पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/२७३

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महाराष्ट्र २४३ इस दुर्घटनासे मरहठोंकी जो क्षति हुई उसको शुमार | बालाजीके चचेरे भाई रधुनाथराव (दादासादय) नहीं। उनके प्रधान प्रधान सेनापति और लाखसे | दूसरा विवाह भानन्दीवाईके साथ करके उसके वशी. ऊपर सैनिक इस संग्रामानलमें भस्मीभूत हुए। महा। भूत हो रहे थे। स्रोके कहनेसे उन्होंने राज्यके आधे ... राष्ट्र देशके प्रायः सभी सरदारों और सम्भ्रान्त जागीर- भाग पर दावा किया। इसीसे आपसमें झगड़ा खड़ा ..दारों ने पानीपतकी लड़ाई में प्राण विसर्जन किये । बहु हुआ। इस समय यालाजीके लपक माधव राय नवा- संख्यक मरहठा परिवारका अस्तित्व विलकुल लोप हो। लिग थे। फिर भी उन्होंने वचेक हाथ आत्मसमर्पण गया। महाराष्ट्र के एक भी परिवारने इस घटना | करके घर झगड़े को शान्त किया। पर दुष्ट रघुनाथको आत्मीयवियोगसे अध्याहति न पाई । अतपय इस पर भी संतोष नहीं हुआ। यह माधवरायको फैद घर घर, कुहराम मच गया । बालाजी बाजी ' कर निष्कएटक राज्य करने लगा। राव बडे लडके विश्वास राव और उनके चचेरे इधर पानोपतको लड़ाई में मरहठोंका शक्तिहास हुआ भाई भाऊ साहब भो युद्ध में मारे गये थे। अपनी देख हैदरावादके निजाम अपना अधिकार फैला रहे थे। विशाल दिग्विजयी सेनाको ऐसी शोचनीय दशा सुन | इस पर रघुनाथने उनके विरुद्ध लड़ाई ठान दी, पर स्वयं कर वालाजी रावका हृदय टूट गया। पुत्र विश्वासराव परास्त हुए; किन्तु पेशवाका हाथी युद्धक्षेत्रसे भागना नहीं । और भाऊसाहबफ शोकसे तथा प्रजाको हाहाकार । जानता था, इस कारण रघुनाथको लाब चेष्टा करने पर ध्वनि सुन कर वे उन्मादग्रस्त हो थोड़े ही दिनों के । भो हाथी वहाँसे न टला । फलतः दादासाहवको शत्र के मन्दर पञ्चत्त्रको प्राप्त हुए । उनके जैसे दूरदर्शी | हाथ बन्दी होना पड़ा। युवक माधवराय वन्दीफे घेशमें नेता अभावसे महाराष्ट्र समाजका मेरुदण्ड भग्नप्राय | वहीं पर खड़े थे। वे चचाकी दुर्दशा देख बड़े दुःखित हुप हो गया। । और अपने रक्षियर्गके साथ समरक्षेत्रमें कूद पडे। वृद्ध . इस युद्ध में मरहठों की जो अपार धनसम्पत्ति, मलहार राव होलकरने इस समय निजाम पर आक्रमण असंख्य घोर पुरुष और अपरिमेय युद्धसामग्री नष्ट हुई न करके पूनाका सिंहासन अपनाने के लिये माधवरावसे थी उसकी चिन्ता करनेसे भी हृदय भवसन्न हो जाता | कहा । माधव रावने उत्तर दिया, "वचाको शल के हाथ है। भारतवर्षको किसी दूसरी जाति पर यदि इस झोंक कर किस मुखसे पूना लौटुंगा ?" युवकके इस मकार विपत्तिका पहाड़ टूट पडता, तो वह उसी समय महत्त्वपूर्ण उत्तर पर घृद्ध मलहारराव लज्जित हो गये। . धराशायो हो जाती, इसमें संदेह नहीं । किन्तु महा-! माधव रायने अपने शीर्यवलसे निजामको परास्त कर राष्ट्रसमाजक मूलमें जो भारतव्यापी हिन्दूसाम्राज्य | चचा रघुनाथका उद्धार किया। इस घटनासे माधवके स्थापन और स्वधर्म प्रतापको अक्षुण्ण रखनेके लिये प्रति दादा साहबका बहुत स्नेह हो गया और प्रसन्न हो पवित्र बासनावीज निहित था उसीने इस घोर विपद, कर इन्हें रामसिंहासन दे दिया। कालमें भो उनकी प्राणरक्षाकी थी । पानीपतके | माधवराव तेजस्त्री, कोधी और धार्मिक थे । यह किसी भाग्यविपर्यायसे मरहठोंको अग्रगति फुछ दिनक' लिये| भोको अन्याय आवरण पर माफ नहीं करते थे। कहते एक तो गई, पर जिन्होंने समझा था, कि इससे अधः- | हैं, कि एक दिन उनके मामाने किसी अनाथा युवतीके पतन होगा, ये युद्धके पांच मास पाद ही असाधारण प्रति पुरो निगाह डाली। माधयको इसका पता लग अध्यवसायसम्पन्न महाराष्ट्र-सेनाको दिल्लीको चारों | गया, सो उन्होंने ये तसे उसे खूब पिटवाया था। उनकी भोर अपने माधिपत्य स्थापनमें पुनः प्रवृत्त देख पड़े। माताने अपने भाईकी ओरसे बहुत अनुनय विनय किया, विस्मित हुए। । पर माधवने एक भी न मुनी। क्योंकि ये राजघमंसे 1 बालाजी याजीराषक मरने पर महाराष्ट्र समाजको विच्युत होना नहीं चाहते थे। उन्होंने 'येगार' पकड़ने ___ अधिनायकताको ले कर पूनामें गृहविवाद खड़ा हुआ । को प्रथाको बिलकुल उठा दिया था। एक दिन उनके