पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३८३

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माची-माटा: . : "अथाब्रवीत् तदा मत्स्यस्ताऋषीन प्रहसन् शनैः। । और जिसका व्यवहार रंग तथा ओषधिके लिये होता है। • · अस्मिन् हिमवतः श्रृग नाव वध्नीत मा चिरम् ॥", माजून (अ. स्त्री०) १ औषधके रूपमें काम आनेवाला (भारत वनप० मत्स्योपा०), कोई मीठा अवलेह । २ वह घरफो या अवलेह जिसमें माची (सं० स्त्री० ) काकमाची, मकोय। भांग मिलो हो। माची (हि. स्त्री० ) १ हल जोतनेका शुभा, वह जुआ माजूफल ( फा० पु०) माजू नामक झाड़ीका गोटा या जो हल जोतते समय लोंके कन्धे पर रखा जाता है। गोंद। यह गोपधि तथा रंगाईके काममें आता है.। २ बैठनेकी यह पीढ़ो जो खाटको तरह घुनी हुई होती| पर्याय--मायाफल, माईफल, सागरगोटा। है। ३ थैलगाड़ोमें यह स्थान जहां गाड़ीवान् बैठता और माअरिफ ( स० पु० ) अपामार्गक्षप, चिचड़े का पौधा । अपना सामान रखता है। माबिष्ट (सक्लो०) मशिष्ठया रक्त ( तेन रक्त रागात । माचीक (सं० को० ) देवदारु । पा ४।२।४) इत्यण । १ लोहित वर्ण, लाल रंग । २एक माचीपल (सलो०) एक प्रकारका साग। इसे सुर- प्रकारका मूत्र रोग। इसमें लाल पेशाव होता है । पर्ण भी कहते हैं। (वि)मजीठका-सा. मजीठके समान मजीठ- माछ (हि.पु०) मछली। के रंगका। माछर (हिं पु०) १ मच्छड़ देखो । २ मछली। माछी (दि स्त्री० ) १ मक्खी। २ यंदूकको मछिया ।। माझिष्टक ( स० त्रि० ) लोहितवर्ण, मजीठ-सा लाल । मळिया देखा । ३ मछली। | माक्षिष्ठिक (स' क्लो० ) लोहितघण', लालरंग। माजवाडी-फरिदपुर जिलेके कोटालिपाड परगने के अन्त माऔरफ ( स० पु०) मझीरकका गोनापत्य । गंत एफ प्रसिद्ध गांव ! यहां एक पाश्चात्य वैदिक (पा ११११२) ग्राह्मणके घरमें पत्थरकी धनी सुन्दर, बडो और भक्ति- मार (हि० पु०) ? एक मिट्टोका यना हुमा एक प्रकार- 'भायोटोकासदेवको प्रतिदिन का बड़ा धरतन । इसमें रंगरेज लोग रंग वनाते है। इसे सौ वर्ष पहले एक तालाव खोदनेफे समय मिट्टोसे यह 'मठोर' भी कहते हैं। २ बड़ी मटकी जिसमें दही रखा पद्मशोभित मूर्ति निकली थी। जाता है। माजरा ( अ० पु.) १ हाल, वृतान्त । २ घटना। माट-१ युक्तप्रदेशके मधुरा जिलेकी उत्तर पूर्व तहसील । माजल ( सं० पु० ) माजलमित्यभिमायोऽस्य, यर्पण यह यमुना नदोके पूर्वी किनारे बसा है । भूपरिमाण पारियोस्य पक्षयोरिजडत्यात तधात्वं चासपी.! २२१ वर्ग मोल है। यहां नोहझील और मतिझील नामके 'चातक ।' दो बड़े बड़े ह्रद मौजूद हैं। माजलपुर (म. क्ली० ) नगरभेद । २मधुरा जिलान्तर्गत एक नगर और इसी नामका माजिक ( स० पु०) राजतरङ्गिणी वर्णित एफ मनुप्यका / तहसीलका विचार-सदर। यह अक्षा० २७°३५४२ 'नाम' " . उ० तथा देशा० ७७४४५६“पु०के मध्य अवस्थित है। माजिरक ( स० पु०) मजिरको गोलापत्य । यह हिन्दूके प्रधान तीक्षित्रों में गिना जाता है । वाल. माजीज (सं० क्ली०) जनपदभेद। इसका दूसरा नाम | मोड़ामें भगवान् श्रीकृष्णाने यहां दूधका माट (बड़ा ) माजूज भी हैं। ' फोड़ा था, इसीसे यह स्थान माट नामसे विख्यात हुआ। मा (फा० पु०) एक प्रकारको झाड़ो। यह यूनान और वहांके प्राचीन मिट्टोके वने किलेमे पुलिस और तहसीली फारस आदि देशों में अधिकतासे पाई जाती है। इसकी कचहरी लगती है। "आकृति सरोको-सी होती है। इसको दालियों परसे एक माटा (हि. पु० ) लाल च्यूा जिसके झुडके प्रकारका गोंद निकलता है जो 'माजफल' कहलाता है' आमके पेड़ों पर रहते हैं। Vol, AVII. 87 .