महातालकबर-महात्यय १३३ . • मनम्ता, शिया, लोरा, भात्मता, सदृग्यामिनी, गदा, मदातिका (मो .) महनो गुरुतरा निना। प. वैया, नीलमरम्पती, शारिलो, यसुधारा, प्रनंददा, दिल निना, तिमो नामको लता। पाठा, गार। ': चना, लोनगा। (हेम) महानिरिभ । सं० पु. बोहफे मन बहन की संख्या. महातालफेयर ( स० पु.) पुष्टरोगकी पर भीपा का नाम । प्रस्तुत प्रणाली-दांसफे पने धीर धरितान्टको चूर्ण कर 'महानिधि ( पु.) पटी निधिमेद । कोडे जाल में तथा पुनकुमारीफे रस में तीन बार मायना मानीण (ममि) १ अपर तो पा २ दे। पीछे कांजी, हे दृष्टी और पुनर्णधार राममें तीन बहुत कदया या झाटदार। दिन मल कर साफ समान बना ले। इसके बाद एक महातोरणा (मनोमानक पक्ष, चिन्तायां । हांडीमें पलाकी रात भर दे और हमालको गत मदानीयं--प्राचीन तीर्ग विशेष। यर मान रामपा पर रमाकर हारोफामुदहशमन है। पीछे उसे अच्छी महतो नाम गियाना तरदलीप पोत कर ३२ पहर नफ पास करे। मनन्तर महातुम्यो । म रमी0 ) महायागु बारह । दरताल र भाग, शोधित तान २ भाग इन्दपली पीस मदानुष्टिाममुद्रा ( मी मुद्रामेछ। चालुफयत्र में नियमानुमार इस भापधको पकाये। मदातजम् (सं०० मादनिमय जोड | वाग्द, चिकित्सयको रोगको अवस्था और शरीरका बलाबल पाग। (पु.)२ कार्मिषेय। ३ भनि। महावय। देखकर मासा और अनुमान स्थिर करना चाहिये । इसपं. (0)-जय जम्पी, बहावापान | . सेवासे भठारह प्रकार कुछ, विसर्प आदि रोग भनि पानिए नोमिश्च सामगों में कामाया। शीम नए हो जाते है। (भपज्याना पुपिक) चापम महानि मुत एरन " गनु ।।१२) महातालो (मी0 ) महान मन नाला या पिर्या ६ स्वादिगणयनित हो राजाका नाम । खेप्। मायतको लना। महातेजीगर्भ ( स० पु० । तपस्याका एक मेर: महातिनः (सं० ० ) मदानतिगपस्मिनारमा यव ।। - महाल (म. पु० जनविशेष महानिध्य, पकायन । २ अनिय तिन रमयुक्त, जी महातोच(म. ) गमार मिनामागे युबत् मामाह एष तोता हो। ३ किरातगिरफरवरायता । (खी०) ययतिकममा, शनिको नामको तना। "पाठा. पाय महात्मन् । मलि । महानामा पभायो पग।। मामको लता। कन्दयमारतल। उमम म्यभाययुन., जिसको भात्मा या यशाम 0 महातिगमयुत (सं० ० ) पुष्टरोगको पर प्रकारको । पप-मद, उन्नर, उदार, उदास, रोग, भोग्ध । प्रस्तुत प्रणालो- समपर्ण, मारायध, अतिरिका, कटुको, गुलघ, त्रिफला, पटोल, नीयू, परिक, ।। 'महाप, महानम । (पु.२ परमामा। "मुगानु मनोपन य मन महानि । दुरालभा, मांगा गन्दन, बागमIRT, Rang. गिला. वा मारमा मुE fram" (मनु ) उपान्त्या, विमाना, मुगनायर, स्यामलता, मी, ३महतस्य। भास, पम, मुलेठी, भनिय और गाय का, समान भाग ." पिया सामगिनिन । के पर पूर्ण करे । उम चूर्ण में गांगुना पो, सोना मेवाणु भारपमान मना पिलेका राग और रसमे चौगुना अस एफस मिला पर। पापापनियमानुमार पार करे । इन मंचन कुछ in पर । ५ प्रदाय, त्रि यिसमयम, रनपिस, उन्माद, अगम्य र, गुल्म, पादमा. ARTME, RAEL धीषद, पापगंग, निमामि पग : गापु. Refer I तुध, गाती रोग मुन जाना है। यह न , महापु ) र पिद ! ५ महामान उपहारी। (मुभमननxs) या यंग vt. TI. .
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१४५
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