पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४५६

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१०० मानवताव सिह या मालका परचि तक दिपाई नहीं देता।। जातीय जीयोंके यहुन परफे मौसाहश्य होने पर भी यह फिर उमसे यादयो भूस्तरमें विशालकाय सांपका विशाल जातीय जीय साक्षात् सम्पमें भग्य योग्य नहों। र सुरक्षित दिकिन्तु दश हजार घर्षके याद भूपृष्ठ पर यन्दरसे मनुष्पका या मत्स्यसे सोपमा साक्षात् जन्न . मनुस्मगि भूमिष्ट नहीं हुआ, भूनत्य इसका प्रमाण दिपा नहीं हुआ है। इसलिये समपायो जीपवर्ग मनुष्यः । है। शोवरएिक शामविकासको पोलोचना करते। ज्ञातिका पूध यंग हो सकता है पर पूर्व पुरर गहों। : स्पष्ट मालूम होता है, इसमें पकडलायद पति हैं। भारविन और लमहोलज (Helmholti) आदि पगासिज (Agasvir) ने प्राणोतवको पर्यालोचना मयिका-यादियों का कहना है, सष्टिप्रक्रिया REमें कक्षा -विभिन्न जातिको जीवसृष्टिक पिचर संकल्प और चैतन्यको परवाह नहीं करती। में विधाताका यिचित विधान विज्ञानवादियोंकी या गयेतन यतिफे अन्धनियमों में अस्मार हुभा करता परीक्षासे यहुन दूर है। सारी जातियों के इतिहासका ६। सृष्टिपादियों का कहना है, कि जय प्रत्येक पत्तेफे भरपोलमन करगेस मप्पष्टिका माम हदयङ्गम फरना A t affortantrientaritr याहत कठिन है। सरितस्य देखो। । . दिखाई नहीं देता, तप चेतनके मनधिष्ठित अचेतन द्वारा इस विषयमे दार्शनिकतरय परस्पर विरोधों है। स्वतन्तरूपसे सृष्टि नहीं हो सकती । प्रतिको कोई पाश्चात्य मानयतस्य शारन गमार गयेपणा द्वारा मनुष्य पफ भनियंवनीय शक्तिमत्ता त्यौहार म फरनेस प्रह- के निकटतम पूर्यपुरपफे अनुसन्धानमें अभी तक शत्- तित्य सिर नहीं होता । चैतन्यनिरपेक्ष नैसर्गिक कार्य हो नहीं सका है। इसलिये इन दोनों पक्षोको नियोको भन्धचेया या किया द्वारा शीय शरीर पन्त. युधियोंकी आलोचना धीरतासे करना ही श्रेयस्कर है। समूदका यथायोग्य संविधान नहीं हो सकता । परिश्त पक्टिस टेलर (E. B, Tylor)ने सपने मनुष्य इतिहास घोल ( Beal )ने यथार्धा को कहा कि भारपिन या यालेसमें भारमिक उत्पत्तिके सम्बन्धी याहुत, कुछ इंगदोलके सदौ यता करने पर भी मनुष्यको आदि REETस पर मनन करने की आवश्यकता है। उनका उत्पत्ति स्थिर सिद्धान्तका पता नहीं लगा सकते। कहना है कि ग्रामयिफागवादमें बन्धपरमाणुओका आफ- | गोयनावि fifte तकता | Therediture, शोयनाति, निर्दिष्ट पैतृकता । ( Thereditury varieties ) पंग और पिप्रकरणमे सिपाय सटिका अन्य कोई प्रय पिता माताका स्वभाव तथा गुण सन्तानमें किरांना संक कारण निर्दिष्ट नहीं हुआ है। इससे मालूम होता मौजूद रहता है, इसोका निर्णय करना मामयतश्य. है, कि मरियादक अनादित्य स्यीकार न करनेसे का उद्देश्य है । पूर्व पुरुपकी गुणायली-सन्तान पाश्चात्य मामयिकाशवादको आकस्मिक सरियाद संमामिस होतो यानी आता है, इसका दृष्टान्त सिष्टांग अथया भन्यकारणयाद पहना होगा। मनीपो सम्पन्न जातिमें कम नहीं। तिने हा मनुष्यों शारारिक तथा पाश्यारय युपगप गभिव्यक यानी स्पलरूपसे प्रकटित तिने मानसिकगं पितृघर्गम यिपमान रहत । न. शीयमगम्फे साम्य और पैषम्यको ले कर जैसे ध्यान है, में जाति विभागका पहला धर्म स्याका रूप है। पैसे मूलकारणफे सोममें तत्पर नहीं। गरियादी गौर ममागिव्यक्तिवादी-दोनों दल म डानि चिडमि पर्णका विशेषत्य पहले दिई देता है। मुक फगउसे स्वीकार करते हैं, कि पृप्या सर्व मासीय : प्राचीन मिनी विविध जातियों को घिस मांजर जीयों का पफ साप माविमाय गो मा है। पोंकि दारों याकि बाद भी उनका अपेक्षा किसी भी जातिक भूगापिट्ट पण्डितोये, भयर्थ ममानासे इस दिपपमा वर्षकी यिमिग्नता भपिर नहीं हुई है। सपको 'निपरा हो शुका है। इस समय दोनों पक्ष जायजगत्को गक्षा सुन्दर स्याटिन शामियोस हंटर क पा पारल मामोन्नति और प्रार्मापमान पालोचना कर पूना- वर्ण मंस्किको पासपो से पनि भमिका. झाले पिक कप पाने है-एक जातीय जीप साप दूसरे काफि (दएको ) तक सारे पूर्ण मातियों का पर्ग