मसनद-मसहरा मसनद (म० स्त्री०) १ बड़ा तकिया, गाय तकिया । लगा। सन् १८५१ ३०में गलैण्ड, एकाटलैण्ड और तकिया लगानेकी जगह । ३ समोरों बैठनको गहो। आयरलैएडमें भी मस्लीनका फारयार भारम्भ हुआ। मसनदनशीन (सं० पु०) मसनद पर यैठनेवाला अमीर। इस काममें इन देशोंको अपनी वालिकामों और खियों को मसमा (दि० कि०) १ मसलना । २ गूधना । उनके सूत तैयार करनेके पारिधमिक स्वरूप ६० लाप मसरफ (अ० पु०) व्यवहारमें आना, काममें आना । । रुपया देना पड़ा था। मसरा (स० खो०) मस-वाहुलकान् अरच् रिनयां टाप् । पूर्वभारतमें जो मस्लीन तय्यार होता था, उसका मसूर, मसुरी। सूता विलायती सूतेसे दृढ़ होने पर भी टिकाऊ नहीं होना मसरूका (म० वि०) चोरी किया हुमा, चुराया हुआ था। पयोंकि ताजा पाससे जो सूता धनता था याद मसरूफ (अ० वि०) काममें लगा हुमा, काम करता विलायती सूतेसे हीन होता था। भारतीय पत्रको सर्योथ मुआ। ख्याति केवल यहांके तांतियोंके यत्न और कार्यकुशलता. मसल (अ0सी0) लोकोक्कि, कहावत । से हुई है, ऐसा कर सकते है। यह विद्या बाज भी इनके मसलन् (१० वि०) मिसालके तौर पर उदाहरणके, हायमें है। इधर महात्मा गांधीजीफे उद्योगसे भारतवर्षम ..रूपमें। इन दो चार धाम जिस तरह घरों और कर्षे का प्रनार मसलना (हिं० कि०) १ हाथसे दवाते हुए गहना, । हुमा है, उसे देख कर एक बार फिर यह दिन याद मलना। २ आटा गूधना। २ जोरसे दयाना। । आने लगा है। इस समय हाथसे कते सूतेसे हायसे युने मसलहत ( म० खो०) ऐसी गुम युक्ति अया छिपी सदरका जोरोंसे प्रचार चल रहा है। हुई भलाई जो सहसा ऊपरसे देखनेसे ज.नी न जा सके' मारनके विभिन्न स्थानों में तथा खास हा तांती मसला ( अपु०) लोकोक्ति, कहावत। इस मस्लोनकी पनाते थे। यह इतना बारीक था, मसलिन-जगत् प्रसिद्ध सूक्ष्म (बारीक) और मुलायम फि रातको यदि पसार, दिया जाता, यदि गीतमे मौज सूती यसका नाम । यह मजकलके मखमल कपड़े से भी जाता, तो जहां पसारा गया था, यहां मालूम नहीं होता अधिक मुलायम और कोमल होता है। अंग्रेज यणिक कि कोई कपड़ा है। किसी प्रेज कयिने इस यरमको मद्रास प्रेसिडेन्सीके मछलीपट्टम बन्दरसे यह कपड़ा यायुका जाल कह कर कल्पना की है। पहले खरीद कर इंग्लैण्ड ले जाते थे। उनका विश्वास ममई (हिं० रनो०) एक प्रकारका स्थूलका गोंद। यह था, कि मछली या मसलो अथवा अपमश मसलिच पहले मसीचा छोपसे माता था, इसीसे इसका यह नाम शब्दसे इस पत्रके नामकी उत्पत्ति हुई। कुछ लोगोंका पड़ा। अभी यह मदनसे आता है। कहना है, कि इस बस्त्रका तुर्क सुलमान बहुत उपयोग मयारा ( दि० पु०) प्रसूनाका यह म्नाग जो प्रसयके करते थे। इस इसकी बड़ी अच्छी पगही होती थी। उपरान्त एक मास समाप्त होने पर होता है। जय सत्गांच में वडालके वाणिज्यका प्रभाव था, तय नु मसयासी (हिं० पु.) १ यह साधु आदि जी एक मास- मुसलमान बणिक ढाफेसे मलमल तुर्फ राजधानी मीसल, से अधिक किसी स्थानमें न रहे। २ एक महीने में नगरमें ले जाते थे। इसके बाद कालक्रमसे ढाकाका अधिक किमी पुरुषफे पास न रदनेवाली खो, गणिका। यह व्यवसाय कम हो गया। फलतः यहोकं शोकीन मयिदा ( म०पु०) १ यद लेम जो पहली बार कार तुम इसको स्वयं तय्यार करने लगे और उसका नाम छांटके लिये तैयार किया गया हो और ममी माफ मोसलसे मस्लीन हुआ। , करनेको पाको हो, मसीदा।२ युनि, उपाय। । यो सदोमे पहले . एफमाल मारतसे होमसहरी ( हि त्रो०) १ पलंग ऊपर और वार भोर मस्लोनको रफतनी यूरोपमें हुआ करती थी। इसके लटकाया जानेवाला जालीदार कपक्षामका उपयोग वाद पैलमो मैनचेपर ग्लासगोको मिलोम तप्यार होने मच्छड़ों आदिस यवने लिपे होता है। २ऐमा पलंग Cot. XII. 10
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