पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१२९

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महासर-महाकान्ता महाकर (म पु०) १ गहन हस्त, लया हाय । २ मधिक ! महाकल्याणगुड़ (सं० पु०) गुदीपरिशेर। प्रस्तुत खजाना, ज्यादा लगान। ३ पुद्रभेद, एक योधिसत्त्व प्रणाली-पीप, पिपरामूल, गनपीपर, पनिपा, विकत का नाम । (वि०) ४ पृहत् हम्नयुना, जिसके बड़े बड़े ! यमानी, मरिच, विफला, यनपमानी, नीलोरक्ष, जीरा, हाथ हों। ५महारश्मि। | सैन्धय, गाग्मर लयण, मामुद्र दया, मोयल, गिट मदायरस ( पु०) महाश्वासी करतश्चेति । फरसलयण, दागचीनी, सेमपन, छोटी लायगो, काला विशेष। इसका व्यवहार भीग्ध रूपमें होता है। जीरा, नियोग ८पल. गुष्ट १२॥ सेप तिलका सेल 4 पर, वैद्यक से तीक्ष्ण, उष्ण, कटु तथा मिष, फंड. कुष्ठ, । मायलेका रस ८ पल, कुल मिला कर तीन प्राय होना प्रण और त्यचाफे दोपोंका नागक माना गया है। चाहिये। पो यथायिधान धोमी भाचे पाय करे। संस्कृत पर्याय-पट प्राथा, दस्तित्रारिणी, उदकोण, इमको माया पाहमर फलफे समान पनलाई गई है। कोई विपनो, काकघ्नी, मदहस्तिनी, शारदा, मधुमतो,। कोई आपले या परके बरायर भी इसकी मासा बतलात रसायनी, इस्तिरोहणक, इस्तिकरनक, सुमनस् , काफ। है। चिकित्सकको चाहिये, कि ये रोगीफे बलापलफे भाएडो, मधुमता। अनुमार माता स्थिर कर दें। नियमपूर्वकास मोपचका महाकरम ( स०पु० ) बौद्धोंके अनुसार एक बहुत बड़ी सेयन करनेसे सब प्रकार प्रदणीरोग, बीम प्रकार संख्या। प्रमेह, उरोयात. प्रतिघात, दुर्यलता, अग्नि मान्य तथा महाकरम्ग ( स० पु०) एक प्रकारका पविष। सब प्रकारके, ज्यर नष्ट होते हैं। विशेषतः शरीरको महाकरण (म लि०) महनी फरणा यस्य । यहुन कान्ति, मति और गलद्धि, पाण्टुरोग, रक्तपिम और दयालु। मलगद्धता नष्ट होती है। धातुक्षीण, एम बीमसा महाकरण पुण्डरीक (स' हो०) बौद्धसूव-प्रन्यभेद । द्वारा क्षीण, क्षयरोगी और यारलीफ लिये यह विशेष महाकरणाचन्द्रि (स'० पु० ) योधिसत्त्वभेद । लाभदायक है। महणी रोगमे तो इसे रामबाण दी सम- महाफास ( स० पु०) गुल्मभेद, एक प्रकारफी लता। भना चाहिये। (भाग मारोगाधि०) महाकर्ण (म.पु.) १ शिव, महादेव। २ नागभेद, मदाफल्याणपृन (सं००) पृतीपय विशेष प्रस्तुग ____पक नागका नाम । (सि०) ३ पदत् कर्ण युना, जिसके प्रणाली-घी 8 से, शतमूलोका रम १६ स य व बड़े कान हों। सेर, चूर्ण लिये जोरा, श्यत पदया, ममीठ, भमगंध, महाका (सं० रत्री०) कात्तिफेरकी एक.मातृका नाम। हल्दी, काकोली, क्षीरफाकोली, मुलेठी, मैदा, महामेदा, महाकर्णिकार (सं० पु०) महाश्चासी कर्णिकारश्येति । प्रालि, यति, भौर देवदार प्रत्येक यस्तु ८ तोला। एत. ___ मारग्वध गृक्ष, अमलतास । पाक्यो नियमानुसार इसका पाक करणा देगा। दादा महाफर्म (सं० मो० ) १ वृहत् फर्म, पड़ा काम । ( पु०)' धिकारमें यह त भति उत्कृष्ट माना गया है। (रगेन्द्र) २ यिरणु । (सि०) महत् कम पस्य । ३ महत् फर्मयुनः। मदारूपि (मे० पु०) महाकाय प्रणेता । जो महा. महाकला (सं०सी० ) ममा नामक कला । इस दिन | कायका प्रणयन कर पगस्यो हो गये हैं. यही मदापि पितृकर्म प्रगस्त। नामसे प्रसिद्ध है। पाल्मोमि, कालिदास, माघ, मारपि, महाफलोप (सं० पु.) कोई पिधेर मतानुसारी सम्प्रदाय धादर्प मादि महाकवि दला। महाकास्पायन (संपु०) गौतमपुर १. गिप्पा महाकल्प (सं० पु०) समयभेद. पुराणानुसार उनना, गाम । समय जितने में एक प्रपाकी भायु पूरी होती है। निय, ' महाकान्त (म. पु०) निप। (वि०) २ मतीय रमणीय, महादेव । कन्य देगी। दहुत सुन्दर। महारपतयनाथ-पक जैन महंत । । महाकान्ता (सं०ी .) पृथ्यो।