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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५३२

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४७२ .मार्कर मार्ग' लिया गया। पीछे १४०२ १०में लिसंयनमें इसका प्रचार , मार्गणता (सं० स्रो०) १ मागंण या धानका भाव। २ हुया । फरासी देशमें २०५६ ई०को इसका प्रथम संस्क- याचकता । ... .. ... . . रण निकाला गया। . . . . . . मार्गतोरण । सं० : लो०) पथपायमें स्थापित तोरण, . मार्कर (संपु०) भृङ्गराज, मंगरैया। . . (वाहरी फारक। ... .: ।.. मार्कय (सपु०) मर्याति केशरञ्जनार्थ गच्छतीति मकवा, मार्गद (संपु०) फेवर। .. । . . . . . . . . . म, सर्प नाम्नीति अवः निपातना वृद्धिः। भृङ्गराज, मार्गदायिनो (सं० खो०) १.केदारस्थ दाक्षायणो । २ मगरीया। (भावप्रकाश ) .. पथ दिलानेवाली।। . .. :::: :.. माको ( म० पु. ) संकेत, कोई अंक वा चिह जो किसी या चिहाला ' मार्गदुम (सं० पु० ) पथपायस्थ गृक्ष, रास्ताको वगलका विशेष यातका सूचक हो । .... . .: पेड़।. . . . . . . . . . मार्केट ( अपु०) बाजार, हाट। , ., मार्गधेनु (सं० पु०) मार्गस्य धेनुः परिमाण । एक योजना मार्ग (सपु०) मार्यते संस्क्रियते पादेन मृग्यते गमनाय । का परिमाण,1, ... ... ..... अन्यिष्यते इति या मार्ग.वा मृग घम् । पन्या, रास्ता । मार्गधेनुक (सं०.लो०) मार्गधेनु स्वार्थे , फन् । योजन। 'विशद्धपि विस्तीर्णो देशमार्गस्तु तेः कृतः। मार्गप (सं० पु०.) राजकर्मचारिभेद. राज्यको, यह. कर्मः । रिंशदनुाममार्गः सीमामार्गो दशैव तु ॥ ... चारो जो.मार्गों का निरीक्षण करता हो। इसे अंगरेजीमें धनूनि दश विस्तीर्णः श्रीमान राजपयः स्मृतः ॥" .. Road-inspector कहते हैं। ...:..... - (देवीपुराण)

मार्गपति (सं० पु०) मार्गप देखो । ... तीस धनुका देशमार्ग, बोस धनुको प्राममार्गपाली (संसो०) मार्ग पालयति हिनेभ्यः रसतीति मार्ग, दश धनुका सोमामागे और दश. धनुका , पाल-अत्र , गौरादित्वात् डोप । स्तम्भ, खंभा । राजमार्ग धनाना चाहिये। चार हाथका एक धनु होता ., "ततोऽपराहसमये पूर्व स्यां दिशि नारद। है। २ गुदा, पायुं । ३ मृगमद कस्तूरो। ४ मार्गशीप- मास, अगहनका महीना सोपण मोजमाप पा . (पद्मपुं० उत्त० १२४ १०) शिरा नक्षत्र । ७ विष्णु। ८ रकापामार्ग, लाल चिचड़ा। मार्गवन्धन (संकी.) पंधरोध, 'रास्ता रोकना। मृगस्येदं मग-अण । (त्रि०) मुगसम्बन्धो। ... मार्गमाण (सं० पु० ) खोजा, नपुसंक व्यक्ति । "सदज्यं समिनं तात ! सेदेय पितृ-कर्मणि।' मार्गमित्र (सं० पु०) सहपात्रो, साथ जानेवाला । .. मार्गमाविकमौष्ट्रय सर्वमेकराफञ्च तत् ॥" . . मार्गरक्षक (सं० पु० ) पथरक्षक, पहरावाली। ' मार्कपडेयपु. ३२०१७) मार्गरोधिन् ( स० वि०) पथरोधक, रास्ता रोकनेवाला । मार्गक (सं० पु०) मार्ग स्यायें कन। १ अप्रहायणं मास, मार्गव ( स० पु०) वर्णसङ्कर जातिविशेष। इसको अगहनका महीना। २ मार्ग देखो। | उत्पत्ति निपाद पिता और आयोगवी मातासे मानी मार्गण (सं० पी० ) माग्य ते अन्यिप्यत इति मार्ग भाये | जातो . ल्युत् । १ अन्येपण, दना । पर्याप-सम्योक्षण, यिचयन, निपादो माग गर्ने दार्श भीकम जीविनम्। .. मृगणा, मृग। २ याच प्रा, परीक्षा करना। ३ प्रणय, कैवर्त मिति य प्राहुराविर्तनिवासिनः ॥": प्रार्थना । (पु.) ४ पाचक, मित्रमंगा।५ शर, पाण।। । (मनु १.३४) "ते सर्वे हदभन्वानः संयुगेमपत्तायिनः । पाहायेन शुद्राया जातो निपादः प्रागुन, मातापामायो- बहुधा भीष्ममानन्गगियोः तमार्ग या "" गण्या मार्ग दातारमाना नौव्यय हारजीविन जनयसि । ' (मारत ५२११४) . . . . . . . (कमलूक) मार्गणक (सं० पु०) मार्गण साथै कन् । याचक, मित्र- इस जातिका दूसरा नाम दाश भी है। ये लोग,माय भंगा। . से कर अपनी जीविका चलाते हैं।. ..