मंद दासियोंको संख्या नहीं थी। सभी लोगोंको दैनिक वेतन ; पूछेगे, कि विधर्मियोंके हाथ मत्तिका घेचनेवाली महमंद। दिया जाता था । सहस्र सहस्रं मनुष्य मन्दिरसे प्रसाद, किधर है, तो में क्या संघाव दूंगा ? उस समय मुझे शर्म: पाते थे। चन्द्र और सूर्यग्रहणके समय लाग्नों यात्री से सर नीचा करना होगा। इससे मैं मर्सि तोड़नेवाला विविध देशोंसे तीर्थदर्शन के लिये आते थे। उस समय ही कहलाना चाहता है।' यह कह अपने कुठाराघातसे इस शिव मन्दिरकी अपूर्व छटा हो जाती थी। मन्दिरके सुलतानने मर्सिको तोड़ दिया। उस समय उसने देखा, भीतर शिवलिङ्गको शिखर एक चन्दातंप नक्षत्रम्वचित कि मूर्ति युगयुगांतरफा बटोरा हुआ जवाहर भरा पडा नीलाम्बरकी तरह प्रतीयमान होना था। है। उसको दो करोड़ के बदले सात गुना अर्थात् १४ महमूद वृहस्पतिवारके दिन सोमनाथके पास पहुंचा। करोड़ से भी अधिक मिला। मदिरके चारों ओर पहाड़की तरह पहाडी चहारदीवारी मर्ति तोड. कर खजानेके द्वार पर जा कर उसने - खड़ी थी। सुलतानने दूरसे देखा, कि मंदिरके रहनेवाले देखा, कि दश हजार सोने चांदीकी मूर्तियां ताखों पर चहारनीवारोकी मोटो छत पर नाच गान कर रहे हैं। रखी हुई हैं। सिवा इसके खजानेमें इतनो असफियां पुजारियोंने मुसलमानोंके अर्धचन्द्राङ्कित पताकाको देख, और मणि मुक्ता भरी है, कि उसको कोई गिनने लगे, कर मंदिरका दरवाजा बन्द कर लिया। सुलतानने रात तो कई वर्षों में गिन सकेंगा । सुलतानको २० करोड भर मंदिरके वाहर हो विताया। सवेरे मन्दिर पर आक- असरफियां मिलों थीं। मुसलमान-ऐतिहासिर कहते मण करनेका मौका दृढ़ने लगा। मन्दिरमें घुसनेका कोई हैं, कि पृथ्वोकी सारो धनदौलत इकट्ठो करने पर भी पथ नं देख लफड़ीकी सीढ़ी बना कर चहारदीवारीको सोमनाथको धनदौलतकी वरापरो नहों को जा सकती। तोड़नेका हुक्म दिया। दलके दल मुसलमान सिपाहीके मन्दिरके भीतर और बाहर ५० हजार मनुष्य मारे मंदिरके आंगनमें घुस जाने पर फरलेआम जारी हुआ। गये थे और यहाँको गणिकाएं दासी बना कर नजगी सहस्र-सहस्र मनुष्योंके रक्तसे समुंदफा नील जल रक्तसे ! लाई गई थीं। सुलतान भारतका धन वैभव देख कर रञ्जित हुआ। वाको जो जीवित बचे, उन्होंने मन्दिरको पहिष्क भी भूल गया । उसने सुन्दर और भव्य रक्षा करने के लिये सुलतानसे प्रार्थना की, किंतु उसका : इस सोमनाथ मन्दिरमें रहनेको इच्छा प्रकटकी थी। कुछ भी फल न हुआ। ब्राह्मणोंने मूर्तिके बदले दो। उसका विश्वास था, कि गुजरातमें हीरा जवाहिरको करोड. असफों देना चाहा, किन्तु मुलतानने किसो खेती होती है, किन्तु धजोरोंके समझाने पर यह सोम- तरह स्वीकार नहीं किया। - नाथसे गजनी लौटा। ___ रातको कत्ले-आम बन्द हुआ। सवेरे उठते हो। सोमनाथको लूट लेने के बाद सुलतानको खयर मिली, फिर वही कत्लेआम जारी हुआ। मन्दिरके दरवाजे पर कि अनहलवाइके राजा भोम लड़ने के लिये' फौज एकत्र जिस तरह फत्लेआम जारी था, उसका वर्णन कौन कर कर रहा है . यह सुन कर कन्दहारके किले पर आक्रमण सकता है। दलके दल मुसलमान सिपाही मन्दिरमें। करनेके लिये सुलतान' यागेरढ़ा। फिलेके सामने पहुंच . घुसने लगे। एक हजार ग्राह्मणोंने हाथ जोड. भूपतित कर उसने देखा कि एक बड़ी नदी फिलेको खाई के रूपमें हो कर देवमूर्तिको भिक्षा मांगी। किन्तु बेरहमं सुल घेरे हुई है। उसने अपनी सेनाको नदी पार करनेकेलिपे तानने इशर जरा भो कर्णपात नहीं कियां ।' जब कहा, किंतु सिपाही इधर उधर कर रहे थे, यह देवावह ग्राहोंने देखा, कि यवन हमको पकडहीं लेगा, तो स्वयं घोड़े पर चढ़ कर नदीको पार कर गया। हिंदुओं- उससे युद्ध करना ही अच्छा है। हार निश्चय थो, ने यह देख कर कहा, कि भगवान हम पर नाराज हैं। युद्ध करके ब्राह्मण शिवमन्दिरके लिये कट मरे । ब्राह्मण हम लोग किसी तरह जीत नहीं सकेंगे, नहीं तो महमूद मर्त्तिके बदले जब दो करोड रुपये देने लगे तो सुलतान ! घोड़े पर पढ़ कर नदी कैसे पार कर लेता? इसके .. ने कहा था, 'जय कयामत आयगो, तव खुदा मुझसे | वादं फौजोंने नदी पार कर हिन्दुओको मार पोट करके ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३५२
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