पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५८०

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१७८ गोपालवन्दीजन-गापिल इसके सा सब गोप वध हे उनके साथ सब ग्वाल ॥ गोपालो (म स्त्रो०) गोपालस्तदाकारोऽस्त्यत्र । १ गोपाल बहुत दिनन पर भेट मई हे यह दिन दीनदयाल । ___ अच् । कर्कटो। २ गोरक्षो नामक महाक्षुप । गोपा मन मान का फगुवाल को नही कहां गापान ॥" वालगापान देखो लस्य पत्री ङीष । ३ गोपपत्री ग्वालाको स्त्री गां गोपालबन्दीजन-बुन्देलखण्ड के अन्तर्गत चरखाड़ो-निवामो पालयति गो-पालि अगा डोष । ४ जो स्त्री गौ पालन एक कवि । ये १८४० ईमें चरखाड़ीक राजा रतन करती है, गौ पालनेवाली। ५ कार्तिकयको महचान गणो सिंहको राजसभामें विद्यमान थे। माटका विशेष । गोपालव्याम-नारायणभट्ट के शिष्य और उमेशभट्टके पुत्र । गोपावत (म त्रि.) गोपा रक्षणमस्त्यस्य गोपा मतुप इन्होंने संम्झतभाषामें नवरात्रनिगा य प्रगायन किया है। मग्य वः। रक्षणयुक्त, गुण, रक्षत। गोपालशरण-ये राजा गोपालशरण नामम मशहर हैं । गोपामी (मस्त्री.) गोपप्रिया अष्टमी। कात्तिक इन्होंन तुलसीक्कत ‘शतमई' ग्रन्थक प्रवन्धघटना नामक एक शलाष्टमी, इसी दिन करणने गोचारण प्रारम्भ किया था। मुंदर हिन्दी टीका रचना की है। इम दिन मंथत हो कर गोपूजा, गोग्रामदान. गोप्रदक्षिण गोपालशर्मन्-१ एक विख्यात कवि। इन्होंन मय शतक और गवानुगमन करनेसे अभीष्ट मिह होता है । रचा है। २ एक विख्यात राढ़ीय ब्राह्मण कुलाचार्य । ( कमपुरण) न्होंने ध्रुवानन्दमतव्याख्या नामका कुलग्रन्थ प्रणयन | गोपिका ( म स्त्रो ) गोपी-कन् टाप पूर्व ह्रस्वश्च । १ जो स्त्री गोपालन करती है, गोपालिका। गोपी स्वार्थ कन- १॥ श्रीनवाय गिक व्रजवामी हिन्दीधकार। इनका टाप पर्व इस्वत्वञ्च । २ गोपपत्री, गोपको स्त्री। गोपा किया है। हिमाचमोशब्दाथ प्रकाश नामक ग्रंथ व्रजक, यति रक्षति वा गुप गव न टाप प्रत इत्व । ३ रक्षित्री, गोपालसिह यन विशेष आदरणीय है। किपानवाली। ४ कृष्ण शारिवा । पाननाय "चमाना नामक धर्म शास्त्रकार । गोपिचेट्टिपान्नेयम्--मन्द्राज प्रांतक कोयम्बतोर जिनमें माय ममझ ७.पुर राज्य महिसुर जिले में गुण्डल- मङ्गल तालुकका मदर। यह अक्षा० ११.२७ उ० प्रार पात-अशी । पहाड़। यह अक्षा० ११ ४३ उ० ओर देशा० ७७ २६ पू०में एरोद रेलवे टेशनसे २५ मोल उत्तर बामौ बेट्ट-4 . ३५ पू०में ४७७० फुट ऊंचा पड़ता है। पथिम पड़ता है। आबादी कोई ३२२जी है। यहां 'तुकक' छन्द, घर १६ मोल और चढ़ाई ३ मोल है। बादल धनी लोग रहते हैं। कोरण्डम् धातु खब पाया जाता है: ०६पाल कुहरमे आच्छादित रहने के कारण हिमवदगोपाल गोपित ( म० वि० ) गोपा गोपन जातास्य गोपा इतच । 'स्वामी कहते हैं। पौराणिक नाम कमलादि वा दक्षिण विपाहुअा, गुहा।। और गोवर्धनगिरि है। इसमें झरन बहुत हैं। प्रायः ई. गोपित्त ( सं० ली. ) गोः पित्तमिव । गोरोचना, गोरोचन ११वीं शताब्दोको नवादनायकोंने उमकी किलेबन्दी को नामक सुगन्ध द्रव्य । और १५वीं शताब्दोको ममागिसे १७वीं शताब्दोक मध्य- गोपिन् (म त्रि०) ग पायति गुप:णिनि । रक्षक, रक्षा भाग तक वह कोटे या बेडकोटे राजाओंका टुग रहा। करनेवाला। किलेमें गोपाल स्वामोका मन्दिर है। यात्री विष्णु भगः गोपिनी (म० स्त्री०) गोपिन् डोष । १ गोपो । २ श्याम वान्के दर्शन करने जाते हैं। लता। ३ नायिकाविशेष। जो नायिका वीराचार- गोपालि (म पु०) गां वृषभं पालयति पालिइन । १ शिव, निरता होकर पखाचारीके निकट आत्मगोपन कर सकती महादेव। २ प्रवरविगैष । हो उसे गोपिनी कहते हैं। (त्रि०) ४ छिपानेवालो। गोपालिका ( म. स्त्रो० ) गोपालकस्य पत्री गोपालक-टाप गोपिया ( हि स्त्री०) गोफना, ढलवास। प्रत-इत्व१गोपाङ्गना, ग्वालिन, अहोरिन । २ शारिवा, गोपिल ( स० त्रि. ) गोपति रक्षति गुप:इलच निपातन अत्रमूल। ३ कोटविशेष । साधु। गोला, छिपानवाला, रक्षा करनेवाला। बनाया हुआ तुन वषावमण्डली में कि गोपालमिद्धांत-अशौ .. पेट तालुकक' इन्द देशा० ७६ पाल कुह आधारका खामी कर