पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/८५

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खोजी-खोदना खोजी (हिं० वि०) अनुसन्धामकारक, दंढनेवाला। यहां मिर्फ द्राविड़ वंशक खाँडजातिके मनुष्य वाम करते खोट ( सं० पु. लो० ) रसजारण द्रव्यमद, कुश्ता बनाने हैं। ग्राम छोटे छोटे पहाड़ और घने जङ्गलीस विभक्त को एक चीज । इसको 'यमक' या 'फुट' भी कहते हैं। हैं। पूर्वकालमें चार पांच वर्षमें एक वार खोंड धरणी खोट (हिं. स्त्री०) १ दूषण, ऐव। २ उत्तम द्रव्यमें देवताको मनुष्य वलिदान देते रहे। इन्हींका ख्याल था अधम द्रव्यका मिश्रण, अच्छी चीजमें बुरीका मिलाव। कि हलदी जो उनको प्रधान गृहस्थी रहो, परिपूण रूपसे ३ अच्छीमें मिलायी जानेवाली कोई बराब चीज । उपज नहीं मकती जबतक पृथ्वोके भीतर मनुष्यका रक्त (वि.) ४ खोटा। 'शेट कुमार बोट पति भारो' ( तुलसो) न जाय। किन्तु यह प्रथा गवनमेण्टने सदाके लिये बन्द खोटक ( मं०) कोट देखो। कर दी। आजकल वे मिर्फ महिष या मेष वलिदान देते खोटन (सं० ली.) लंगड़ाई, लंगड़ी चाल । हैं। खांड किमी जमींदार या गजाके अधीन रहते नहीं खोटा (हिं० वि० ) दूषित, खराब, जो खरा न हो। आये हैं। वे मिर्फ खास गवर्नमेण्टकी जमीन जोतते खोटाई (हिं० स्त्री०) खोटापन देखो। जिमके लिये उन्हें कर भी देना नहीं पड़ता है। किन्तु खोटापन ( हि पु० ) १ दोष, नुक्स। २ फरब, धोका; हरक हलक पीछे तीन पान मड़क आदिकी उवतिके छल । ३ दुष्टता, बदमाशी। ४ क्षुद्रता, ओछापन; लिये देने पड़ते हैं । इनमें वाल्य तथा प्रौढ़ विवाह प्रचन्नित खोटि ( म० स्त्री०) खोट-इन्। १ कन्दुरुखोटो। २ है। वाल्यविवाहमें कन्या वरसे बड़ा रहती है। खार देखा । पालकीहक्ष। ३ चतुरा स्त्री, होशियार औरत । खोत -कोलवा जिन्लेमें रहनेवाली एक जाति । ये पेन, खोटो, खोटि देखो। रोह और होतो ग्राममें रहते हैं । प्राचीनकालमें ये जिले- खोटिग-तृतीय कणके उत्तराधिकारी । यह कृष्णक छोटे को तहमोलकै कर्मचारी रह और मुमलमान बादशाहमे भाई थे। इन्ह 'महाराजाधिराज' 'परमेश्वर' और 'परम पटेरित या सिने मा भट्टारक' को उपाधि मिली थी। ८७१ ई०के अकतूबर जागीर मिली थो। किन्त आजकल इन्ह ग्राम्यकर देने माममें मोयक-हर्ष नामक मान्लवके परमार राजाने पडत जिसे ये चारकिस्तम चुकाया करते हैं। खोटको युद्ध कर इनका राज्य ले लिया धरवार जिलाके अदर संख्या ४३० है। हिन्दी में ब्राह्मणको ही अधिक है। गुच्चोमै खोत्तिगके राजत्वको एक शिलालिपि है। सरकारको ओरसे आजतक भी ग्रामीका प्रबन्ध इन्हीं खोड ( सं० वि०) खोड़ति, खोल-अच। खञ्ज, लंगड़ा। लोगोंके हाथमें है। ग्राम प्रबन्ध करने के लिये प्रतिवर्ष खोड़ (हि. स्त्री० ) देवकोप, भूतप्रेतका फेर। ये अपनमे से किसो एकको नियत करते हैं। कभी कभी खोड़कशीर्षक ( स० क्ली० ) खोड़ क्षेपे गव ल. खोड़कं शोष- कलेकरसे भी कोई व्यक्ति नियुक्त किया जाता है। मस्य, बहुव्री० कप। १ कपिशोषवृक्ष। २ हिङ्गल। विवाहादिमें ये बहुत रुपये व्यय करते जिसके लिये खोड़रा (हिं पु० ) पुरातन वृक्षका शून्य स्थान, पुराने इन्हें जमीन्दारी भी कभी कभी वेचनो पड़ी है। दरख तका खोखला हिस्सा । __ खोत उत्तम पक्का मकानमें रहते और बहुतम खोण्डमाल-उड़ीमामें अंगुल जिलाका एक उपविभाग। मवेशी पालते हैं। यह पक्षा. २०१३ से २०४१ उ. और देशा• ८३ मोदई (हि. पु० ) वृक्षविशेष, एक दरख त । यह हिमा- ५० से ८४ ३६ पू० पर अवस्थित है। भूपरिमार तयको तराईमे उपजता पौर रंगर्न आदि कई कामाम ८०० वर्गमौल और जनसंख्या प्रायः ६४२१४ है। इस लगता है। उपविभागमें १७०० फीट अची एक अधित्यका है । इम- खोदना ( हिं० क्रि० ) १ खनन करना, गड़ा करनक का बहुतांश जङ्गग्लसे भरा है। गिरिमाला खोडमालसे लिये कुदाल आदिसे जमीन्की मट्टी निकालमा । गजाम तक फैली है और ऊंचाई लगभग तीन हजार २ कोचना, उसकाना । ३ उपहास करना, छड़ना । फोटकी होगी। फुलबाधी इस उपविभागका सदर है।। ४ नक्काशी करना ।