मलू-मल्ल मल्लू ( हिं० स्त्री०) १ मलघन नामक कचनार की छाल || गया है। महाभारतमें मलजाति, उनके राजा और देशका यह बहुत दृढ़ होती है और रंगने पर फूट फर उनमें उल्लेख आया है। भारतवर्षफे बहुतसे स्थानोंमें अर्थात् मिलाई जाती है। २ मलघन नामक वृक्ष । मूलतान ( मल्ल-स्थान ), मालप, मालभूमि आदिमें मलूक ( स० पु०) १ एक प्रकारका फोड़ा। २एक (मल्ल) मलल शब्द विकृत रूपमें मिलता है। तिपिटकसे प्रकारका पक्षी । ३ यौद्ध शास्त्रानुसार एक संख्यास्थान । कुशनगरमें मललोंके राज्यका होना पाया जाता है। ४ अमलूक देखो। मनुस्मृतिमें मलोंकी लिडियो आदिके साथ संस्कार मलूफ (हिं० वि०) सुन्दर, मनोहर । च्युत वा व्रात्य क्षलिय लिखा है। परन्तु मल आदि मलूकदास-फडामानिकपुरके रहनेवाले एक भाषाके क्षत्रिय जातियां धौद्ध मतावलम्बी हो गई थी। विपिटक- कवि । १८८५ सम्बत्में इनका जन्म हुआ था। इनकी में इसका उल्लेख स्थान स्थान पर मिलता है। इससे कविता यहुत ललित होती थी। साफ साफ मालूम होता है, कि ये लोग ग्रामणों के अधि. मलेक्ष (हिं० पु०) म्लेच्छ देखो। फारसे वाहर और प्रात्य थे और शायद इसीलिये मलेच्छ (हिं० पु.) म्लेच्छ देखा। स्मृतियों में इन्हें प्रात्य कहा गया है । नेपाल और मलेरिया ( पु०) वर्षामतुमें फैलनेवाला एक किस्म | कुड़ा जिलेके विष्णुपुर राज्य में एक समय ऐसे महा- का ज्वर। पहले डाफरों का विश्वास था, कि वस्तुओंके धीर्यशाली मलराजाओं का अच्छा प्रादुर्भाव था। मथुरा. सड़ने या किसी अन्य कारणसे वायुमें विष फैलता है। पति कंसको सभामें भी सैकड़ों मल्ल रहते थे। भग- इसीसे विषसे सविराम अर्थात् अतरिया, तिजरा, धान् श्रीकृष्णने मथुरा मा कर इन देशविख्यात मल- 'चौथियो आदि ज्यर, जो मलेरियाफे अन्तर्गत हैं, फैलते | गणोंका बल चर चर कर दिया था। हैं। परन्तु अब उन लोगोंने यह स्थिर किया है, कि नेपाल, विमापुर और मल्लयुद्ध देनो। मच्छोंके काटनेसे मलेरियाका विष मनुष्यों के रक्त में पहुं माल-हिन्दीके प्रसिद्ध कषि। ये खींची असोचरयाले. चता है । इसीसे सविराम ज्यरका रोग उत्पन्न के यहां रहते थे। इनकी तोप कयिकी श्रेणी में गिनती होता है। की गई है। इनकी कविता बढ़ी ललित होती थी, उदाहर' मलेसीजी-जयपुरके प्राचीन राजा । इनके पिताका णार्थ एक नीचे देते हैं। • नाम था पजोनी । महाराज पजोनोने कन्नोजके स्वयभ्यर- के समय पृथ्वीराजको भोरसे युद्ध किया था। पजोनी भानु महादीननको यूखि गो दयाको सिन्धु और मलैसी ये दोनों उस युद्ध में शामिल थे। पीछे ___ मानु ही गरीयनको सब गय नटि गो । 'मलसीजी आंबेरको गद्दोके अधीश्वर हुए। आउ दुजराजनको रास्त अकाग भयो आउ महराजनको धीरजा दूटि गी । मलोला (.पु०११ मानसिक व्यथा, दुःस्य । २ यह इच्छा जो उमड़ उमड़ कर मानसिक व्याकुलता उत्पन्न गल्ल कहै आतु सब मंगर अनाय भये भानु हो अनायसको करम से मटि गो •कये, अरमान । ... मल्ल-देशभेद, मल्लजातिको घासभूमि। मदामारतके भर भगवन्त मुरधामको पयान किया माजविगनको मतप न टि गो।। भीमपर्वमें इस प्राचीन जनपदका उल्लेरा देखने में आता; है। यह सुप्राचीन मराज्य भभी मालभूमि कहलाता । मल्ल (म पु०) मल्लले घरनि बलमिति मल-म।। है। कोई कोई विराटराज्यको मलराज्य बतलाते हैं। ' याहुयोधी, पहलवान। २ पान, पररान । कपाल, गाल। मल-एक प्राचीन जातिका नाग। इस जानिये लोग ४ मत्म्यमेद, एक प्रकारको मछली। दीपाय- धन्वयुद्ध में बडे, निपुण होते थे, इसीलिये इन्युनका सहर जातिविशेष। मनुके मतमे यह जाति पात्य क्षतिय नाम मलयुद्ध भोर कुस्ती लड्नेवाले का नाम मल पद' और सवणां खोमे उत्पन्न हुई।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२३
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