पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३७४

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३३० पांसपिण्ड-पांसलिप्त होती है। यह प्याधि त्रिदोपके विगहनेसे होती है। अनुसार शरीरके अन्दर होनेवाले स्नायु जिगाव मांस मांसपिएड (सं० सी०) शरीर, देख। । यंधा रहता है । २ मांसफा रसा, गोरया इसका गुण- मांसपिएदी ( म० खी० ) शरोरफ अन्दर होनेवाली चाय, हण, प्राणयक, न्य, यातयिनाशक तथा मांसकी गांठ। कहते है, कि पुरुपोंके शरीरमें इस स्मृतिपल और म्यरषद्धन। सन्धिस्थलफे मान या प्रकारको ५०० गौर स्त्रियोंफे शरीरमें ५२० गांरें विलिए तथा एन और प्रणामान्त होनेसे इसका व्यय. होती है। हार बहुत फायदेमन्द होता है। मांसपित्त (सं० को०) अस्थि, हो। मांसरस (स. सी०) मांसस्य रसः द-तत् । मांसफा गम, मांसपुष्टिका ( सं स्त्री०) एक प्रकारका पौधा जिसमें गारवा । सुन्दर फूल लगते हैं। इसे भ्रमरारि मी पाहत है। मांसरहा (सं० सी० ) मांसरोहिणी । मांसपेशा (स. स्त्री०) मांसस्य पेगी ६-तत्। गर्भ- मांसरोहा (सं० रनो०) मासका देखो। स्थाययचमेद, गर्भको एक भयस्या। पहले पुवुद उसके मांसरोहिफा (स' स्रो०) मांसरोहिणीविशेष। वाद सातों रातमें मांसपेशी होती है। प्रमशः दो मसिरोहिणी (सं० रखी० ) मांस रोवतीति गह-णिन सप्ताह बाद यह रक मांसमें परिष्यात दो कर दढ़ हो । गिनि डीप विकल्पे गुणामायः। स्यनामण्यात सुगन्ध जातो है। मांसपेशीफे सम्बन्ध विस्तृत विवरण भाय. द्रश, एक प्रकारका जंगली पक्ष । इसकी प्रत्पेफ डालीमें प्रकाश लिखा है। पेशी देखो। २ शरीरफे गन्दर होने खिरमोफे पत्तोंके आकार सात सात पत्ते लगते हैं और घाला मांसपिंड। इसके फल पशुत छोटे छोटे होते हैं। पर्याय-अमिरहा, - मांसफल (संपु०) तरम्बुजवल्ली, तरबूज । वृत्ता, चर्म काग, यमा, विपा, मांसरोही, महारयतो, मांसफला (सं० वी०) मांसमिय फोमलमस्या: । वार्ताकी, वीरयती, कशामांसी, महामांसी, रसापनो, सुलोमा, लोम- मिली। कणों, रोहिणी, चन्द्रयलमा। इसफा गुण उण, विदोष. मांसमक्ष (म० पु०) मांस भक्षातीति भक्ष अणु (कर्मण्यन । नाशक, वीर्यवर्धक, सारफ और प्रणफे लिए हितकारी पा २२४१मांसमक्षणफर्ता, यह जो मांस खाता हो। माना गया है। (भाषप्र० पू० १०) २ पुराणानुसार पफ दानवका नाम । मांसल (सो०) मांस तहम्पुष्टिकरी गुणोऽस्य. मांसमक्षी ( पु.) मांस मानेयाला, गोश्तायोर। स्पास्मिन् धा मांस लच-(गिमादिम्यान । पारा) मांममिक्षा (सं० खी०) हुतायशेष मांसयाचन, यसका १काव्यमें गाड़ी रोतिका एक गुण। २मार नामक बचा हुआ मांस मांगना । शिम्यीघान्य, उपद । (लि० ) ३ मांसयुत, मांस भरा मांसभेत्तु ( स० लि०) मांस-मिद तन् । मांस-भेदकारी, हुमा मंगजैसे-वृतह, मध आदि । ४ पलयान, गन. मांस कारनेवाला। यूत । ५ स्थूल, मोरा ताजा, पुष्ट । मांसमोजी (म0पु0) मांस सानेवाला, मांसाहारी। "निस्वाल यालाः स्युनि व्याग्निपुर: पूनः। मांसमएड (सं० पु०)मांसका झोल या रसा, शोग्या । मांगनेर धनोरमक परम्पः ॥" मौसमप (सं०नि०) मांस स्यरूपायें मपट् । मामस्वरूप, . . (गमदपु०६६८०) मांसफे जैसा। ६ मति बहुल, यदुत पेगो। मांसमासा (सं० सी० ) मस-परिणामे धमांसस्य परि-मांसलना (सं० खो०) र मांसलका भाय। २ म्पलता पामोऽस्या: ५घा। मांसपणीं। और पुरी। मांसपोनि (म. पु०) रन मांससे उत्पदा सीय। मांसलफन्दा (म० रनो०) मांसलं पुष्टं पालमस्या मांसरका (सं० सी० ) मांसरोहिणी, रोहिणी। याताशी, मिडी। २ तरम्बन, तरणमा। . मांसा (सं० सी०) १ मांसनियन्धन स्नायु. सुयुतफे। मांसलिग (सं०सी० ) मस्थि नहीं।