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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१५२

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१४० महानदी-महानन्दा रायगढ़से २५ मील दक्षिण छत्तीसगढ़की पहाड़ो। यह मान्द्राज प्रदेशके गाम जिलान्तर्गत भाका नगरपं. अधित्यका भूमि होती हुई यह शिहोया प्रामके समीप समीप ऋषिकुल्या नदीसे मिलती है। रासेलकोएटा चली गई है। यहां इसका याफार यहुन छोरा है। और गुमसर नगर इसके किनारे अवस्थित है।.. शिवनारायणके समीप शिवनाद, जोङ्ग और हास महानदी ( छोटो)-मध्यप्रदेश मण्डला जिले से निकली नामक तीन शाखाए इससे मिलती है। इसलिये यहां हुई एक नदो। जव्यलपुर और रेयाके सीमागतसे होती पर महानदीका आकार कुछ बड़ा हो गया है। इसके : हुई यह ५० कोसका रास्ता ते करके शोणनदीम गिरता वाद मलहार नगरको पार कर यह मान्द और केलू नदी है। नदीफे दोनों किनारे गालके वन है । दयगिरिक में मिल गई है। पद्मपुरके समीप पर्वतमालामें टपकर समीप एक कोयलेको ग्यान और एक. गरम होता देखने में खा कर इसकी धारा प्रखर हो गई है। यहां पर नाच आता है। धारा नदी पार करना खतरनाक है। जहां यह इवा, महानन स० पु०) व हत् मुन्न, यदा मुह । श्रेष्ठ । नामक नदीसे मिली है, वहीं इसकी गति दुनी हो गई है। वा सुन्दर मुख । वादमें पहाड़ी प्रदेश होती हुई यह सझालपुरके दक्षिण महानन्द (स० पु०) महान आनन्दो ऽत्र ।। मुक्ति, मोक्ष शोणपुरके समीप तेल नामक नदी में मिलती हैं। संसारदुःखमोचन ही भानन्दकी शेष सीमासलिये अनन्तर महानदी चक्रगतिमें पहाड़ी देशको पार कर गदानन्दका अर्थ मुक्ति हुआ । महान मानन्दः फर्मधा। ढोलपुर होती हुई उड़ीसाके सामन्त राज्यों में यह गई । २ अतिशय माह लाद। ३ मगध देशका एक प्रतापी है। यहाँ ऊचे स्थानसे गिरनेके कारण इसकी गति | राजा। इसके उरसे सिकंदर आगे न यढ़ कर पंजाय इतनी तेज है, कि नाय द्वारा नदी पार फरनेका साहस होसे अपने देश लौट गया था। ४ दश अगुली नहीं होता। आस पासके पहाड़ी प्रदेश और वनविभाग मुरली। इस पायके देयता ग्रहमा माने गये हैं। .. ने महानदीको और भी भयावह धना दिया है। महानन्द- १ नक्षन ष्टि प्रयोगके रचयिता। २'यियः । __ इस प्रकार मध्यप्रदेशसे कामशः पूर्वको ओर आ कर नाथके पुत्र । इन्होंने 'यासिष्ठि शान्ति' नामक प्रयी . ७ मील पश्चिम नराज नामक स्थानके समीप गिरिकन्दर- रचना की। को भेद करती हुई चली गई है । यहां इसका आकार महानन्दधोर-काव्यकलाप चाफे रचयिता। फुछ यडा हो गया है। यादमें यह फटफ जिला होतो महानन्दा ( स० खो०) महान धानन्दोऽस्याः । १ सुरा, हुई विभिन्न शाखा प्रशाम्बा में फलस पैएटके निकट | शराय । २ माघ शुकानवमी। पदोपसागरमें गिरती है। "माघमासस्य या रामा नरमी बार पूगिता ।। महानदीके मुहानेको जो सब यही बड़ी नदियां इसके महानन्देति मा मोगा सदानन्दरी नाम् । फलेवरको पढ़ाती हैं उनमें कटजुरी, जोतदार, पाइका स्नान दानं अपो होमो देशान्वन गुरगाम् । विम्पा और चितरतला प्रधान है। अलावा इसके स तदक्षाप पोन यदस्यां कियने गरेः।" (गिशितलत) फोभाषाई, घड़ी और छोटी देवी, केलो, ग्रामणी भार चान्द्र,माघ मासफो शुक्ला नवमीका नाम महानग्या . नून नामक शाया नदियां उल्लेख करने योग्य है। फिर है। यह नियि मानयोंको आनन्द देनेवाली है। इस फेन्द्रोपाड़ा, गोवरी, पटामुण्डी, तालदण्डा, माछाय, तिथिमें स्नान, दान, जप, होम, देवपूजा भीर प्रयास हाइलेभल मादि नहर भी वाणिज्यको सुविधाके लिये भादि जो कुछ सदनुष्ठान किया जाता है, यह अक्षय होता . फारी गई हैं। १८५८६०में कप्तान थारिसने इसको जल- है। इस तिथिम जिस किसी पापमंका अनुपान किया । गतिका पता लगा कर लिया है, कि नराजकन्दरसे प्रति | जायगा यह गी अक्षय होता है । अगएप इस दिन पापा. . सेफेोएडमें १८००००० घनफुट जन्ट गिरता है। . नुष्ठान कभी भी नहीं करना चाहिये। . . २ दशपला सामन्तगबफे शन्तर्गत एक छोटी नदी। मदानन्दा-बङ्गालमें प्रवाहित पर. नदी। यह दाहिन