२८८ महुआ दही-गहेन्द्र रोटियां पूरीकी तरह पकाई जा सकती हैं। यह हरे मया (हि० पु०) स्मनामध्यात वृक्षभदे। महुभा देसों । और सूखे दोनों हालतमें प्रयोग किया जाता है। महुयागढ़ी--सन्थाल परगनेके दुममा उपविभागके अन्त । हरे महुएके फूलको फुचल कर रस निकाल कर पूरियां गंत एक गिरिशृङ्ग । यहांकी अधित्यका-भूमि स्वास्थ्यकर पकाई जाती हैं और पीस कर उसे आटेमें मिला कर है। यहां जो जङ्गल है, वह युटिश सरकारफे अधीन है। रोटियां बनाई जाती हैं जिन्हें 'महुअरी' कहते हैं। महुर्छा (हिं पु० ) महोत्सव। . . . सूखे महुएको भून फर उसमें पियार, पोस्तके दाने आदि, महुरिगांव-वैतरणी तोरवत्ती एक घन्दर। यह कटक मिला कर फूटे जाते हैं। इस तरह जो तय्यार किया ! जिलेके चांद्याली धन्दरसे दो मोल उत्तर पड़ता है। ... जाता है उसे लाटा कहते हैं । इसे भिगो कर और महुला (हिं वि०) १ महुएफे रंगका । (पु.) २ पद . पीस कर माटेमें मिला कर 'महुअरी' बनाई जाती है। बैल जिसके शरीर पर लाल और काले रंगके पाल हों। हरे और सूखे महुएको लोग भून फर भी खाने हैं, गरीयों-, ऐसा थैल निकम्मा समझा जाता है। के लिये यह बड़े कामका होता है । गौओं, भैसोंके महुवरि ( हिं० स्रो०) महुअर नामफा वाजा, तृपड़ी। मोटो होने और अधिक दूध देनेके लिये यह खिलाया महुवा : हिं० पु०) महुआ देखो। जाता है। इससे शराव खींची जाती है। महुएको महुवा-वम्यई प्रदेशके काठियावाड़. राज्यफे दाला शरायको संस्कृतमें 'माध्यो' और आज फलके गंवार उस विभागान्तर्गत एक सामन्तराज्य । यहांके सरदार माग. कहते हैं। महुएका फूल बहुत दिनों तक रहता है और रेज राजको १२०) और जूनागढ़ नवायको ३८ रुपये कर . बिगड़ता नहीं। इसका फल परवलके आकारका होता | है जो कलंदी कहलाता है। इसके योचमें एक वीज | महुवा (महोया)-पम्यई-प्रदेशफे काठियावाड़ भाव नगर .. होता है . जिससे तेल निकलता है। वैद्यकके मतसे राज्यान्तर्गत एक नगर । यह अक्षा० २१५१५३० महुपके फूलको मधुर, शोतल, धातुवद्धक तथा दाह। तथा देशा०७१.४८ ४५“पू० समुद्रतोरसे दो मोल पर पित्त और यातनाशक, हृदयको हितफर तथा भारी लिना अवस्थित है। यहां असंख्य अट्टालिफाए और देषः । मन्दिर हैं। है। इसके फलका गुण शीतल, शुक्रजनक, धातु, समुद्रतीरके पूर्व जेनी द्वीप अवस्थित है। इस पलयफ, पात, पित्त, तृपा, दाह, भ्यास, क्षपी, छालका | छोपमें E६ फुट उच्च एक यालोकस्तम्भ है जिसको . गुण रक्त-पित्तनाशक, प्रणशोधक और इसके तेलका रोशनी प्रायः १३ मोल दूरसे दिखाई पड़ती है। महया - गुण कफ, पित्त और दाहनाशक माना गया है। का प्राचीन नाम मोहेरक था। मालन नदी इस स्थान : महमा दही ( दि.पु.) वह दही जिससे मथ कर होकर दी गई । मक्खन निकाल लिया गया हो, मनिया दही। महत (हि० पु० ) १ मामा। २ जेठ मधु, मुलेठी। मामारी (हि. खो०) महुएका जगल। ..महेच्छ (सं० पु०) महती इच्छा यस्य, हपश्च सामासिका। महुदो-हजारीबाग जिलेके कर्णपुर परगनान्तर्गत पक महाशय। पफ शैल। यह हजारोवाग अधित्यकासे आठ मोल मद्देत्य-प्राचीन जनपदमेद । राजसूयपरके समय. नफुल. दक्षिण समुद्रपीठसे १४३७ फीट ऊंचा है। यहां चायके ने इस स्थान में परित्रमण किया था। (महाभारत) पड़े बड़े यगोचे हैं। .. महेन्द्र (सं० पु०) महांश्वासायिन्द्रश्य श्ययानित्यपः। माध-वन्यप्रदेशके खैरा जिलेके नरियाद उपविभागान्त- विष्णु। २शमा, इन्द्र। ३ भारतवर्षफे एक पर्यतका गत एक नगर।, यद अक्षा० २२४८३०"3० तथा नाम। यह सात फुल पर्वतॉम गिना जाता है। . देशा० ७३१ पूस्फे मध्य अपस्थित है। प्रयाद है, कि __"महेन्द्रो माया यह गतिमानपतः। मायः दो हजार वर्ष पहले मान्धाता नामक पक विन्ध्य पारपाच सयार नाचना" - हिन्दू राजाने यह नगर बसाया था! , . . . . (मा..५१.)
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