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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१२२

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११२ पहम्मद शाह तुगलक १५ कर दिया था, फिर भी सुलतानने उसको इनाम दक- दागियोंके साथ घोरतर एक नए युख हो गया। इस , सीस दे कर उसका और भी मन वढ़या । उस समयका युद्ध में बागी दलको हार हुई। उसकी चोजे (मल ऐतिहासिक जोया उदोन वरणी सुलतानके इस कामसे शख) मकबूलके हाथ लगी। इस युद्ध में जो अमोर बड़ा दुःणित हुआ था। . . . . पकड़े गये, ' उनको सुलतानने फत्ल कर दिया। अजीजके जुल्मको न सह सकनेके कारण यहांके फिर भी कई भमोर हिन्दुओं का आश्रय पा घर पर . अमोर गुजरातकी ओर भाग निकले। इस समय गुजा गपे थे। । . . . . . . . . . रातके नायव वजीर मकबूल सुलतानको नजर देनेके कई दिनों तक यहां रह कर सुलतानने बाकी लिपे कितने ही मणि माणिषय ले कर दिल्ली जा रहा लगानको वसूल कर लिया। लगान देने में जिसने "ना न', था। मौका पाकर अमीरोंने भी घजीर 'मकलको | फिया उसको दण्ड मिली । मालफे साथ निन्होंने छे? . . . 'जुल्मफे बदलेमें लूट लिया। मकसूल हार गया और छाड़ को थी, घे मी केदखानेमें भर दिये गये। .. उसकी धन सम्पति अमीरों के हाथ लगो । अमीर बह तेरे | इसके बाद सुलतानने भोगे हप देयगिरोफे अमीरोंको घोडे हाथी और धन भण्डारको हस्तगत कर फाम्ये | दण्ड देनके लिये पिसार थानेश्वरी और मजदुल मुक्कको (खम्यात )की ओर आगे बढ़े। उनका इतना मन मेजा । इधर उसने स्वयं पत्र भेज कर यहांके हाकिम थल बढ़ गया, कि यह भी घागी हो गये। इन लोगोंने भी मौलाना निजामुद्दीनको लिख भेजा, कि बहुत जल्द .५ अर्थवलसे अपना घल वढा लिया था। इन अमीरोने सौ घुड़सवारों के साथ यहांके अमीरोंको मेरे पास भेजो। घगावत करना शुरू किया। सन् १३४५ ई०में यह खबर | सुलतानके आशानुसार यहांके अमीर दो बडे, उमरामों सुलतानको मिली । तुरन्त ही सुलतान गुजरातकी ओर को देख रेख तथा.घुड़सयारों के साथ मेजे गये। : एका... 'चले। पक उनके मन में सुलतानके जुरमको वाद यादमाई। राहमें ही अपनी रक्षाके लिये उन सोंने सलयार उठा

दिल्ली राजधानीमें सुलतान फिरोज, मालिक कवीर

। लो। तुरन्त दो उमरा मार डाले गपे। इसके बाद उन और अहमद आयाजको प्रतिनिधि बना रणा सुल. सोने देवगिरि पर आममण कर निमाजको कैद कर तानपुरको ओर आगे बढ़ा। वहां जा कर सुलतानने | लिया। थानभ्वरो और मन्द-उल-मुल्क पकड़े गये मोर सुना, कि वागियोंका वल मिटानेके लिये पिना शादी | मार डाले गये । धारागिरिफे किलेको उन्होंने लूटा और हुपमके दो अजीज होमर आया था और यहां यागी अपने दलमें के प्रधान अफगान मनको देवगिरिक तपत अमीरोंके हाथोंसे यह मारा गया है। पर येठाया। इस समय मुलतानफे बहुतेरे वागी पर सुलतान इस पलयेफा यदला देने के लिये गुजरातकी / आ कर मिल गये थे। अमोर मालिक याकने धनादे कर • ओर दौड़ा।, नहरवाला (मन हिलपाउ)में पहुंच उसने | सबको सन्तुए किया था। . .... . शेख मुाज होनको कई पफ सिपाहियों के साथ नगरफी | सुलतान यह खबर पा कर देयगिरिमें पहुंचा । वाणी .. ओर भेजा, और. आप बड़ौदा पर आक्रमण करने के लिये अमीयको दार हई। अमीरों के सरदार मस मगान, माय पहाडकी भोर गया। यहां आकर धागी समोरों. इसन गांगू और विदरके बागी अपने अपने परिस को दण्ड देने के लिये उसने एफ , फौज भेजी । पठान स्थानमें चले गये। सुलतानने मादुल मुल्क गादिमागी .. फौजके सामने. यह. पाटा मारह सफा और देवगिरीकी, चोर फेदी अमीरों को कुलयरों में भेज दिया। जो सुल: .. . भोर भागा।. ... .. . ।। तानके यहांसे मागा था, यह दरितमा।. : . .. सुलतानने भागोद फौजों के पीछे नायय यतीर- सुलतामने इस तरह महाराष्ट्र देशकी दगायतको दूर । ममालिक मालिक मकवूलको उनको सोज फरनेमे कर दिया सदी, किन्तु तुरन्त दी गुजरात ती नामक :

लिपे भेजा। मकबूल अव नर्मदाफे तौर पर पहुंचा, तो एक चमारने वगापत कर दी। इसने मालिक मुहर