पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३७६

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पांसावदारण-पा 'मांस अब दुषित हो कर उसमे फोड़े निकलते हैं, तब ! मांसिनी (संखो०) मांसपत् पदायमापातीति :मांस. उसे मांसाद कहते हैं। यह रोग मसाध्य है। इनि कोप । जटामांसी। २ मयुदविशेष। इसका लक्षण-मुष्टि आदि द्वारा मांसी (सं० खी० ) मांसमम्यास्तौति मांस-मश मादि- अजय घायल होता है, तब मांस दूषित हो कर सूज त्यादच ततो गौरादित्यात् डीप । १ जटामांसी । २ जाता है। इसमें अलग नहीं होती और न उसका वर्ण : मोली. काकोली । मांसटा. मांसो मामी ही यदलता है, किन्तु यह पत्थरके जैसा फदिन और अवि। लता। ४ मुरामांमी । ५ चन्दन आदिका तेल । चलित हो जाता है। इसीका नाम मांसावुद है। चाहालक, अड़स। ७ अङ्गारक तेल । ८ एलादि, यह पता नहीं है। इस रोगको भी साध्य समझना इलायची। मांसरोहिणीभेद । १० रुदन्ती, संजीयनी। चाहिये। मांसी (हिं. पु.) १ उफे रंगके समान एक प्रकारका "अवेदन निग्धमनन्यवर्गापाकमरमापममप्रचाल्यम्। । हरा रंग। (त्रि०) २ उहफे रंगका। प्रदुष्टमोसस्य नरस्य यादमेतद्भयनन्मारापरायणस्य । मांसोय (सं० वि० ) मांसेच्छु, मांस चाहनेवाला। मोसाद' त्येतदसाध्यमुक्तम्............." मांसपाद् (सं० वि०) मांसलपादयुक्त पशु। ( मुश्रुतनि० ११ १०) । मांसेटा ( स० रो०) मांसमिष्ट प्रियमस्याः वापी० । मांसावदारण ( स० ० ) मांसभेदन, मांस काटना। यलगुणा। मांसाशन (सं०को०) १ मांसम्याशनम् । मांसभोजन, मांसोन्नति ( म० रनो०) मांसफो स्फोतसा! . मांस साना । (पु.)२ मांसाशी, यह जो मांस पाता' मामोपजीवी ( स० पु०.१ मांसयिमयी, मांस बेचने है। ३राक्षम। । वाला व्यकि। २ मांस घेच कर अपनो निर्वाह चलाने. मांसामी (सं०३०) १ मांसमोजो, यह जो मांस साता वाला व्यक्ति। . हो। २ राक्षस । मामौदन (सं० पु० ) मांससिन औदन मांसमें सिमझाया मांसाएका ( स०सी० ) मांसेन सम्पाधा अएका मांस ___ हुमा चावल | इसका गुण धातुतिकर, स्निग्ध भीर 'प्रधाना अटका या । गौणचान्द्र माघ कृष्णाटमी । प्राचीन , गुम है। फालमें इस दिन मासके. बने हुए पदार्थोसे धार करनेका । मांसादनिक ( सं० लि.) मांसदिन सम्यन्धीय, मांस विधान था । अष्टका तीन प्रकारको है, यथा--अपूपाप्टका, "; रोधनेवाला। मांसाएका तया शाकाटका। यथाशमसे अपुप, मांस और शाफ इन तीन प्रकारको दृष्योंसे उक्त तीन अष्टकामा मांस्पचन म' लो०) मांस रन्धनकार्य, मांस रोधना। समाहित होती है इसलिये यह नाम पड़ा है। मांस्पाय ( सं० पु०) मांसपाक, मांस रोधना । भटका देतो। मांह ( हि० मध्य० ) में, वाच । • याधापूर्णः सदा का मौसेरपया भवेत्तया। मा (म० मध्य० ) देयादिक पा आदादिक मा-पिय | शाः कायां गुतीया स्यादेश द्रष्यगतो vिn" यारण, मत । २ विकल्प । ३ निन्या, शिफायरा । ( अटफाशर) : ४ पश्चात् , पीछे । मांसाहारी (म0पु0) मांसभक्षी, मांस भोजन करने। "धर्म एए तो इन्ति पो रमति रनिमः। सम्मादमों न इन्मयों मानी धमों इताजा ।।" याला। मामिक (म. पु० ) मांसाय प्रभयति या मांसन जोय. (मनु. ८५) तोति मांस उम्। मांसयिमयो, कसाय । मा.पिया भपया माय, सनष्ठा! "समी। ६ मासिका ( संयो. ) जरामांसी। माता।