमकी झनकारी। काशीक रहनेवाले एक विख्यात हिन्दी कवि। ये गोकुलेश भ होरी खेले गावत दे दे तारी। कवि रघुनायक पुत्र थे । पञ्चक शोकं अन्तगत चोरागांवमें गोकुल्लोझवा (मं० स्त्री०) गोकुल उद्भव यस्याः, बहुवी। उनका जन्म हुआ था। काशीराज चेतामह कविके । महामाया । प्रतिपालक थे। प्रतिपालक इतिहाम अवलम्वन कर | गोकत ( सं० क्लो० ) गोभिः कृतं, ३-तत्। १ गोमय, गोबर। इन्होंने चेतन्ट्रिका नामक ग्रन्थ, गोविन्टसखटविहार (त्रि०) २ गोकट क अनुष्ठित । और हिन्दी भाषा महाभारत तथा हरिवंशका अनवाद गोकास (हिं० ५०) १ उतनी दूरी जहाँ तक गौक बोलने रचना किया। का शब्द सुन पड़ । २ कोटा कोस, हलका कोम । गोकलप्रसाद--एक हिन्दी कवि। ये कायस्थ आतिके थ। गोक्ष ( सं० पु० जांक नामक कोड़ा। गांडा जिलेके अन्तम त वलगमपरमें ये रहते थे। इन्होंने गोक्षोर (सं.लो. ) गवां तीरं, तत्- गोदग्ध, गायका राजा दिग्विजयसिंहसे सम्मानार्थ १८६८ ईमें दिग्विजय दुध । भूषणको रचना की थी, जिसमें प्रायः १९२ हिन्दी गीतारज ( सं० लो• ) गोक्षारात् जायते जन्ड । १ घृत, कवियोंको कवितायोंका संग्रह है। घो। २ सवक्षीर, तमम , खीर। गोकुलबिहारी-हिन्दीक एक सुप्रसिद्ध कवि । इनका गोक्षुर ( सं० पु० ) गोः पृथिव्याः क्षुर-इव। १ गोखरू जन्म १६.३९ में हुआ था। नामक क्षुप या उसका फल Tribulus launginosus)