पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५६२

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गोधर-गोधायस गोधर ( सं० पु. ) गां पृथिवीं धरति धर अच् । १ पर्वत, गोधापदिका (.सं० स्त्री० ) गोधाया इव पादो मूलमस्या, पहाड २ प्रभामखण्ड वणित एक प्राचीन पुण्यतीथ, बहुव्री०। १ गोधापदी लता। २ तालमूली। रत. लज्जालुका । यहां भगवान् गोपति विराजमान हैं। ३ काश्मीरके एक गोधापदी ( सं० स्त्री० ) गोधाया इव पादो मूलमस्याः, गाजाका नाम । बहुव्री । स्वाङ्गत्वात् डीप पद्भावश्च पूर्ववत् । लताविशेष, गोरा--बम्बई प्रांतक पांचमहाल जिलेका उत्तर तालुक। हमपदो नामको लता ( Cissus Pedata ) इसका यह अक्षा०२२४३ एवं२३६ उ. और देशा० ७३ संस्कृत पर्याय-सुवहा, हंसपदी, गोधाडी. त्रिफला, २२ तथा ७३५८ पू० के बीच पड़ता है। क्षेत्रफल ५८५ त्रिपदी, मधुसवा, हंसपादो, हमपादिका, माडि. रक्त- वग मोल और लोकसंख्या प्रायः ८६४०६ है। माल- पादी, त्रिपदा, वृतमण्डिक! विश्वग्रन्थि, त्रिपादिका, गुजागे और सेम कोई ८.२०००, क. पड़ता है। हम त्रिपादो, कीटमारी, कर्णाट', ताम्रपांदो, विक्रान्ता, मालकमें खेतो कम पार जगन्न झारी बहुत है। उत्तर ब्रह्मादनी, पदाङ्गो, शोतांगो, मूतपादिका, मञ्चारिणी, का ग्रं नाइट पत्थरको चट्टान पड़ी हैं। आवहवा अच्छी पदिका, प्रवादो, कोटपादिका, धात राष्ट्रपदी, गोधा- नहीं। ज्वार ज्यादा बोई जाता है। पदिका, वली, विदला और हमवता है। इसका गुण गांधग-बम्बई तक पाँचमहाल जिलमं गोधग तालक- कट, उषा, विष और भूतभ्रान्तिहर, अपम्मारदोषनाशक का मदर। यह अक्षा० २२४६ उ. और देगा०७३ एवं रमायण है। ( रजनि० ) ३७ पृ॰में गोधरा रतलाम रनवे पर पड़ता है। जन- इम लता मूल या पत्रको मादृश्यमं मतभेद देखा मंग्या प्रायः २०८.७५ है। पहले वहां अहमदाबाद के जाता है। किमो भिषकशास्त्रवेत्ताक मतमे इसके पत्त मुभलमान नवाबीका एक मृबदार रहता था। आजकल गोधा या हमचरणके जैसे त्रिदलविशिष्ट हैं, ओर कोई यह रेवाकाण्ठा पोलिटिकल एजन्मोका भी मदर है। कोई करता है कि पतं का मूल हो गाधा या हमके पद १८७३ ई०को मुनिमपालिटी हई। चमड़े के दो कार- मरीख है एवं मूल हमचरण जैमा रावण है। पत्त । खानीम रंगाईका मामूलो काम होता है। लकड़ीका का सादृश्य देख चिकित्सकगण हंमपदो लताको हो बड़ा कारबारं है शहर पाम हो ७० एकरका पक्का गोधापटो कहा करते हैं। इम लताक तीन भेद हैं। तालाब है। जिमके वृन्तस्थित दोनों वृन्तों में तीन तीन पत्तं रहते उसे गोधर्म ( मं० पु. ) गोधर्मः, ६ तत् । पशुको नाई अवि. चिकित्सकगण प्रक्कत गोधापदी कहते हैं। जिस जातिक चारशून्य मथुन, पश गैको भांति समागम करना। गोधापदीके केवल एक वृन्तमें तीन तीन दल रहत एवं (भारत ११.५ १०) प्रत्येक दलके पाम छोटे छोटे छेद देख जाते उसे तीन गोधम ( म०प० ) अङ्गिरा वश एक ऋषिका नाम । पत्ती या छोटी गोधापदी कहते हैं। टतीय जातिको गाध मामन् ( मं० पु० ) माम भेद । बड़ी गोधापदो मानते हैं हमके प्रत्ये क वृन्तमें एक एक गोधा (मं. स्त्रो०) गुध्यत परिवेश्यते वाहुरनया गुध करणे पत्ता रहता जो देखने में बड़ा कलमोके पत्ते के जैसा घा-टाप । १ धनुषके गुणाघातनिवारणार्थ चाम- लगता किन्तु उसको अपेक्षा कुक छोटा और गोलाकति प्रकाष्ठनिवद्ध चर्म निर्मित पट्टिका, धनुषके गुणाघात निवारणा के लिए बायें प्रकोष्ठ में बंधी हुई चमड़े को होता है । यह लता ग्रन्थियुक्त और अत्यन्त विम्त त होती है । इमके फल मढराकृति, गुच्छ भावापन तथा पकने पटरी। (भाग ३१७.३) २ जन्तुविशेष, गोह नामक पर वणवण के हो जाते हैं। जन्तु। ३ वटपत्रा पाषाणभेद। मनःशिला। २ मूसली नामकी औषध । गांधाव्य ( मं० पु.) गोधा सप, गोमांप। गोधामास ( सं० क्लो. ) गोधा सर्प का मांस। गोधाडि. ( मं० स्त्री० ) गोधाया इव अघिः मूलमस्याः, | गोधायस (सं० स्त्रो०) गो ददाति गो-धा बाहुलकाद बहती। गोधापदो नामको लता। गधाको देखा। असुन । गोधारक, गो धारण करनेवाला ।