पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१६५

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मदान-पहारीमपुर ४ यागु । ५ तामम मौर रोच्य मन्यन्तरणे. इन्द्रका । मदानित ( स० वि०) भनिगय यानी पहन रहा - नाम । ६नियो एफ मनुचरका नाम । ७ मागभेद। माता । ८र्यश'। सम्यामा पौधा । १० पामिनका पेट। महापरिपुर-मन्द्राज प्रदेश गेगलपद जिन्दाग्नगं एक (त्रि०) बलीदान, मत्यन्त दलपान् । मनि प्राचीन भाम । यह भ ६ ५:"८० सया मदायट- क जैन रामा।२ क कयि । शाश्वतरन देगा० ८.१३°५५ पृ० मनमाज भारसे २२ मार दक्षिण कोपफे भन्तिम भाग का नाम पाया है। और गेटपटगे १५ मोर शि पूर्व में भास्सिा है। महावलगापा (सं० पु०) एक राजाका नाम। पानीय लोग मे महाबलिपुर, माषतिपुर, मामापुर मदाबला (मनो०) १ पलामेद, पीली सध्देया।। गौर माहपुर गो का करते हैं। मंगाने रममा Tir पाय-ऋष्यमोक्ता, भतिवटा, पीतपुपी। पेटका, Seren agirdas नाम रपाई। या धोरण , धर्म- पेटारी । ३ पिप्पलो, पीपल । ४ नोली गृक्ष, नोलका राज या धर्मरप, गोमरय, मर्डनर भौर द्रौपदीरयल पौधा । ५ धामनक्ष, धौका पेट। ६ कात्तिफेयकी एफ. पांच नामोके पांचव पड़े परयरफे मदन है। पेमब -मामृकाका नाम । ७ पक बहुन पनी सगयाका नाम IC माल सिर्फ एक ब गे पर रिपे हुए हैं। मलाया • शियलिगमेद। सफे समुद्र के रिनारे विष्णु पौर गियफ यो मन्दिर महापलाश (सो०) परु वटुन पढ़ी संयाका नामपृथा पृणप है। दो मान नामोंसे मंगरेजोंने मका महायलातेल (सं० ली.) मेलौषध विशेष । प्रस्तुन' 'The Scicu Pagextis या सात मन्दिर नाम । प्रणालो-तिलरील ४ सेर, विजयन्दफे मूलका काय३: दक्षिण भारतमैं यही मप रादि मर्यप्रधान नपा 'सर, मिलित दामलका काय ३२ मेर, जौ, कुल्लमोठ । देखने लायक हैं। मातरयपिदमायको दो कम कग और कुलपी उपदका काढ़ा मिला कर ३२ सेप, दूध ३२, एक बार पद स्थान पर देग भागा पादिरे । पक्षा सेर चूर्णके लिये जोयक, अपमा, मेद, महामेद गने तया मालोचना करने भनेक पदा फकोली. क्षीर कोली, मंग, फलाय, जीयन्ती, मुन्देठो, यहां के प्रानतर साधारण तीन भागाने पिमय हो सन्धय, भगुग, श्येन ना, सरलकाप्ट, देवदार, मीट, सरते हैं-ला प्रामपं. दक्षिण गम्पिा 'लाल चन्दन, कुद, इलायची, पीला चन्दन, अटामामी,। मामपश्चिम, पिस्वन गुका और पासम्मति शैलंग, मेजपत, तगरपादुका, अनन्तमूल, पर, तमुली, गनि प्रभूमि, ३रा समुद्रगोरएप विष्णु भीर जिपमन्दिर। असगंध मोर पुनर्णवा कुल मिला कर मेर। इन सब इनमेशपात मन्दिर समुनगनायी हो गया है। ध्यामि मलपाकफे विधानानुमार यद पार करना होगा। यहां गाकर और गिर नैगुण्यम मादप मर्य 'इस सैलकी मालिश कर से सभी प्रकार. यातरोग न घेष्ठ भार ममोरमा म मगठप धीरारा गोगदंग . होते है। (भपपररना. पातम्यापिरोगाधिकार) 'पारण और इन्द्रपं. क्रोधर्म ग्राम्य गोपी गोपियां भी मदानादि (सं० पु० पाया विशेष मानुन प्रणालो-। प्यारल हो गई थी उन गिन परिकानेमे ने गोपपतीका मूल १ तोला, सॉट १ सोला, इन दोनोको गये है। भारत निकर गा माने परोप ३२ तोले सलो दाल फर स्टकलोको मायसे सिर करे। पिला रही है । दाहिनी नगढी “अब मल तोलाद जाप, हर उसे मार ले। मी मूर्ति नही है. दगीसे दो माया लामा। माम महायलादि पाचन। दो या तीन दिन इस ऐणे मझोर मूर्मि मौर को गीगनमें भी भागों। -पान मेपन करनेसे मोन, कम्प, दाद मार शिम ! मरेड दर्गक •uri मदद भाr . पर मर होते हैं। (भ रना पराधिार) प्रोपी दस मिरगणोरेमो देव ___महापलि (मए.) पनि बलि।२ भाकाम रहे मनमें पाग। 'मन।गुफा ५रपाव। हमारपणे irar TAP भ मो . Vol. 1.39