पानवतत्व परम्परासे ही एक जातिवादको दृढ़ भीति पर स्थापित । १८६० ई०के बीच बहुत गयषणा तया परोक्षा द्वारा किया है। स्थिर किया है, कि डाक्टर स्मारलिङ्गको वात ठीक है। ___ मनुष्यका पत्नतत्त्व । उन लोगोंने भी दिखलाया था, कि मनुष्य Quaternary कुछ समय पहले शिक्षित समाजका विश्वास था, ' या Drift युगमें पत्थरके बने कुठारका ध्यवहार होता था। कि मनुष्प्रजातिका धारावाहिक रूप इतिहास मिल सक विशालकाय हायोके शरीरको ठठरियोंकी बगल में है। क्योंकि, इङ्गलेएडके प्रधान विशप आसार (Usher) मनुष्यका प्रस्तरास्त्र मौजूद है। मिष्टर गोडविन अप्टेन ने गिन कर देखा था, कि ४००४ ईसाके पहले पृथ्वी और , (.rr. Godwin Austin)ने पहुत परोक्षाफे वाद यह प्रमा- मनुष्यको एक साथ सृष्टि हुई है। सब साधारणका । णित करते हुए कहा है-जव मस्तरोभूत भिन्न भिन्न यही विश्वास था । जो हो, वे सब विश्वास इस । प्राथमिक जीवोंको ठठरियां अधिकतासे भूतलमें समय कल्पनाके ताक पर माराम कर रहे हैं। भूतत्त्वके । विद्यमान हैं, तब यह निश्चय है, कि मनुष्यको ठउरियां प्रामाणिक सिद्धान्तसे वैज्ञानिक कह रहे हैं-इसकी। भी यहां हो मिलेंगी। इसके बाद इइलैण्डके फेण्ट गणना नहीं की जा सकती, कि मनुष्य और पृथ्वीको । प्रदेशको गुहा और मध्य-फ्रान्सके किसी किसी स्थान- सृष्टि कब हुई है । पृथ्वीके सबसे छोटे मानव शिशुको ) को खोद कर भूतत्त्वविद् पण्डितोंने देना, कि वारदसिंधे. उनको गिन कर भी थे उनकी हालतको कुछ नहीं, को उठरियों के बाद मामथ जातोय हाथीकी ठठरी मौजूद जान सके है। डरते हुए अनुमानका आश्रय ले कर ; है। उस समय मनुष्य एस्कुश्मा जातिके अनुरूप -ये कहते हैं, कि मनुष्यजातिकी उम्र लाख हजारसे भी। आचार व्यवहार करते थे। हाथो दांतकी नकाशीके अधिक है। , वहुतेरे नमूने मिले है। इससे मालूम होता है, कि उस मनतत्त्वविद् पण्डितोंने प्रागैतिहासिक युगके। समयके मनुष्य भास्करविद्या रसास्वादन करने में मत्नतस्वकी खोज कर इस विषयके मौलिकत्यका निर्देश' समर्थ थे। किया है। मनुष्य के सम्बन्धमें इससे पहले और कोई तस्य नहीं गत आधी शताब्दीसे भूतत्स्यविद्याकी उन्नतिसे' पाया गया है। फिर यह निासन्देह स्थिर है, कि जिस मनुष्यका इतिहास बहुत कुछ परिस्फुट हुआ है । भूतल युगमें विशालकाय हाथो भूपृष्ठ पर विचरण करता, के जिस भागमें प्रस्तरवत् हाथी, गड़े, भालू आदि। धारहसिंघे तुपारक्षेत्र में दौड़ा सा फिरता था, उस जीयोंकी हड्डियां या उठरियां मिली हैं, उनी भागमें | अन्यतम शैलयुगमें मनुष्य प्रस्तराख्न द्वारा शिकार करते मनुष्योंकी अस्थि, मनुष्योंको ठठरियां, मनुष्यों के बनाये | थे। वित्तविनोदके लिये हाथो दांत पर नाना प्रकार- प्रस्तरके हथियार आदि अन्य चीजें भी दिखाई देती हैं। के चित्र खोदे जाते थे। इस विषयमें सर सी० लायल इससे स्पष्ट ही अनुमान किया जाता है, कि जो स्तन्य- ( Sir C, Lyell's Antiquity of man) प्रणीत मनुष्य- पायी जीय धरणोकी पीठसे अदृश्य हुए है मनुष्य उस के प्रततत्व और सर जान लायक (Sir John Lubbo- समय भी.मीजुद था । डाफ्टर स्मैलिङ्ग ( Dr. Sch. / ck's Prehistoric Times) प्रणीत प्रागैतिहासिक काल merling) का कहना है, कि अति प्राचीनकालमें पृथ्वी ) नानकी दोनों पुस्तकोंमें विस्तार रूप वर्णित है। पर जहां गुहाभालू (Cave bear) विचरण करते थे, Quaternary युगके मनुष्यजातिका प्रत्नतत्त्व। यहां मनुष्य भी थे। क्योंकि उनकी ठठरियों के पास ही| इस समयके भूतत्त्वर्विद पण्डितोंने Quaternary मनुष्यको ठठरियां भी पाई जाती हैं। सुप्रसिद्ध फ्रान्सीसी युग तक मनुष्यका स्थितिकाल निर्णय किया है। जिस मलतत्त्वविद् पूचर ( Bcuchcr de Perthes ), रिंगालों । युगमें गएडशैलसंकुला सय तुपारमयी प्रवाहिणी प्रकाण्ड (Rigollot), फकुमार ( Puleoner ), मेटविच एवं| प्रकाण्ड प्रस्तरखएडको बहातो हुई दिगदिगन्तमें प्रचा. इमनस आदि भुतत्त्वज्ञ पण्डितोंने सन् १८५० ई०से | हित होती थी उसके और पहलेशी सुस्तरमें मानव पदका
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