पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५१२

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४५६ मारवाड़ इन तेरह वंशो से राठोरवंश क्रमशः शाखा-प्रशाखामोमें | अश्वत्थामाके हाथ रहा । सुनिंगने दरमें राज्य स्थापित , विभक्त हो गया। किया और उनके सबसे छोटे लड़के अजयमलने भी फन्नौज-राज धर्मविम्यके अजयचांद नामक एक | कमएडलराज्य विजय कर वहीं अपना राज्य बसाया।. लड़का था | इनसे २१ पीढ़ी नीचे तक भाट लोगोंकी घंशावलियोंके अनुसार शिवजीके जेठे 'राव' की उपाधि थी। पश्चात् उदयचांद नरपति, | लड़के अश्वत्थामाने गुहाजातिको हराया और खरराज्य . . कनकसन, साहसपाल, मेधसेन, वीरभद्र, देवसेन, | तक 'अपनी 'सीमा बढ़ाई और 'उनके भाई सुनिङ्ग .. विमलसेन, धनसेन, मुकुन्द, · भदु, राजसेन, गुजरातके इदरराज्यमें अभिपिक्त हुए। - - - - त्रिपाल, श्रीपुञ्ज आदि 'राजा' कहलाये। विजय- मरनेके समय राजा अश्वत्थामाके 'दुहर, जपसिंह, . चंदके पुत्र जयचंद दाल थाम्ला उपाधिके साथ खम्पश ह, भूपसिंह, दण्डल, जैत्मल, बन्दर और उहर कन्नौजके प्रथम नायक हुए । किन्तु फन्नौर-पति जय नामके आठ लड़के थे। जेठे लड़के दुहर पिताके सिंहा. चंद और उनके पूर्वपुरुषोंका जो तान-शासन मिला सन पर बैठ कन्नौज विजयकी चेष्टा करने लगे। लेकिन है, उसके साथ ऊपरफे वर्णनका कुछ भी मेल नहीं इसमें इन्हें सफलता न मिली। तब इन्होंने राजा परिहारके खाता । कन्नौज देखो। मन्दौर प्रदेश पर आक्रमण किया। इस युद्ध में राठोरके . इस प्रकार राठोर प्रतिष्ठाका संक्षिप्त वर्णन दे 'फर | रक्तसे मन्दौर रञ्जित हो गया। मन्दौरके युद्धक्षेत्रमें राजा इतिहासकारने, एकदम जयचंदके राज्यकालसे ही | दुहर खेत रहे। उस समय इनके रायपालं, कीर्तिपाल, पास्तविक इतिहासका अनुसरण किया है। सन् १९६४ | विहार, पित्तल, योगाइल दल और वेगर मामफे सात ६०में महम्मदगोरोने राजा जयचंदको हराया, राठोरोंका लड़के थे। इनके ज्येष्ठ पुत्र रायपालने पिताके सिंहासन . . राज्य कन्नौजसे उखाड़ दिया। तब उनके पोते शिवजी पर बैठ अपने पिताको मारनेवाले मन्दीर सरदार परि. और शेउराम १२१२ ई०में जन्मभूमिको छोड़ द्वारिकातीर्थ | हारको यमपुर भेज दिया। इनके तेरह लड़के मरुदेशक जानेकी इच्छासे पश्चिमकी मरुस्थलीमें आये। यहां भा | भिन्न भिन्न भागमें सामन्तोंको हैसियत से जम गये । इनका कर चे कलुमदके सारफे अधीन काम करने लग गये। जेठा लड़का कणहाल इनके सिंहासन पर बैठा और राज्य पाद उन्होंने फुलवारफे नामी डकैतोंके सरदार लाना | किया। फणहालके लड़के जाईन, जाहनके लड़के चादु फुलनाको हराया और सर्वसाधारणसे प्रशंसा लूटी। इस और चादुके लड़के थिदु क्रमशः राजा हुएं। राव , युद्ध में शेठ राम खेत रहे। थिदु शनिंगड़ाको युद्धमें हराया और उनके 'मिल्लमाल ___ उनकी इस वीरतासे प्रसन्न हो कलुमदके सुलंकी प्रदेशको अपने अधिकाग्में लाया । देतरा और घेलेचा सरदारने उन्हें कन्यादान दिया। इसके बाद वे द्वारिका ज्ञातियोंके अनेक स्थानोंको ले इन्होंने अपनी राज्यसीमा गये। वहांसे लौटते समय उन्होंने लाना फुलनाको बढ़ाई। अपने हाथसे मार डाला और रास्तेमें सरधारके गोहिल वीर थिदुके मरने के बाद उनके लड़के सिलूक राजा सरदार और महेशदासको मार कर उसके खरप्रदेशको हुए। सिलूकके बाद उनके लड़के विरामदेयके मरने पर अपना लिया । फर्नल टाडने लिखा है, कि खरप्रदेश उनके बलशाली पुत्र रावं चएंड गद्दी पर बैठे। जीतनेके बाद ये पालीप्रदेशके ब्राह्मणोंके बुलाने पर मारवाड़-रोजवंशके स्थापक शिवजीसे नीचे राव. पहाड़ी डकैतोको दवानेके लिये आगे बढ़े। सकैतोंके | चण्ड ११ राजा हुए। इनके वोयंबलसे राठोर-राज- दमनके बाद ब्राह्मणों के अनुरोधसे उन्होंने वहीं जमीन ले , लक्ष्मी जगमगा उठो । चण्डके शासनकालके कर रहना शुरू किया। इस तरह पालीप्रदेशमें अपना १३८२ ई०से ही राठोरजातिको वास्तविक मारवार-विजय राज्य बढ़ा राठोर सरदार शिवजी भविष्य राज्य विस्तार मानो जातो है । इस समय युद्धके मदसे मतवाले राठोर को नीयं डाल गये । उनका राज्य उनके जेठे लड़के लोगोंने मन्दौर नगरमें अपना अधिकार जमा यहाँ - - -- - --