पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१२३

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. पहम्मद शाह तुगलक (१म)-महम्मद साह तुगनऊ (श्य ) नामक एक राजकर्मचारीको मार डाला। शेन मुस्जुद्दीन लिये अहमद भयात भौर मालिया मकालो दिशी मेश कैद कर लिया गया। फिर सम्बातको लूटा और फिल, दिया। घर मुलतानको योमार मुन कर मग सगह पर कब्जा कर लिया। मुलतानको देवगिरिमें ही इसकीलोग उसे देपने भा गये। कोरडारमें आदमियोंका टह पर लग गई। देवगिरिक शामनकी कोई मुथयान जमा हो गया। 'कर यह वलयल हमिचल दिया। और तो क्या, यहां सुलमान असा आ और शिरा सप्यारी एक भी गादी फौज रखो न गई। करने दगा। मिथुनद पार करनेरे लिये देवरपुर, मुलतानने भड़ींच आ कर नर्मदा किनारे छावनी मुदनान, उच्च, शिविस्थान गादि नाय मगाई गई। माल दो। उसने यौर उनके सेनापनि मालिक गुसुरु, पागो तघीको शरण देनेवाले समगधिपतिको पगमें बनाने दोनों ओरसे पलयाइयों पर चढ़ाई कर दी। वलया- करना उसका उद्देश्य था।मी समय परगनाफे समोर योका सरदार चमार तयो ग्यम्बात, गहरवाला, अगायल अलतुन बहादुर ने पांच हजार मबार भा कर गोर फाटा होते हुए करनील पहुंचा । मुलतान भी उम. सुदनानको फोजो मिल गये। के पीछे पीछे दौड़ा जा रहा था। नहरयालाके निकट, इतनी फौजोंको पार मुटतान आगे बढ़ा, यहां दोनों दलोंमें पक गए युद्ध हो गया। तभी यहांसे मुहर्रम के लिये उमने फासा किया था। पुमो दिन गागा काण्डयरादरे, करनूल और होता हुआ दमोलमें। पानेशे याद वियत सराप हो गई। दिनों दिन उसकी आ पहुंचा। यहां उसको माधय मिला। जिस । यीमारी बढ़नी गई । ११५०ई०में उमको मातने भा घेरा। समय तोके पीछे पीछे सुलतान दौड रहा था, उस : सिन्धुनदी के तौर पर अपनी गहलोटा संगरण कर ली। . साय व्यगिरीको पाली देख हमन गांगने चढ़ाई कर , महम्मद शाह तुगलक (२१)-दिलीका पर सुलमान, दी। यहां लड़ाई, इमादुल-गुला मारा गया। शादी ; फिरोज गाद तुगलका पुर। मन् १३:०० इसका .फौज भागं पड़ी हुई। धारानगरी में जो वागो थे, यद जना हुआ। इसका यथा मा नामिमोग था । मन मी दरान गांगुको फौजमें जा मिले । । १३८७० पिता जीते जी पद दिलोम. नम्र पर देता। • जिस समय यह घटना उस समय सुलतान नहर इसका ऐसा व्यवहार देग अमीर उमगोंको समान . पालामें था। उसने महमद आजिजको देवगिरि भगना लगा। पाल यादमा किया तानसे मार दिया गया। घादा, किन्तु भलाउद्दीनको फोन अधिक जान यागिज इसके बाद नगरकोटमें जा कर रहने टगा। यह दमने यहां न गया। भतः यिगिरि सदाके लिपे अलाउदोन अपना यल पास भीर पानीको कर दिदी सन गांगूफे अधिकारमें भा गया। पर पढ़ाई कर दी और उगे कप्ता कर लिया | aire. यगिरि दायसे निकल जानेसे सुलतानको यदा एक बार या तान पर पैठा। सन् १३६४ मे शीन गुण हुया, किन्तु कोई उपाय न था । करनाल भार वर्ग माम राज्य करने बाद लोग मामा। कांगड़ाफे किलेको जीतना तथा गुजरातमें शान्ति जलेश्वरका गिरिदुर्ग इमीगर यामापामामा। स्थापित करना ही उसका एकान्त उद्देश्य था । मुलतान इसको मृत्युयो पाद मन् १३४४ का पुन करनाल फिलेफे सामने आया। पहाफ भधिकारियोंने माय माद भन्दादोर सिरदर मा नाम पण कर आत्मसमपर्ण कर दिया। तयो मुटतागको अधिक पिता के सात पायेठा। गरमास निगमय परत. सेना देश कर जाम रामानों की भरपामें पहुंचा। सुलतान पं. बाद मा उद्दानगी मृत्यु हो गई। पं. राम . करनाल और कांगडा पर काम कर जाम राजामोंकी, इसमा माई मदद माह गरम १०पको मन . मोर मुका। राह दी सुलतान शीमार हो गया। इसी , दिली गगन पर पेटा। पहलवान गागानिगा । पाद समप दिलो मालिक दोरको मृत्यु हो गई। मुलतानको पुरानी भयतापनीका पार दिहीफे निकर .ससे भीर मो दुराया। उसने राजकार्य मंगाटने, मोर उमरा या मदार पानी दो र दो । tol. I0