rमारवाड़ .. राजकुमार यशपंत मारवाड़ः लौटे! 8व अहमदनगर इदर- नित हुए और G.C.S. I. की उपाधि प्राप्त की। युव. राज्यमें मिला लिया गया. :: . . राजने स्वयं उनके डेरे पर पदार्पण किया था। महाराज मानसिंहफेः लग्ये शासनकालमै मारवाड़ी १८९५ ई में महाराज यशवन्तसिंहकी मृत्यु हुई। पीछे तहस नहस हो गया था।२८१३ई में सिन्धुप्रदेशके ताल- उनके एकमात्र पुत्र सरदारसिंह राजसिंहासन पर अधि- पुरके मोरोंने उक्त गढ़ और उसके अधीन राज्यको जीता।। रूढ़ हुए 1.१८८० ई० में इनका जन्म हुआ था। १८६८ १० सागरेजाने सिन्धु-विजयके समय उस गढ़को अपना इन्होंने राजकार्यका कुल भार अपने हाथ लिया। इनकी लिया। उस समयसे आज तक अङ्गरेज सरकारने उस नावालिगी तक इनके चचा महाराज प्रतापसिंह (पीछे गढको नहीं छोड़ा है ।भकसिंहने जव गढ़ लीरा देनेकी । इदरके महाराज) शासनकार्य चलाते रहे । इनके.समयमें जाप्रार्थना की, तयःअगरेज कर्मचारी मि० प्रेरदेडने कहला| जो मुख्य घटनाएं हुई वह इस प्रकार हैं,-१८६७-८६०में भेजा कि उनको सेनाके वेतनके लिये एक लाख सत्तरह। युकप्रदेशमें और १६००-१ ई० मे चोनमें Imperial Ser हजार देने पड़ते हैं । उसमें दश.हजार माफ दिये ।जायेंगे/ rice Iancers दलों में एक दलको नियुक्ति पहले सिध और अगरेज लोग वरावर अमरकोटको अपने अधिकारमें | तक और पीछे सिन्धसे हैदरावाद तक रेलवे लाइनका ___ रखेंगे। राजाको इस प्रस्ताव पर अपनी सम्मति देनी पड़ी। खोलना : १८६९-१९०० ई०में भीषण दुर्भिक्ष , १६०१ ई० उनके शासनकालमें सामन्तोंका बलया शान्त हुआ। में युरोप-यात्रा । भाप १९०३ ई०के जनवरो माससे ये अरेजोंको संहायतांसें' मारवाड़में सुशासन स्थापित ! १६०३ ई०के अगस्त मास तक imperial carlet corp ___ करने में समर्थ हुए थे। १८५७ ई० में सिपाहियों का भयानक के सदश्यारहे । आपके परलोकयासी होने पर आपके बलवा समूचे भारतमे फैल गया था। राजा भक्तसिंहने | सुपुत्र उमेदसिंहने राजसिंहासन सुशोभित किया। आप "अपनी सेनाफी संहायतीसे विद्रोहियोंको दवाया और ही.वर्तमान महाराज, हैं। आपको पृटिश सरकारको 'अरेज लोगोंको अपनी राजधानीमे माश्रय दे सरकारके | ओरसे ९७ तोपों की सलामी मिलती है। आपको पूरा प्रति अपनी राजभक्ति दिखलाई। ' नाम है,-"महाराजा.पध, पच, राजराजेश्वर महाराजा- ......१८६७ ई० में गनोराके सामन्त पदको ले कर सामन्ती धिराज सरमद-इ-हिन्द महाराजा श्री सर उमेदसिंहजी __ से उनका विवाद हुआ। । अङ्गज-सरफारके. अनुरोधसे | साहव बहादुर फ्रे, सो, भी, ओ। उन्होंने राज्यसे शान्ति दूर करने के लिये सामन्त लोगों .. . मारवाडका र यश । के सम्पूर्ण गोलमालको मिटा दिया। नाम । राज्यारोहणकाल । 5:१८७० ई०में भारत के पाइसराय लार्ड मेयोने अजमेरमें . - राव शियनो । १२१२६० सन् , दरवार किया। इस दरवारमें प्राचीन नियमके अनुसार , अश्वत्थामा .. . उदयपुरके महाराणाको पहला स्थान, दिया गया । इस . . ' दुहर.पा धौलराय पर भक्तसिह दरवार में नहीं आये। उनके इस मशिष्टा- ..., रायपाल. चरण और अपमानसे कुछ हो लार्ड मेयोने उन्हें बहुत बहुत न हल । कोसा था।......... .... . .. ..... अहनसिंह' . ... .
- १८७३ :ई०में महाराज भक्तसिंहके मरने पर इनके ": .., 'छद , . . ' .
जेठे लड़के कुमार :यशवन्तने, सिंहासन ग्रहण किया । .., घोद : . . . . . -सन् १८७९ ई० में प्रिन्स माय पेल्सः (भूतपूर्व भारत | .::सत्य . - सम्राट् सप्तमएमबई)..भारतवर्ष, : पधारे... इस... log. - विरामदेव समय कलकत्तेके किला मैदानमें : एक दरपार यैठाइस.. ,चएड ....... . . . . .: १३८१. ई० दुपार में महाराज यशवन्तसिंह युवराजसे विशेष सम्मा-!..., रणमल . . ....१४०८ Vol. xv11, 116