पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१६३

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पहाततिभान-पराप्रसाद महामतिमान (स.पु.) बोधिसत्यभेद। सर्व चैटोगपसंदना दासी दो रपटेशतरह ममल महामतिदार (स० पु०) उपदस्थ रशिपिरोर, प्राचीन- मुयनमारलको पिनर करने लगा। ये पायु फालफा एक उप कर्मचारी को प्रतिहारों अपया नगर गौर यमिको सदापतासे विलोकदाद करने में प्राण होते न्या प्रामादकी रक्षा करनेवाले चौगोदारोका प्रपान । ६, तर एनानुनापसे प्याकुल होकर महलोंशयामिगत होता था। जनलोक गने जाम है। मनतर यद मतपटीन मलय मदामदान (सली .) पहन दान । माल डारा महाराष्ट करके भ पन्दोर पर्यन्तम्यापी र महाप (स.पु.) परिदृश्यमान जगमपच । तरनाकुल जलराशिसे मुश्ममएलको परिपूर्ण कर देते महाप्रम (२० लि. ) महती प्रमा यस्पेनि । मतिगप। है। पोछे ये सैलोक्यको मरने उपरमें रख कर गाग. दोप्ति-युक, जिममै बदुत धमकदमक हो । पद पर मो जाते है। र कालानटसे समस्त मुन "तर महापोर गहमारे महासमन् ।" पन्न हो जाने सपा लोपथपास परियम परमेश्वर (परिवमारपर० २६१२) योगनिद्राफे पनीभूत होते है, मन पिरोको जोड महाममा (म' स्रो०) महती शासी प्रभा चेति । १ मनी कर उम. समीप पने जाने। म पपिरी मापार. दीप्ति, बहुत प्रमफ दमक । २ यतिकालीक, पत्तीको रहित होक्षग भरमै कर्मपृष्ठ पर गिरकर पर पर रोशनी । ३ पुराणानुसार एक मदीका नाम। ' हो ज्ञानी है। मय पूर्म भरने से पहले मौर्य महाप्रभाव (सं० पु०) अत्यधिक वीर्यशालो, यहा बल सलो ऊपर बहती हुई पृथ्योको अपनी पीठ पर स्टा धान् । लेने है। पृथियो ग्रापार पर पर गिर फर पर पूर महाप्रभु (स'० पू०) महाश्वासी प्रभुश्चेति ।१ परमेश्वर ।। हो सापेगी, इस मयसे फर्मरूपी मारायण शो भने '२ चैतन्य। ऊपर रन देते है। पृथियो जर एपल राशि ' विनरेऽनन्ता नै भ्ययं गोनगन्य महाप्रभुम् । संसर्गसे गमगाने लगती है, तब म इस मामले नानाऽपि यत्प्रसादात् स्थान गदागारमा " । लिपे पहुना प्रशाएफैला देते है। (रिमगिरि ३०) शनन्तर क्षीरोदममद शहा नारायण मामी साप राजा। ४ संम्पासी या साधु । ५६न्द्र। ६. सोद यहां मनात नकर उन दोपर-पासना शिप। विष्णु। ८पसमाचार्य जीको एक आदर, परमेश्वरको मप ममप धारण करते हैं। उनका सूबा पदयीं। . पूर्ण फल पाकारमें भगवान्को .परमे से गहना महामलय (स.पु.) महास्वामी प्रलपो जगतामयसा राधा दक्षिण कण उनका उपादान (अभिया) Roy मञ्चति । लिलोकमामा पर्याप-संहार। पादोपाधान (परका तषिया) मोर परियम का सामान कालिकापुराणमें इस प्रलयका पिपप इस प्रकार (ण) हो कर रहा है। इस कप मनात उनसी लिया है, मन्यन्तर गादका अर्थ मनुका मधिकार फाट पंया करते हैं। इस प्रकार मनम्त अपनी देसी पियु. ६। एक एक मनु मितने दिन तक प्रज्ञापालन करते। की शप्पा गा देते हैं । इस गमप मारापन गामि नेनिशा नाम मन्वन्तर है। महतर देवगुगामल र मीर पुटरके भीतर लोपर पिराजित पक पक ग्यन्तर होता है। गौदद मन्यन्तरका पर रहते है। इसका नाम महामापा और यही का पिघातामा एक दिन है। प्रमाण एक (माया ..) र मग 'नि गर्ने पर जगत्में पहुन भारी प्रदप उपस्थित होता। है। इस समय महामाया योगनिद्रा का माम्रप मेतो महामार ( पु.) यति मालग है। सोपितामद मला मोममितता पिशु मामि. महामसाद (स.पु.) महाराणी असा कमसमें प्रविष्ट हो र मुम्रसे सो गाने मननर रिशु पिय माहित.