पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५१६

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मारवाड़ - राजा मानसिंह मारवाड़के सिंहासन पर अधिरूढ़ःहुए । , ई०में पिडारी-युद्धके आरम्भमें अगरेजोंने उनके साथ .भीमसिंहके अत्याचार और राजा मानसिंहके शासनका | सन्धिका प्रस्ताव किया। अंगरेज सरकारने जोधपुर- वर्णन यथास्थानमें दिया गया है। ; .. .. राज्यका रक्षाभार अपने हाथ लिया और सिन्धराजको जो . • पहले ही कहा जा चुका है, कि अभयसिंहने जव / कर दिया जाता था.उसका भार भी अपने पर लिया। उदयपुर, जोधपुर और जयपुर इन तीन शक्तियोंकी - राजा १५: सौ घुड़सवार :जरूरत पड़ने पर मंगरेजों सन्धि तोड़ दी तव चे एक दूसरेके दुश्मन बन गये। की सहायताके लिये भेजनेको.-राजी हुए |-सन्धि पूरी अतएव भिन्न भिन्न सरदार भिन्न भिन्न राजवंशों- 1- तय भी न हो पायी थी, कि राजा क्षतसिंहका स्वर्गवास के राज्याधिकारके प्रश्नको ले युद्ध विग्रहादिमें लिप्त हुआ। इस सुयोगमें राजा:मानसिंह अपने पागलपनके रह कर अपनी अपनी शक्तिका हास-करने लगे। राज्यमें राहाने राजसिंहासन पर जा विराजे । १८२४ ई०में मीना प्रतिष्ठा पानेके लिये उन्हे पद पद - पर उस समयके और मेर जातियोंको अधीनतामें-लानेके लिये इन्होंने उन्नतिशाली महाराएकी सहायता मांगनी पड़ी थी। मारवाड़के अन्दर २१ गांव अंगरेज सरकारको दिये। क्रमशः सम्पूर्ण राजपूताना महाराष्ट्रको राजधानी पूनाके | :१८४३ ई०में इन गांवोंके अधिकारको समय पूरा हो गया। अधिकारमें आ गया। किन्तु उसी साल:राजाको मृत्यु होने पर और कोई नया इस मौके सिन्देराजने जोधपुर जीत कर, ६ लाख रु० बंदोवस्त नहीं हुआ।- १८३६ ई० में मल्लानो प्रदेश: पोली. टिकल एजेन्टकी देखभालमें रखा गया । लेकिन उसी जमा किया तथा धजमेरगढ़ और नागर ले लिया। १८०३ २१. समयसे अंगरेज लोग उस प्रदेशका फर: उगाह रहे हैं। ई०में महाराष्ट्र-युद्धके समय राज्यमें अराजकताको " सपना पा सामन्तोंने भीमसिंहको गद्दीसे उतार दिया। में गडबडी हद दजे तक पहुंच गई। राज्यमें भयानक राजा मानसिंहको स्वेच्छाचारिताके कारण मारवाड़. . और मानसिंहको राजा बनाया। तय मानसिंहके साथ | .अगरेजी-राज्यको सन्धि हुई, लेकिन १८०४ ईमें होलकर-' विद्रोहको आगालगती देख १८३६ ई० में गंगरेजःसरकार- राज्यको आश्रय दे कर अंगरेजी सरकारने सान्ध' इसलिये अगरेजोंको एक सेनाजोधपुरमें रखी गई। को लाचारी मारवाड़के शासनमें हस्तक्षेप करना पड़ा। तोड़ दी। ' राजा मानसिंहने जोधपुर राज्यमे सुशासन रणनेको इच्छा. अगरेजोरी जव जोधपुर-राजको सहायता न मिली तव से अंगरेजों के साथ एक बन्दोवस्त.किया।।: इस बंदो. निरुपाय हो भारी विपद्में पड़ गये। इसो समय भीम- वस्तके वाद चार वर्ष तक राजा मानसिंह जीवित रहे। सिंहका लड़का धोकलासिंह या धनकुलसिंह राज्ययो। • इन्हें कोई सन्तान न थी और न.इन्होंने कोई पोष्य पुन अपने अधिकार में लानेकी इच्छासे जोधपुरको ओर दल- ही लिया था। अतएव इनके मरने पर इदर और अहमद वल के साथ आगे बढ़ा । इस युद्ध में तथा उदयपुरको राज. नगरकासरदारवंश मारवाड़ राज्यका उत्तराधिकारो, हुआ।

फन्याके विवाह-सम्बन्धमें जयपुरके साथ जो युद्ध हुआ था :विधया-रानियोंने..सामन्तों तथा राज-कर्मचारियोंकी

उसमें राजा मानसिंहको विशेष क्षति उठानी पड़ी.। पीछे | · सलाहसे अहमदनगरके राजा भक्तसिंहके ऊपर मारवाड़. दोनोंने हो पिंडारीके उकेत-सरदार अमीर खांको अपने | शासनका भार अर्पण किया । महाराज भक्तसिंहने.मारवाड़ अपने दल में लानेकी चेष्टा की। समीर ने पहले जयपुर- की राजगद्दी पर धैठ अपने लड़फे यशवन्तसिंहको अहमद- ..का और पोछे जोधपुर-राज्यका पक्ष लिया । वह राजाको नगर राज्यका शासन करने भेज दिया। इस समय इदर- डर दिखा तथा लोगों में राजाको पगला बता- सरकारी । राजने अहमदके सिंहासनको' ले कर गोलमाल खड़ा -खजाना-लूटने लगा। . . . ... -किया। अङ्गरेज सरकारने इस आन्दोलनफे वाद न्याय . : सन् १८१७ ईमे:भमीर पांक :मारवाड़से चले आने और प्राचीन रीतिके अनुसार अहमदनगर इदरराजको दे पर छतसिंहने अपने पिताका राज्यभार लिया । । १८१८ ! दिया । १८४८ ई० में.६. वर्ष अहमदनगरका शासन कर जय